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सोयाबीन को 6 हजार का हमीभाव देने से किसानों में संतोष

विदर्भ, मराठवाडा और कुछ पश्चिम महाराष्ट्र, उत्तर महाराष्ट्र के किसानों की नकद फसल के रुप में पहली पसंद बने सोयाबीन के उत्पादन बढाने तकनीक, खाद्य तेलो में स्वयंपूर्ण होने के उद्देश्य से प्रक्रिया उद्योगों को प्रोत्साहन एवं मूल्यवर्धन ऐसी मूल्य श्रृंखला तैयार कर लाखो सोयाबीन उत्पादक किसानों की आमदनी बढाने के उद्देश्य महायुति शासन ने अपने घोषणापत्र में रखा है. इस बार महायुति सरकार ने सोयाबीन को 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक हमीभाव देने की घोषणा की है. केंद्र सरकार ने राज्य की गारंटी पर 12 प्रतिशत आद्रता की मर्यादा 15 प्रतिशत तक बढाने से राज्य के लाखों सोयाबीन उत्पादकों को राहत मिली है. इस निर्णय का किसानों ने स्वागत किया है.

पिछले कुछ वर्षों में सोयाबीन का चलन बढा. विशेष कर असिंचित किसानों ने सोयाबीन को वरियता दी. हालांकि विश्व में केवल 3 प्रतिशत सोयाबीन की पैदावार भारत में होती है. इसलिए भारत सरकार सोयाबीन की दरों पर नियंत्रण नहीं रख सकती. दुनिया में सोयाबीन की सर्वाधिक पैदावार ब्राझील, अमेरिका, अर्जेंटिना, चीन के बाद भारत का नंबर लगता है. भारत में इस बार सोयाबीन का उत्पादन 131 लाख टन हुआ है.

राज्य में महायुति सरकार ने सोयाबीन उत्पादकों को दिलासा देने 5 हजार रुपए की सहायता घोषित की. उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बाजार में एमएसपी से कम रेट रहने पर भावांतर योजना घोषित की. इसके अनुसार किसानों को न्यूनतम दर और मार्केट में भेजे गए सोयाबीन के रेट में जो अंतर रहेगा वह भावांतर योजना से किसानों को मिलेगा.

सोयाबीन की रेट सोया पेंड की मांग पर निर्भर रहते है. भारत में इथेनॉल निर्मिती को प्रोत्साहन देने से मका पेंड सस्ती दरों पर उपलब्ध हुई है. जिससे सोयाबीन पेंड पडी रह गई. प्रक्रिया उद्योजक भी परेशान हो गए. यह पेंड निर्यात होने तक सोयाबीन पेंड के रेट नहीं बढेंगे. इसलिए सरकार ने सोया पेंड निर्यात को प्रोत्साहन अनुदान देने की मांग भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा ने सरकार से की है. सरकार ने इस बार 4892 रुपए प्रति क्विंटल एमएसपी घोषित किया है. फिर भी किसानों को 4200 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास सोयाबीन बेचना पडा है.

दिनोंदिनो सोयाबीन का रकबा बढ रहा है. अगले वर्ष भी उसमें बढोतरी होगी. महायुति शासन ने सोयाबीन उत्पादक किसानों को अच्छे दाम के लिए प्रक्रिया उद्योग शुरु करने की घोषणा अपने घोषणापत्र में की है. सोयाबीन से केवल 18 प्रतिशत खाद्य तेल तैयार होता है. बाकी समस्त सोयाबीन उद्योग और पशु आहार हेतु उपयोग में आता है. केंद्र और राज्य सरकार के निर्णय से सोयाबीन के रेट बढनेवाले है. किसानों को सोयाबीन का मूल्यवर्धन मिलेगा. प्रक्रिया उद्योगों के कारण सोयाबीन तेल करी दरें स्थिर रहेगी.

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