अमरावती/ दि. 19- आध्यात्मिकता यह समुपदेशक के लिए समय की जरूरत है. ऐसा मत प्रा. किशोर चतारकर ने व्यक्त किया. संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ के आजीवन अध्ययन व विस्तार विभाग की पदविका व पदवी समुपदेशन मानसोपचार पाठ्यक्रम द्बारा ‘वैश्विक सिझोफेनिया दिन’ निमित्त से आयोजित आंतरराष्ट्रीय परिषद समारोह में बोल रहे थे. चार दिवसीय परिषद में पहले दिन के सत्र में मानसोपचार विशेषज्ञ डॉ. पंकज वसाडकर ने समुदेशन के प्रक्रिया की नापतोल और मर्यादा इस विषय पर मार्गदर्शन किए. दूसरे दिन की सत्र में गेट सेट गो इन्स्टीट्यूट मुंबई के संचालक प्रा संजय रहाटे ने मूलभूत चतुरस्त्र बुध्दीमत्ता पर मार्गदर्शन किए. तीसरे दिन के सत्र में दुबई के डॉ. नहिद खान ने समय और मन का व्यवस्थापन व वे समुपदेशक को कैसे उपयुक्त है. इस विषय पर बताया. चौथे दिन के सत्र में आध्यात्मिक मानसशास्त्रज्ञ कोच व मास्टर प्रॅक्टीशनल ऑफ एन.एल.पी. प्रा. किशोर चतारकर आध्यात्म और मानसशास्त्र के इस संबंध में विविध दाखले देकर मार्गदर्शन किए.
विभाग के संचालक डॉ. श्रीकांत पाटिल ने अध्यक्षीय भाषण करते समय कहा कि समुपदेशक के व्यक्तिमत्व विकास से व्यवहारिक ज्ञान व व्यावसायिक दृष्टिकोण से कलागुणों का विकास हो. जिससे वे अपने पैर पर खडे रह सकते है. कुलगुरू डॉ. प्रमोद येवले, प्र-कुलगुरू डॉ. प्रसाद वाडेगांवकर, कुलसचिव डॉ. तुषार देशमुख ने परिषद के लिए मार्गदर्शन किए. प्रास्ताविक प्रा. जुबेर खान, सूत्रसंचालन प्रा. अर्चना ढोरे तथा आभार सुवर्णा बुटे ने माना. परिषद को सफल बनाने के लिए प्रा. मंजुषा बारबुध्दे, प्रा. मनीषा लाकडे, प्रा. शिवानी अग्रवाल तथा विभाग के शिक्षक, शिक्षकेत्तर कर्मचारियों ने परिश्रम लिए.