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वरूड-मोर्शी तहसील के संतरा उत्पादकों ने सरकार के खिलाफ लगाए नारे

आयात शुल्क हटाने की मांग

* तहसील कार्यालय के सामने किया आंदोलन
मोर्शी/दि.18– संतरे का आयात शुल्क हटाने की मुख्य मांग को लेकर वरूड-मोर्शी तहसील के संतरा उत्पादक किसानों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. तहसील के संतरा उत्पादकों ने उनकी विविध समस्याओं को लेकर मंगलवार, 17 अक्टूबर को विक्रम ठाकरे के नेतृत्व में एसडीओ कार्यालय के सामने धरना आंदोलन किया. मांगें पूर्ण न होने पर तीव्र आंदोलन की चेतावनी दी गई.
वरुड़ व मोर्शी तहसील को संतरे का कैलिफोर्निया कहा जाता है, क्योंकि यहां पर संतरे का उत्पादन बड़े पैमाने पर लिया जाता है. वरुड़ व मोर्शी तहसील के कुछ गांव ड्रायजोन में शामिल हैं, सिंचाई प्रकल्प भी अधूरे पड़े हैं. फिर भी किसान सिंचाई की सुविधा कर संतरे का उत्पादन लेता है. फिर मार्केट उपलब्ध नहीं होता. अतिरिक्त आयात कर लगाने से बांग्लादेश में भेजा जाने वाला 7-8 लाख किलो संतरा यहीं पड़ा है. लाख कोशिशों के बावजूद भी सरकार वह करने का प्रयास नहीं कर रही है. हिवरखेड़ के समीप ठानाठुनी में जैन संतरा प्रक्रिया प्रकल्प की घोषणा हवा में ही रह गई.

बजट में घोषित तथा ठानाठुनी में संतरा प्रक्रिया प्रकल्प तुरंत शुरू करें, तभी संतरे को स्थानीय स्तर पर बाजारपेठ उपलब्ध होगी. संतरा उत्पादकों को टूटने से बचाने के लिए सरकार ने आगे बढ़कर समस्याओं का निराकरण करना चाहिए. इन मांगों को लेकर मंगलवार को मोर्शी के उपविभागीय कार्यालय के सामने एक दिवसीय सांकेतिक धरना आंदोलन किया गया. संतरे पर प्रतिकिलो 88 रु. आयात शुल्क लगाए जाने से बांग्लादेश के आम नागरिक इतने महंगे संतरे नहीं खरीदेंगे व हजारों-लाखों टन संतरा यहीं पर पड़ा रहेगा. किसानों ने कहा कि, बांग्लादेश ने आयात शुल्क प्रतिकिलो 20 रु. से बढ़ाकर 88 रु. प्रतिकिलो किया है. इसलिए व्यापारियों ने संतरे बांग्लादेश में भेजना बंद कर दिया है, जिससे संतरा उत्पादकों का काफी नुकसान हो रहा है. संतरा उत्पादक किसानों को न्याय देकर बांग्लादेश में जाने वाले संतरों का आयात शुल्क तुरंत कम करें व संतरा प्रक्रिया प्रकल्प शुरू करें, ऐसी मांग विक्रम ठाकरे के नेतृत्व में ज्ञापन सौंपकर की गई है. वह मंजूर न होने पर तीव्र आंदोलन छेड़ने की चेतावनी हजारों संतरा उत्पादकों ने दी है.

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