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व्यावसायिक दक्षता हासिल कर मीडिया में आगे बढ़ा जा सकता है

प्रो. गोविंद सिंह का कथन

* आईआईएमसी में राष्ट्रीय प्रेस दिवस कार्यकम
अमरावती/दि.15– मिशन से शुरु हुई पत्रकारिता आज प्रोफेशन में बदल गयी है।.समय बदलने के साथ ही पत्रकारिता के तौर-तरीकों में बदलाव और विस्तार हुआ. उदारीकरण के साथ ही भारतीय भाषाओं के समाचारपत्रों के आकार में वृद्धि हुई और आज कॉरपोरेट हाउस का रूप ले चुके हैं. बदलते दौर में व्यावसायिक दक्षता हासिल करते हुए ही आगे बढ़ा जा सकता है. यह बात आईआईएमसी के पूर्व डीन, अकादमिक और वरिष्ठ पत्रकार प्रो. गोविंद सिंह ने कही.
14 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस (16 नवंबर) के आलोक में भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) पश्चिम क्षेत्रीय परिसर में एक विशेष व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया. वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रोफेसर डॉ. गोविंद सिंह ने भारतीय पत्रकारिता के बदलते आयाम विषय पर विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया. इस अवसर पर डॉ. विनोद निताले, डॉ. आदित्य मिश्रा, चैतन्य पाटिल, निकिता वाघ, जयंत सोनोने, संजय पाखोडे आदि उपस्थित थे.
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान हुई भारतीय पत्रकारिता का जिक्र करते हुए प्रो. गोविंद सिंह ने कहा कि उस समय की पत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य देश को आजाद कराना था. महात्मा गांधी की पत्रकारिता के बारे में बताते हुए कहा कि वह आमजन की सेवा को पत्रकारिता का लक्ष्य मानते थे. वहीं वर्तमान दौर की पत्रकारिता के बारे में उन्होंने कहा कि आज का मीडिया कॉरपोरेट हाउस का रूप ले चुका है. आज अधिकांश बड़े मीडिया हाउस के मालिक मीडिया के अलावा अन्य दूसरे व्यवसाय भी संचालित कर रहे हैं. क्रॉस मीडिया ऑनरशिप भी भारतीय पत्रकारिता में एक विचारणीय विषय है. गांधी जी ने पत्रकारिता के जिन लक्ष्यों को लेकर पत्रकारिता की, आज के पत्रकारों को उसका अनुसरण करना चाहिए. प्रो. सिंह ने भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना से लेकर अब तक के सफर के साथ ही इसके सीमित अधिकारों की भी चर्चा की.
कार्यक्रम का संचालन अंग्रेजी पत्रकारिता के विद्यार्थी अदम्य मिश्र ने किया जबकि कार्यक्रम की रूपरेखा जयंत सोनोने ने रखी. वहीं डॉ. आदित्य मिश्रा ने मुख्य वक्ता का परिचय दिया और चैतन्य पाटिल ने धन्यवाद ज्ञापन किया. इस अवसर पर बड़ी संख्या में मराठी, हिंदी और अंग्रेजी पत्रकारिता पाठ्यक्रम के विद्यार्थी उपस्थित थे. संस्थान के संजय पाखोडे, राजेश झोलेकर, नुरुज्जमा शेख, भूषण मोहोकर, राजेश कुमार, अनंत नांदूरकर, मंदा पवार, नंदा तुप्पट आदि ने कार्यक्रम की सफलता के लिए बहुमूल्य सहयोग प्रदान किया.

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