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शिंदे गट का व्हीप अवैध रहने से सरकार को झटका

फ्लोर टेस्ट का सामना करना पड सकता है

मुंबई दि.11– उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने एकनाथ शिंदे गट के प्रतोद (व्हीप) भरत गोगावले की नियुक्ति गैर कानूनी बताना शिंदे-फडणवीस सरकार के लिए सबसे बडा झटका बताया जा रहा है. भविष्य में राज्य सरकार के विरोध में अविश्वास प्रस्ताव दाखिल होने पर ठाकरे गट शिंदे गट के 40 विधायकों को व्हीप जारी कर विरोध में मतदान करने का हुक्म दे सकता है. इस प्रकार की राय कानून के जानकार व्यक्त कर रहे हैं. उनका कहना है कि, विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को भी ठाकरे गट के प्रतोद सुनील प्रभू व्दारा जारी व्हीप को मान्यता देनी पडेगी.
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में कहा जा रहा है कि, केंद्रीय चुनाव आयोग ने शिंदे गट को मूल शिवसेना पार्टी के रुप में मान्यता देते समय केवल जनप्रतिनिधि की संख्या ध्यान में ली थी, कोर्ट ने यह निर्णय भी गलत ठहराया है. जिससे विधान मंडल ने ठाकरे गट का व्हीप मानना शिवसेना विधायकों के लिए बंधनकारक रहेगा. अन्यथा उनकी सदस्यता रद्द हो सकती है. यह सब देखते हुए लगता है कि, मविआ व्दारा सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने पर शिंदे सरकार खतरे में पड सकती है. ऐसे ही अध्यक्ष नार्वेकर के विरुद्ध भी अविश्वास प्रस्ताव की नोटिस देने पर कोर्ट व्दारा नबम रेबिया प्रकरण में दिए गए निर्णयानुसार नार्वेकर पर प्रस्ताव से पहले सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करना होगा.
शिंदे गट के 40 विधायकों व्दारा सरकार और स्पीकर के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करने का व्हीप जारी होने पर सरकार की स्थिरता खतरे में पड सकती है. व्हीप की अवहेलना करने पर शिंदे गट के विधायकों पर अपात्रता की कार्रवाई की तलवार लटगेगी. अध्यक्ष पर विश्वास प्रस्ताव मंजूर होने पर 1 साल तक अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता. इसलिए नार्वेकर के खिलाफ ऐसा प्रस्ताव लाया जा सकता है क्या, इस मुद्दे पर कानूनी दिक्कत विपक्ष के सामने आ सकती है. अगले कुछ दिनो में राज्य सरकार को अविश्वास प्रस्ताव का मुकाबला करना पडेगा, ऐसे संकेत है. व्हीप के मुद्दे पर उच्च व सर्वोच्च न्ययालय में फिर कानूनन और राजनीतिक लडाई होगी. जिससे शिंदे सरकार अभी बच गई मगर उस पर अस्थिरता की तलवार कायम है.

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