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राज्य में फिलहाल नए जिलों का गठन नहीं

मुंबई दि.11– महाराष्ट्र में नए जिलों के गठन की चर्चा जोरों शोरो से शुरू हुई है किंतु फिलहाल यह मामला खटाई में पडता नजर आ रहा है. जिलों के विभाजन के लिए 2014 में गठित कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. लेकिन राज्य की आर्थिक स्थिति को देखते हुए इस जिले का बंटवारा अटकता नजर आ रहा है. क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान, मध्यप्रदेश और फिर महाराष्ट्र देश के संबसे बडे राज्य है. राजस्थान में जिलों की संख्या बढाकर 50 कर दी गई है. लेकिन महाराष्ट्र में अभी भी 36 जिले है लेकिन वित्त विभाग के फीडबैक के बाद यह फैसला एक बार फिर टलता नजर आ रहा है.

* लंबे समय से होती आ रही है मांग
समय- समय पर इनमें से 25 जिलों को बांटकर 67 नए जिले बनाने की मांग उठती रहती है. देखा जाए तो बडे जिलों के कारण विकास न होने की बात अक्सर सामने आती रही है. जुलाई 2014 में इस पर निर्णय लेने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की सरकार में अपर मुख्य सचिव राजस्व की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति भी गठित की गई थी. यह कमेटी नवंबर 2016 को अपनी रिपोर्ट भी सरकार को सौंप चुकी है.

* 67 नये जिलों के लिए 56 कार्यालयों की आवश्यकता
मांग है कि राज्य के बडे 25 जिले को बांटकर 67 जिले बनाने होंगे. उसके लिए 56 कार्यालय बनाने होंगे. यहां तक कि एक कार्यालय में 50 पदों पर कब्जा करने से भी राज्य के खजाने पर भारी वित्तीय बोझ पडने की संभावना है. कुछ दिन पहले ही पालघर जिले को ठाणे जिले से विभाजित किया गया था. लेकिन अभी भी पालघर जिले में पूर्ण कार्यालय श्ाुरू नहीं किया गया है. नये जिले का यह निर्णय तत्काल करना संभव नहीं है. इसलिए जनता की सुविधा के लिए कुछ प्रशासनिक कार्यालय शुरू किए गए है. बीड में अंबेजोगाई, नाशिक में मालेगांव, पालघर में जव्हार और गढचिरोली में हरि जैसे नए प्रशासनिक कार्यालय बनाए गए है. संक्षेप में कहें तो एक नया जिला बनाने में हमारों करोड रूपए खर्च होंगे. चूकि राज्य का खजाना पहले से ही खस्ताहाल है, ऐसे में इस नए जिले का गठन अटकता नजर आ रहा है.

* कई हजार करोड रूपयों का पडेगा बोझ
ऐसे में नए जिले बनाने में राज्य के खजाने पर कई हजार करोड रूपए का वित्तीय बोझ आ सकता है. यदि नये जिलों के निर्माण के लिए मापदण्डों के अनुरूप नीति का निर्धारण एवं घोषणा की जाए तो समाज की ओर से काफी मांगे आयेंगी. साथ ही इस नीति को लागू करने के लिए कोट से आदेश लेने के लिए जनहित याचिका दायर करने की भी संभावना है. अत: वर्तमान स्थिति में नीति निर्धारण न करते हुए वर्ष 2021 की जनगणना के आधार पर मापदण्ड निर्धारित करना उचित होगा. इस समिति की रिपोर्ट पर वित्त विभाग द्बारा दी गई. ऐसी प्रतिक्रिया हम देख सकते है. हालांकि, इस पर अभी भी कोई हलचल नहीं दिख रही है.

राज्य में किन नये जिलों की मांग
मौजूदा जिले प्रस्तावित नये जिले
अमरावती अचलपुर
यवतमाल पुसद
बुलढाणा खामगांव
चंद्रपुर चिमूर
गढचिरोली अहेरी
भंडारा साकोली
नांदेड किनवट
अहमदनगर शिर्डी
संगमनेर श्रीरामपुर
नाशिक मालेगांव/कलवन
सातारा मानदेश
पुणे बारामती/शिवनेरी
जलगांव भुसावल
पालघर जव्हार
लातूर उदगीर
ठाणे मीरा भायंदर/कल्याण
बीड अंबेजोगाई
रत्नागिरी मानगढ
रायगढ महाड

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