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शहर के 196 में से केवल 2 उद्यानों में ही स्वच्छता गृह

उद्यानों में घुमने-फिरने आने वालों को करना पडता है समस्या का सामना

* मनपा ने कई उद्यानों में ओपन जीम तो बनाए, स्वच्छता गृह बनाना भूल गई
* स्वच्छता गृह नहीं रहने से लोगबाग ‘आड’ या ‘सामट’ का लेते है सहारा
* उद्यानों में फैलती है गंदगी, तुरंत ध्यान दिया जाना बेहद जरुरी
अमरावती/दि.10– शहर में मनपा द्बारा कुल 196 बगीचे बनाए गए है. जिसमें से केवल 2 बगीचों में ही स्वच्छता गृह है और 194 बगीचों में स्वच्छता गृह की कोई व्यवस्था नहीं है. साथ ही जिन 2 स्थानों पर स्वच्छता गृह उपलब्ध है, वहां पर भी स्वच्छता गृहों की नियमित साफ-सफाई नहीं हो पाती. ऐसे में इन बाग-बगीचों में रोजाना सुबह-शाम घुमने-फिरने हेतु आने वाले बुजुर्ग नागरिकों तथा महिलाओं व पुरुषों को प्राकृतिक विधि निपटाने के संदर्भ में काफी समस्याओं व दिक्कतों का सामना करना पडता है. ऐसे में कई बार पुरुष वर्ग द्बारा ‘आड’ या ‘सामट’ का सहारा लेते हुए लघुशंका से फारिग हो लिया जाता है. परंतु इसकी वजह से धीरे-धीरे उद्यानों में गंदगी व दुर्गंध वाला माहौल बनने लगता है और इसकी वजह से ही उद्यानों में घुमने-फिरने हेतु आने वाले लोगों को काफी मुश्किलें होती है.

उल्लेखनीय है कि, एक ओर तो मनपा द्बारा शहर में बेहद अच्छे बाग-बगीचे तैयार किए गए है. जिन पर प्रतिवर्ष दो से ढाई करोड रुपए का खर्च किया जाता है. परंतु इसके बावजूद अत्यावश्यक रहने पर भी इन उद्यानों में प्रसाधन गृह क्यों उपलब्ध नहीं कराए गए, यह अपने आप में सबसे बडा सवाल है. कई बगीचों का निर्माण हुए 10 वर्ष से अधिक समय बीत चुका है. जिसमें से कई उद्यानों की स्थिति भी काफी हद तक खराब हो चुकी है और वहां बगीचे के नाम पर बेतरतीब झाड झंखाड उगे हुए है, ऐसे में शहर में अतित्व में रहने वाले कुल 196 में से केवल 100 उद्यान ही अच्छी स्थिति मेें है, जहां पर रोजाना सुबह-शाम लोगबाग घुमने-फिरने के लिए पहुंचे है. परंतु इसके बावजूद भी उन उद्यानों में नागरिकों की सुविधा को देखते हुए मनपा प्रशासन द्बारा प्रसाधन गृह की सुविधा उपलब्ध कराने का सौजन्य नहीं दिखाया गया. साथ ही जनप्रतिनिधियों द्बारा भी इस ओर कभी भी गंभीरतापूर्वक ध्यान नहीं दिया गया. जिसके चलते इन उद्यानों में प्रसाधन गृह की निर्मिति ही नहीं हो सकी.

उल्लेखनीय है कि, रोजाना सुबह-शाम खुली व ताजी हवा में घुमने-फिरने हेतु जाने वाले की शहर में अच्छी खासी संख्या है. पूरा दिन ताजगी भरा रहे तथा सुबह-सुबह मन प्रसन्न हो, इस हेतु कई लोगबाग सुबह के समय बाग-बगीचों में घुमने-फिरने हेतु जाते है. वहीं बाग-बगीचों के अल्हाददायक वातावरण में कई लोग व्यायाम व कसरत भी करते है. जिसे ध्यान में रखते हुए मनपा प्रशासन ने कई बाग-बगीचों में ओपन जीम भी बना रखे है. परंतु इसके बावजूद भी मनपा प्रशासन को नागरिकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए इन उद्यानों में स्वच्छता गृह बनाने की जरुरत महसूस नहीं हुई. जिसके चलते स्वच्छता गृह की अभाव रहने के चलते इन उद्यानों में घुमने-फिरने हेतु पहुंचने वाल लोगों को काफी समस्याओं व दिक्कतों का सामना करना पडता है. ऐसे में लोगबाग अब यह पूछने लगे है कि, वे इन बाग-बगीचों में अपना स्वास्थ्य सुधारने हेतु जाते है, या बिगाडने हेतु. साथ ही नागरिकों द्बारा शहर के सभी उद्यानों में महिलाओं व पुरुषों हेतु स्वतंत्र व स्वच्छ स्वच्छता गृहों का निर्माण किए जाने की भी मांग की जा रही है.

