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संपत्ति के वारिस के लिए चाहिए बेटा, युवती पर अत्याचार

आर्थिक व्यवहार संभालने दिया विश्वास हासिल किया

छ.संभाजीनगर दि.27 – प्राध्यापक रहने से वेतन बेतहाशा, साथ ही मसाले का उद्योग भी अच्छा होने से अपनी संपत्ति का कोई तो वारिस होना चाहिए, ऐसा विचार दिल में आनेवाले प्राध्यापक पति-पत्नी को बेटा चाहिए था. दो बेटियां होने के बाद अनेक बार प्रयास करने के बावजूद बेटा नहीं हुआ. आखिरकार छात्रा के साथ संबंध रख उससे बेटा होने के बाद वह बेटा खुद अपना लेने का और छात्रा को छोड देने की साजिश आरोपियों ने रची रहने की जानकारी पुलिस सूत्रों ने दी.
डॉ. बाबासाहब आंबेडकर मराठवाडा विद्यापीठ के प्राध्यापक डॉ. अशोक बंडगर और उसकी पत्नी पल्लवी बंडगर नामक दंपति के विरोध में छात्रा पर लैंगिक अत्याचार करने का मामला बेगमपुरा थाने में मंगलवार की रात दर्ज किया गया. दोनों आरोपी मामला दर्ज होते ही फरार हो गए हैं. सूत्रों के मुताबिक प्रा. बंडगर को दो बेटी है. उसने पत्नी की सहायता से मसाला उद्योग शुरु किया था. यह उद्योग अच्छा चलने के बाद करोडो रुपए का व्यवहार होने लगा. लेकिन बेटा न रहने दुख इस दंपति को था. ऐसे में वर्ष 2019 में ऑनलाइन पहचान हुई युवती को जाल में फंसाया गया. इस युवती की मां का निधन हो गया है. पिता लगातार बीमार रहते हैं. बहन और छोटे भाई की देखकर प्रा. बंडगर ने इस युवती को अपने प्रेमजाल में फंसाया. घर में ही पेंनगेस्ट के रुप में रखने के बाद पीडिता के साथ माता-पिता की तरह बर्ताव किया जाने लगा. उसका विश्वास संपादित करने के लिए आर्थिक व्यवहार भी संभालने दे दिया. पश्चात अत्याचार किया. इस बाबत किसी को बताने पर चोरी का आरोप लगाने की धमकी दी गई. पीडिता व्दारा बंडगर की पत्नी को यह बात बताई तब उसने भी इसके लिए सहमती पती को दी रहने की बात कही. तब पीडिता के पैरों तले जमीन खिसक गई.

* तीन माह पूर्व आत्महत्या का प्रयास
पीडित युवती बंडगर दंपति के अत्याचारों से त्रस्त हो गई थी. उसने आत्महत्या करने का विचार तीन माह पूर्व किया था. लेकिन उसकी सहेली व्दारा समझाए जाने के बाद शहर के एक विख्यात मानसोपचार तज्ञ के पास उसका उपचार किया गया. उस विशेषज्ञ ने पीडिता का समुपदेशन कर आत्महत्या के विचार से परावृत्त किया, ऐसा सूत्रों ने कहा.

* कुलगुरु ने भी समझाया
पीडित छात्रा अपने गांव गई थी. उसे बार-बार फोन कर बंडगर दंपति उसे बुला रहे थे. इस कारण भयभीत युवती ने 19 अप्रैल को विद्यापीठ की विशाखा समिति के पास शिकायत दर्ज की. इस शिकायत को देखकर कुलगुरु को झटका लगा. उन्होंने छात्रा को बुलाकर समझाया. तब छात्रा ने पुलिस तक जाने का साहस किया.

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