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वर्धा नदी के किनारे साकार हो रही लाल मिट्टी की गणेश मूर्तियां

दिघी महल्ले में कुम्हारों की तीसरी पीढी ने अपनाया नया टे्रंड

अमरावती /दि.26– जिले के धामणगांव तहसील अंतर्गत दिघी महल्ले गांव में रहने वाले कुम्हारों ने इस बार लाल मिट्टी से गणेश प्रतिमाएं साकार करने का काम शुरु किया है. वर्धा नदी के किनारे करीब ढाई हजार की जनसंख्या वाले दिघी महल्ले गांव में कुम्हार समाज के 15 से 20 परिवार रहते है. जिनमें से 10 परिवारों द्बारा विगत तीन पीढियों से गणेश मूर्ति साकार करने का काम किया जा रहा है. इसमें से वझे परिवार के ओंकार वझे व उनके भाई श्रीकृष्ण एवं जानराव वझे के बाद अब तीसरी पीढी के ओमेश वझे द्बारा अपनी मूर्ति कला के जरिए भगवान श्रीगणेश की मूर्तियां साकार करते हुए गणेश आराधना की जा रही है.

* ऐसे तैयार होती है लाल मिट्टी की मूर्तियां
प्लास्टर ऑफ पैरिस की मूर्तियों का इंसानी जीवन पर विपरित परिणाम पडता है. वहीं शाडू मिट्टी से बनने वाली मूर्तियों की कीमत काफी अधिक होती है. ऐसे में स्थानीय कुम्हार परिवारों ने विगत मार्च माह में ही काटोल तहसील के सावरगांव से विशेष तरह की लाल मिट्टी मंगवाई थी. 100 फीट लाल मिट्टी का ट्रक 9 हजार रुपए में आता है. जिनसे बनने वाली मूर्तियों की साजसज्जा करने हेतु 10 हजार रुपए का रंग लगता है. वझे परिवार द्बारा सांचे की बजाय अपने हाथों से मूर्तियों को आकार दिया जाता है. यह प्रक्रिया मार्च माह से रक्षाबंधन के पर्व तक चलती है. इस दौरान बारिश के मौसम में मिट्टी से बनी मूर्तियों का बचाव करने हेतु इन कुम्हारों को काफी मेहनत व मशक्कत करनी पडती है.
* यह होती है विशेषता
लाल मिट्टी से बनने वाली मूर्ति विसर्जन के पश्चात पानी में तुरंत घुल जाती है. इस मूर्ति का घर में भी विसर्जन किया जा सकता है और इससे पानी व जमीन का प्रदूषण भी नहीं होता. साथ ही मिट्टी को दोबारा उपयोग में लाया जा सकता है. जिसके चलते लाल मिट्टी से बनी इन मूर्तियों की अमरावती व वर्धा जिले में अच्छी खासी मांग है.

* इस वर्ष हम लाल मिट्टी से गणेश मूर्ति तैयार कर रहे है. बेहद पर्यावरणपूरक रहने वाली यह मूर्तियां बेहद आकर्षक बन रही है. साथ ही इनके दाम भी अपेक्षाकृत तौर पर कम है. जिसकी वजह से इन मूर्तियों की अच्छी खासी मांग है.
– ओमेश वझे,
मूर्तिकार, दिघी महल्ले

* विगत तीन पीढियों से हमारे गांव के कुम्हारों द्बारा मिट्टी से बनने वाली मूर्तियां तैयार की जाती है और इस बार वे लाल मिट्टी से पर्यावरणपूरक गणेश मूर्तियां तैयार कर रहे है. जिन्हें खरीदने हेतु दूर दराज के लोग हमारे गांव पहुंच रहे है. यह हमारे लिए अभिमान वाली बात है.
– समीर महल्ले,
उपसरपंच, दिघी महल्ले.

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