पूर्व विधायक ज्ञानेश्वर धाने पाटिल की 20 वर्ष बाद भी वही आक्रामकता
शिवसेना दो फाड होने के बाद उद्धव ठाकरे की शिवसेना को मजबूत करने जुटे
* अनेक सामाजिक कार्यक्रम व आंदोलनों में सहभाग
* बडनेरा विधानसभा क्षेत्र में बढ रहा है प्रभाव
अमरावती/दि. 29– शिवसेना के पूर्व विधायक ज्ञानेश्वर धाने पाटिल की 20 वर्ष पूर्व की आक्रामकता अभी भी कायम दिखाई देती है. शिवसेना दो फाड होने के बाद उन्होंने उद्धव बालासाहब ठाकरे की शिवसेना पर विश्वास जताते हुए संगठन मजबूत करने के लिए लोगों से जनसंपर्क बनाए रख शाखाओं को खोलना शुरु किया है. साथ ही विविध आंदोलन व सामाजिक कार्यक्रमों में वे प्रमुखता से उपस्थित दिखाई देते हैं.
बता दें कि वर्ष 2022 के जून माह में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना से बगावत की थी. इस कारण महाविकास आघाडी सरकार गिर गई थी. पश्चात भाजपा के साथ हाथ मिलाकर एकनाथ शिंदे राज्य के मुख्यमंत्री बने. पश्चात शिवसेना के नेता व कार्यकर्ताओं का भी विभाजन होने लगा. कोई शिंदे गुट में तो कोई उद्धव ठाकरे गुट में कायम रहा. इसको लेकर राजनीति में काफी गरमाई. ऐसे में यहां के बडनेरा विधानसभा क्षेत्र के दो दफा यानी वर्ष 1995 से 2004 तक दो दफा शिवसेना विधायक रहे ज्ञानेश्वर धाने पाटिल समेत उनके समर्थकों ने उद्धव बालासाहब ठाकरे शिवसेना पर ही विश्वास जताया और संगठन को मजबूत करने के लिए और शिवसेना के इस गढ को बचाए रखने के लिए प्रयासरत हो गए. पार्टी की जिम्मेदारी मिलने के बाद धाने पाटिल अधिक सक्रिय हो गए. राणा दंपति के हनुमान चालीसा प्रकरण में भी धाने पाटिल काफी आक्रामक दिखाए दिए. उन्होंने स्थानीय स्तर पर आयोजित आंदोलनों में भी सक्रियता से सहभाग लिया और अपने सैकडों कार्यकर्ताओं के साथ खडे दिखाई दिए.
शिवसेना उबाठा पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के विरोध में किसी भी नेता व्दारा वक्तव्य किए जाने पर उन्होंने तत्काल जवाब देते हुए संबंधित नेता को आडे हाथों लिया है. जनसंपर्क अभियान के साथ-साथ उन्होंने भातकुली तहसील में अखिल भारतीय संत साहित्य परिषद का भी आयोजन किया. इसके अलावा पूर्व विधायक ज्ञानेश्वर धाने पाटिल आंदोलन, मोर्चे, सामाजिक कार्यो में हमेशा अगे्रसर रहते हैं. अपने कार्यकाल में उन्होंने क्षेत्र के विकास के लिए मनपा आयुक्त पर फाइल भी फेंकी थी. उस समय यह प्रकरण काफी चर्चा में रहा था. विधायकी जाने के बाद भी वे नागरिकों से लगातार जनसंपर्क में रहे है और हर छोटे-बडे कार्यक्रमों में उपस्थित रहते है. शिवसेना दो फाड होने के बाद इस वर्ष उनके अनेक कार्य प्रशंसनीय रहे हैं. संगठन की मजबूती, नागरिकों की समस्याओं के निवारणार्थ आवाज उठाना, सभी सामाजिक, राजनीतिक कार्यो में मौजूद रहना और हाल ही में शरद पवार गुट के विधायक व एनसीपी के युवा नेता रोहित पवार की युवा संघर्ष यात्रा के समय उन्होंने रोहित पवार से विशेष रुप से भेंट कर किसानों की विविध समस्याओं से अवगत कराकर उन्हें न्याय दिलाने का अनुरोध किया.
बडनेरा शहर के जयहिंद टॉकीज के मुद्दे पर भी वे पीडित व्यवसायियों के साथ भी रहे. विविध धार्मिक कार्यक्रम समेत क्रीडा प्रतियोगिताओं में भी वे नजर आए. पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए उन्होंने लोगों के घर में मंदिरों में रखी जाने वाली गणेश मूर्ति, लक्ष्मी मूर्ति समेत अन्य देवी-देवताओं की मूर्ति मिट्टी की लेने और उसे विसर्जित करने की संकल्पना रखी. इसके अलावा उद्धव ठाकरे के महत्वाकांक्षी ‘पोल खोल चर्चा’ कार्यक्रम का आयोजन सर्वाधिक बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र में उनके नेतृत्व में लिया गया. धाने पाटिल की इस सक्रियता के कारण शिवसैनिक भी सक्रिय हो गए हैं. बडनेरा में भी संगठन मजबूत होता जा रहा है. पुराने शिवसैनिक भी अब एकजुट होने लगे हैं. आगामी 9 वर्ष में शिवसैनिकों व्दारा पूर्व विधायक ज्ञानेश्वर धाने पाटिल व्दारा संगठन के लिए कुछ नया करने की अपेक्षा व्यक्त की है. उनकी सादगी और नागरिकों से सीधा संपर्क रहने से आगामी समय में उनके व्दारा क्षेत्र में कुछ नया करने की संभावना है. इस वर्ष में कुल मिलाकर वे सभी राजनीतिक, सामाजिक व अन्य गतिविधियों में सक्रिय रहे हैं.