अब ऑनलाइन वोटिंग की मांग पकड रही जोर
डाक मतो व घर बैठे मतदान को लेकर बढ रहा रुझान
अमरावती/दि.1– हाल ही में संसदीय चुनाव को लेकर कराए गए मतदान में मतदान के समय यह पाया गया कि मतदाता सूचियों में कई मतदाताओं के नाम गायब है. जबकि उनके पास मतदान हेतु आवश्यक मतदाता पहचान पत्र व आधार कार्ड भी थे. ऐसे में अब मतदाता सूची से नाम नदारद रहने वाले मतदाताओं सहित अपनी पढाई लिखाई व कामकाज के चलते अन्य शहरों में रहने की वजह से मतदान से वंचित रहने वाले लोगों व्दारा अब ऑनलाइन बैकिंग की तरह ऑनलाइन वोटिंग की सुविधा उपलब्ध कराए जाने की मांग की जा रही है. इसके तहत कहा जा रहा है कि आधार नंबर और ओटीपी के जरिए ऑनलाइन मतदान की व्यवस्था उपलब्ध कराना पूरी तरह से संभव है. जिसके बारे में सरकार एवं निर्वाचन विभाग व्दारा आवश्यक विचार विमर्श किया जाना चाहिए.
उल्लेखनीय है कि निर्वाचन प्रक्रिया से संबंधित कामकाज से जुडे राजस्व प्रशासन के अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ ही अपने गृहक्षेत्र से बाहर नियुक्त रहने वाले पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों एवं सशस्त्र बलों के अधिकारियों व कर्मचारियों को मताधिकार का प्रयोग करने हेतु डाक मतदान की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है. वहीं इन दिनों कई युवा उच्च शिक्षा हासील करने और पढाई पूरी करने के बाद बडी-बडी कंपनियों में नौकरी करने के लिए अपना शहर छोड कर दूसरे शहरों में जाकर रहते है. जिनके पास डाक मतदान जैसी कोई सुविधा नहीं होती. ऐसे में उन्हें अपना वोंट डालने के लिए अपने गृहनगर वाले संसदीय क्षेत्र में वापिस आना पडता है. और चुकिं ऐसे अधिकांश लोग केवल वोट डालने के लिए सैकडो हजारों किमी की दूरी तय कर आना पसंद नहीं करते उसकी वजह से मतदान नहीं करने वालों की संख्या में चुनाव दर चुनाव इजाफा होता दिखाई देता है. साथ ही साथ मतदान का प्रतिशत कम रहने के लिए मतदाता सूचियों में रहने वाली गडबडियां व गलतियां भी काफी हद तक जिम्मेदार कही जा सकती है. इन्ही तमाम बातों को देखते हुए अब कई नागरिकों व्दारा खुद को भी डाक मतदान या ऑनलाइन वोटिंग की सुविधा मिलने के बारे में मांग की जा रही है.
उल्लेखनीय है कि विदर्भ के कई युवा अपनी पढाई लिखाई के लिए मुंबई और पुणे जैसे बडे महानगरों का रूख कर लेतेे है. साथ ही इन दिनों आईआईटी व आईआईएम जैसे उच्च शिक्षा संस्थानों में पढने लिखने का रुझान काफी अधिक बढ गया है. इसके अलावा विदर्भ सहित महाराष्ट्र के कई शहरो मे रहने वाले युवा अपने कामकाज और नौकरी के चलते देश के बडे-बडे महानगरों सहित विदेशों में भी जाकर रहते है. जिनके लिए केवल मतदान करने हेतु लंबा सफर तय करते हुए महज एक दिन के लिए अपने शहर वापिस आना संभव नहीं होता. ऐसे में अब यह मांग जोर पकड रही है कि जिस तरह इन दिनों सूचना तकनीक का प्रयोग करते हुए बेहद सुरक्षित तरीके से ऑनलाइन बैकिंग की जाती है. जिसमें रोजाना हजारों लाखों लोगों व्दारा आर्थिक लेनदेन करते हुए करोडो अरबों रुपयों का व्यवहार किया जाता है और प्रत्येक व्यवहार के लिए ओटीपी का सहारा लिया जाता है. ठीक उसी तरीके पर ऑनलाइन वोटिंग की व्यवस्था भी अमल में लानी जानी चाहिए. इसके लिए आधार कार्ड क्रमांक व ओटीपी क्रमांक का प्रयोग करते हुए ऑनलाइन तरीके से सुरक्षित मतदान करवाने का प्रबंध किया जा सकता है.
यह सुझाव आए है सामने
– बिल्कुल ऑनलाइन बैंकिंग की तरह ऑनलाइन वोटिंग की व्यवस्था उपलब्ध कराई जानी चाहिए. ऑनलाइन बैंकिंग में रोजाना हजारो लाखों आर्थिक व्यवहारों के लिए सुरक्षा के लिहाज से जिस प्रक्रिया का अवलंब किया जाता है, वही प्रक्रिया ऑनलाइन वोटिंग के लिए भी सुरक्षा के लिहाज से अपनाई जा सकती है.
– ऑनलाइन वोटिंग में गडबडियों को रोकने के लिए और सुरक्षित मतदान कराने के लिए आधार क्रमांक और ओटीपी का सहारा लिया जा सकता है.
– जिस तरह से निर्वाचन अधिकारियों व कर्मचारियों सहित सशस्त्र बलों हेतु डाक मतदान की व्यवस्था उपलब्ध कराई जाती है. उसी तरह अपने गृहक्षेत्र से विस्थापित मतदाता के लिए भी डाक मतदान की व्यवस्था उपलब्ध कराई जानी चाहिए.
कहां कितने मतदाताओं ने नहीं किया वोट
संसदीय क्षेत्र कुल मतदाता वोट नहीं पडे प्रतिशत
अमरावती 18,36,078 6,66,981 36.32
अकोला 18,90,814 8,94,445 47.30
यवतमाल-वाशिम 19,40,916 7,20,727 37.13
बुलढाणा 17,82,700 6,76,939 37.97
नागपुर 22,23,281 10,20,319 45.91
रामटेक 20,49,085 7,99,221 39.00
वर्धा 16,82,771 7,39,218 43.33
चंद्रपुर 18,37,906 5,95,954 32.42
भंडारा-गोंदिया 18,27,188 6,02,232 32.95
गडचिरोली- चिमुर 16,39,207 4,76,773 39.02