विद्यापीठ परिसर में तेंदुए के संचार से फिर दहशत
वनविभाग का दल जुटा खोज में, जारी हैं पेट्रोलिंग
अमरावती/दि.7- संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ परिसर जंगल से सटकर रहने के कारण इस परिसर में तेंदुए का संचार आए दिन लगा रहता हैं. लेकिन पिछले कुछ दिनों से तेंदुआ कुलगुरु डॉ. दिलीप मालखेडे के बंगले के आस-पास दिखाई देता रहने से परिसर में दहशत व्याप्त हैं. कुत्तों के शिकार के लिए यह तेंदुआ इस परिसर में आता रहने की चर्चा हैं. लेकिन सुरक्षा रक्षक तेंदुए के संचार से दहशत में आ गए हैं. जानकारी मिलने पर वनविभाग का दल विद्यापीठ परिसर में पेट्रोलिंग करता हुआ तेंदुए की खोज में जुटा हुआ हैं.
वर्ष 2017 में विद्यापीठ परिसर के तालाब के पास तेंदुए ने एक गाय का शिकार किया था. तब से इस परिसर में तेंदुए लगातार दिखाई देने लगे हैं. विद्यापीठ परिसर में तेंदुए का संचार होता रहने से विद्यापीठ प्रशासन ने फलक लगाकर नागरिकों को इस परिसर में प्रवेश पर पाबंदी लगायी है, ऐसा रहा तो भी तेंदुआ शिकार की तलाश में परीक्षा विभाग, कुलगुरु के बंगले के पास और कैटिंग पर आता हुआ विद्यापीठ परिसर में लगे सीसीटी कैमरे के फुटेज देखकर जान पडा हैं. अतिथिगृह और कुलगुरु के बंगले के पास तेंदुए का दिखाई देना यह आए दिन की बात हो गई हैं. लेकिन पिछले कुछ दिनों से कुलगुुरु के बंगले के आस-पास यह तेंदुआ दिखाई देने से नागरिकों में दहशत व्याप्त हैं. इस संदर्भ में वनविभाग को जानकारी मिलते ही सोमवार को रेसक्यू दल विद्यापीठ परिसर में आ पहुंचा. उन्होंने पूरे परिसर को छान मारा लेकिन तेंदुए का पता नहीं चला. इस कारण वनविभाग के दल ने तेंदुए की खोज के लिए पेट्रोलिंग शुरु कर दी हैं.
पहले लगाए थे पिंजरे
विद्यापीठ परिसर में तेंदुए के बढते संचार को देखते हुए उसे पकडने के लिए वनविभाग ने पिंजरे भी लगाए थे. इस पिंजरे में बकरी भी बांधी गई, लेकिन तेंदुआ पिंजरे तक आता न रहने से उसे वहां से हटा दिया गया. पश्चात कभी-कभी वनविभाग का दल विद्यापीठ परिसर में गश्त भी लगाता था. लेकिन तेंदुआ जाल में नहीं फंसा लेकिन फिर से तेंदुए का संचार बढने से कोई अप्रिय घटना घटित होने से इन्कार नहीं किया जा सकता.
रखी जा रही है नजर
विद्यापीठ परिसर के आस-पास जंगल रहने से इस परिसर में तेंदुए हैं. विद्यापीठ में घने पेड, पानी रहने से तेंदुआ यहां अक्सर आता रहता हैं. कुलगुरु के बंगले के पास तेंदुआ दिखाई देने की जानकारी मिलने के कारण वनविभाग का दल काम में जुटा हैं. अभी तक वह दिखाई नहीं दिया हैं उपाय योजना जारी हैं.
– अमोल गावनेर, वनपाल रेसक्यू दल