अमरावती/दि.19 – बदनदर्द, पेटदर्द व सिरदर्द जैसे तकलीफ होने पर अक्सर की लोगबाग डॉक्टर को दिखाए बिना अपने ही मन से दवा विक्रेता के पास जाकर वेदनाशामक दवाईयां व गोलियां यानि पेन किलर खरीदकर उनका सेवन कर लेते है और कई लोगों को धीरे-धीरे पेन किलर लेने की आदत हो जाती है. परंतु हमेशा ही पेन किलर खाने की आदत के चलते पेट की अडतियों में हलचल होने की संभावना बन जाती है. जिसकी वजह से पेन किलर को जहां तक संभव हो, खुद से दूर ही रखना चाहिए.
इस संदर्भ में स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि, पेटदर्द जैसी समस्या यदि बार-बार महसूस होती है, तो उसका योग्य निदान करवाया जाना चाहिए. पेटदर्द होने के कई कारण हो सकते है. जिसमें से एक आंत का अल्सर भी हो सकता है. यदि फिजिशियन के पास जाकर दवा-गोली ली जाए, तो कुछ समय के लिए ठीक महसूस होता है, लेकिन यह तकलीफ लगातार जारी रहती है. यदि ऐसा बार-बार होता है, तो इसका अचूक निदान कराना चाहिए. इन दिनों एन्डोस्कोपी की सहायता से यह निदान करना सहज संभव है.
* आंत का अल्सर यानि क्या?
आंत की त्वचा में हुई जख्म को अल्सर कहा जाता है. यह जख्म कितनी बडी और कितनी गहरी है. इसे एन्डोस्कोपी के जरिए डॉक्टरों द्बारा सहज देखा जा सकता है. एन्डोस्कोपी की सहायता से सीधे आंत में दुरबीन डालकर जख्म किस तरह की है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. जिसके चलते कई बार पेट पर चिरा नहीं लगाए हुए ऑपरेशन के बिना ही आंत के अल्सर पर इलाज किया जा सकता है.
* कहां होता है अल्सर?
आंत का अल्सर प्रमुख तौर पर जठर (स्टमक) व छोटी आंत के शुरुआती हिस्से (डीओडीनम) इन स्थानों पर होने की संभावना अधिक रहती है. इसके अलावा बडी आंत (कोलोन) व अन्ननलिका (इसॉफिगस) में भी अल्सर हो सकता है.
* प्रमुख लक्षण
छोटी आंत का अल्सर – पेट में तेज दर्द होना, भोजन करने के बाद अथवा खाली पेट काफी अधिक वेदना होना.
बडी आंत का अल्सर – मरीज को रक्त मिश्रीत शौच होना तथा बार-बार शौच लगना.
अन्ननलिका का अल्सर – भोजन अथवा पानी गिटकते समय छाती में दर्द होना अथवा पानी के घुट या भोजन के कौर अटकना.
इसके अलावा आंत के अल्सर के कुछ दुर्लभ लक्षण भी होते है. इसके तहत भोजन करते समय जल्द ही पेट भरा हुआ महसूस होना, बीच में ही भोजन छोडकर उठ जाने की इच्छा होना, दिन भर पेट भरा हुआ महसूस होना और भूख नहीं लगना, रात को खाया गया अन्य बिना पचे सुबह अल्टी के जरिए बाहर निकलना तथ भोजन कम करने की वजह से वजन भी तेजी से घटकर कम होना.
* अल्सर का खतरा किसे अधिक?
मेडिकल स्टोअर में जाकर अक्सर ही अपने मन से सिरदर्द, बदनदर्द व पेटदर्द के लिए वेदनाशामक दवा-गोली लेने वाले लोग,
जिन्हें इससे पहले अल्सर हुआ है, ऐसे लोग,
तंबाखु, सिगरेट, बीडी अथवा किसी भी अन्य स्वरुप में तंबाखू का सेवन करने वाले लोग,
काफी अधिक मानसिक तनाव में रहने वाले और बेहद कम सोने वाले लोग,
ऐसे सभी लोगों को आंत का अल्सर होने का खतरा काफी अधिक होता है.
* योग्य उपचार नहीं करने पर होने वाले दुष्परिणाम
यदि अल्सर का निदान होने में विलंब होता है, तो यह जखम पेट में वैसे ही रह जाती है. जिसके चलते आंत में छेद पडकर तत्काल ऑपरेशन करने की नौबत आ जाती है. इसमें भी जखम यदि आडे-तीरछे तरीके से भर गई, तो आंत का रास्ता संकरा अथवा बंद हो सकता है. इसके अलावा बार-बार रक्तस्त्राव होकर सफेद पीलिया यानि एनिमिया हो सकता है.
* अल्सर पर इलाज
अल्सर की जखम कितनी बडी है, इसके आधार पर इलाज की दिशा तय होती है.
डेढ सेमी से कम आकार वाला अल्सर दवाओं से ठीक हो सकता है.
डेढ से दो सेमी वाला अल्सर रहने और इसमें से रक्तस्त्राव होने की स्थिति में मरीज पर दुरबीन के जरिए इलाज किया जा सकता है.
फट चुके अल्सर पर सीधे शल्यक्रिया भी करनी पडती है. ऐसे में अल्सर की अनदेखी नहीं करनी चाहिए.