बता दें कि, अमरावती शहर में मनपा द्बारा पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण व मध्य ऐसे पांच झोन बनाए गए है. इन पांचों झोन में कुल 196 छोटे-बडे उद्यान है. जिसमें से 100 उद्यान अब भी अच्छी स्थिति में है. जहां पर रोजाना सुबह-शाम लोगबाग घुमने-फिरने हेतु पहुंचते है. परंतु इनमें से एक-दो को छोडकर ज्यादातर उद्यानों में स्वच्छता गृहों की कोई व्यवस्था नहीं है. जिसके चलते वहां पर घुमने-फिरने हेतु आने वाले लोगों को काफी समस्याओं व दिक्कतों का सामना करना पडता है. इन उद्यानों में एक ओर ओपन जीम की सुविधा व चेकर्स लगाकर तैयार किए गए ट्रैक के साथ ही आकर्षक सौंदर्यीकरण किया गया है. वहीं दूसरी ओर प्रसाधन गृहों का अभाव है. इससे अपने आप में विरोधाभास कहा जा सकता है. विशेष उल्लेखनीय है कि, अमरावती शहर में वैसे भी सार्वजनिक स्वच्छता गृहोंकी संख्या काफी कम है और मनपा के उद्यानों में तो सार्वजनिक स्वच्छता गृह नहीं के बराबर है. जिसकी वजह से लोगों को अच्छी खासी समस्याओं का सामना करना पड रहा है.

* झोन निहाय उद्यानों की संख्या
उत्तर झोन     53
मध्य झोन      10
पूर्व झोन        19
दक्षिण झोन    68
पश्चिम झोन    16
कुल            196

* प्रत्यक्ष भेंट देकर कर रहा हूं मुआयना
मैंने हाल ही में उद्यान विभाग का जिम्मा संभाला है. ऐसे में इन दिनों मैं शहर के उद्यानों को भेंट देते हुए वहां की स्थिति का अवलोकन कर रहा हूं. जिसके जरिए यह जानकारी सामने आयी है कि, इन उद्यानों में रोजाना सुबह-शाम घुमने-फिरने हेतु आने वाली महिलाओं व पुरुषों हेतु वहां पर स्वच्छता गृह का रहना आवश्यक है. जिसे उपलब्ध कराने हेतु हम तमाम प्रयास करेंगे. वहीं आज तक इस बात की ओर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया. यह बेहद खेदजनक बात है.
– श्रीकांत गिरी,
उद्यान अधीक्षक, मनपा

* तो हो सकती है कई बीमारियां
यदि काफी देर तक पेशाब को रोककर रखा जाता है और ऐसा बार-बार किया जाता है, तो इसकी वजह से कई तरह की बीमारियां हो सकती है. इसका सर्वाधिक परिणाम विशेष तौर पर महिलाओं पर होता है. क्योंकि बाहर निकलते समय लघुशंका को लेकर कोई दिक्कतन हो, इस बात के मद्देनजर वे घर से निकलते समय पानी ही नहीं पीते. ऐसे में उन्हें मुत्राशय से संबंधित कई तरह की बीमारियां होने की संभावना रहती है और इसका उनके स्वास्थ्य पर विपरित परिणाम पड सकता है. सार्वजनिक स्थान पर स्वच्छता गृह नहीं रहने पर पुरुष वर्ग तो ‘इधर-उधर’ होकर लघुशंका से फारिग हो जाते है. परंतु महिलाओं के लिए कहीं पर भी ऐसा करना संभव नहीं होता. ऐसे में महिलाओं की समस्या व दिक्कतों को देखते हुए मनपा प्रशासन ने शहर में उद्यानों के साथ-साथ सार्वजनिक स्थानों पर भी स्वच्छता गृहों की व्यवस्था उपलब्ध करवानी चाहिए.
– डॉ. सुयोगा पानट (देशपांडे),
स्त्री रोग व प्रसूति विशेषज्ञ

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