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ज्ञानोबा तुकाराम का निनाद

पालखी लोणी कालभोर की ओर

हड़पसर/दि.14- ताल, मृदंग की थाप पर भजनों में तल्लीन वारकरियों के कदम उत्साह से हड़पसर से सासवड और लोणी कालभोर की ओर बढ़े. ज्ञानोबा माऊली की जय जयकार और सिर पर वृंदावन एवं हाथों में पताका लेकर वारकरी पुणे से बड़े ही भक्तिमय वातावरण में आगे बढ़े. श्री संत ज्ञानेश्वर महाराज पालखी सासवड की ओर तथा संत तुकाराम पालखी ने लोणी की ओर प्रस्थान किया.
वैदूवाड़ी मगरपट्टा में दूर से ही दिखाई पड़ते माऊली व तुकाराम महाराज की पालखी का कलश देखकर भाविक नतमस्तक हो गए. विश्रामस्थल पर रंगोली और फूलों की वर्षा से वारकरियों का स्वागत किया गया. हड़पसर में दोनों पालखी की अगवानी हेतु सड़क की दोनों ओर भक्तों ने भारी भीड़ की थी. वारकरियों को बड़े उत्साह से फलाहार का वितरण किया गया.
पुणे से बड़े सवेरे 6 बजे माऊली की पालखी ने प्रस्थान किया. उपरांत 8 बजे शिंदेछत्री में आरती हुई. 8.50 बजे माऊली की पालखी हड़पसर पहुंची. संत तुकाराम महाराज की पालखी दोपहर 12 बजे गाड़ीतल के विश्राम स्थान पर आयी. लगभग डेढ़ घंटे की विश्रांति पश्चात लोणी कालभोर की तरफ रवाना हुई. जबकि संत ज्ञानेश्वर महाराज केवल 45 मिनट विश्राम पश्चात सासवड की ओर मार्गस्थ हुई. पालखी में आगे आगे नगाड़ा, माऊली का अश्व, सवारों के अश्व चल रहे हैं. कंधे पर पताका, सिर पर वृंदावन, गले में वीणा, मृदंग, ललाट पर चंदन का तिलक, मुख पर ज्ञानोबा तुकोबा की जय जयकार एवं चेहरे पर विठ्ठल दर्शन की आशा वारकरियों का यह रुप वर्णनातीत है. सांसद अमोल कोल्हे, विधायक चेतन तुपे, पूर्व विधायक योगेश टिेलेकर ने पालखी का स्वागत किया. सभी कीर्तन पर थिरक उठे थे.

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