चार लोगों के हत्याकांड में बेटे को 30 साल की सजा, पिता को उम्रकैद
हाईकोर्ट का सुधारीत निर्णय, फांसी सजा रद्द की गई
* अकोला जिले की घटना
नागपुर/दि.14– अकोला जिले के तेल्हारा तहसील के हिवरखेड थाना क्षेत्र में खेती के विवाद पर घटित 4 रिश्तेदारों के हत्याकांड में मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने बुधवार को आरोपी बेटे को 30 साल सश्रम कारावास और पिता को उम्रकैद की सुधारीत सजा सुनाई. जबकि मां को बरी कर दिया. न्यायमूर्ति विनय जोशी व अभय मंत्री ने यह फैसला सुनाया.
जानकारी के मुताबिक सजा सुनाए गए आरोपियों के नाम श्याम उर्फ कुंदन हरीभाऊ तेलगोटे (24), हरीभाऊ राजाराम तेलगोटे (55) और द्वारकाबाई हरीभाऊ तेलगोटे (50) है. वे राहुल नगर अकोट के रहनेवाले है. अकोट सत्र न्यायालय ने 17 मई 2024 को इन तीनों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी. फौजदारी प्रक्रिया संहिता की धारा 366 के मुताबिक फांसी की सजा अमल में लाने के लिए इस पर उच्च न्यायालय द्वारा मुहर लगाना अनिवार्य है. इस कारण राज्य सरकार ने यह प्रकरण उच्च न्यायालय के सामने प्रस्तुत किया था. साथ ही आरोपियों ने भी सत्र न्यायालय के फैसले के खिलाफ चुनौती दायर की थी. इस पर गत 17 अक्तूबर को अंतिम सुनवाई हुई. पश्चात न्यायालय ने रोक रखा फैसला बुधवार को सुनाया. आरोपियों ने काफी क्रूर कृत्य नहीं किया. इस कारण उन्हें फांसी सजा नहीं दी जा सकती, ऐसा फैसले में स्पष्ट किया गया. रिश्तेदारों को आरोपी श्याम और हरीभाऊ तेलगोटे नामक पिता-पुत्र ने तीक्ष्ण हथियार से वार कर जान से मार दिया. यह प्रस्तुत किए गए सबूतो से स्पष्ट हुआ है. श्याम तेलगोटे इस घटना में काफी क्रूर दिखाई दिया. इस कारण न्यायालय ने उसे कारावास की सजा में छुट मिलने के लिए अपात्र ठहराते हुए उसके कारवास की कालावधि निश्चित कर दी. हरीभाऊ तेलगोटे सजा में छुट मिलने के लिए पात्र है. उसकी 14 साल के कारवास की सजा समाप्त होने के बाद राज्य सरकार इस संदर्भ में कानून के मुताबिक निर्णय ले सकती है. द्वारकाबाई के खिलाफ मामला सबूतो के अभाव में सिद्ध नहीं हो पाया.
* ऐसे घटित हुआ हत्याकांड
मृतको में धनराज सुखदेव चर्हाटे, उसके बेटे शुभम और गौरव और भाई बाबुराव का समावेश है. आरोपी द्वारकाबाई यह धनराज और बाबुराव की बहन है. उसे मायके की खेती में हिस्सा चाहिए था. इस कारण उसका भाई के साथ विवाद शुरु था. 28 जून 2015 को द्वारकाबाई मालपुरा परिसर के विवादास्पद खेत में सरकी तोडने के लिए गई थी. उस समय उसका धनराज, शुभम और गौरव के साथ विवाद हुआ. पश्चात द्वारकाबाई ने अन्य आरोपियों को फोन कर बुलाया. आरोपियों ने संबंधित चारों की दराती, चाकू और कुल्हाडी जैसे घातक शस्त्रों से हत्या की, ऐसा सरकारी पक्ष का कहना था.
* फांसी की सजा अवैध थी
सत्र न्यायालय ने आरोपियों को सुनाई फांसी की सजा अवैध थी. उच्च न्यायालय ने इस प्रकरण के सबूतो की गहन जांच तथा उस पर गहन विचार कर यह सजा रद्द की और द्वारकाबाई को बरी कर दिया.
– एड. राजेंद्र डागा, आरोपी के वकील.
* सरकार अपील करेगी
आरोपियों ने चार रिश्तेदारों की निर्ममता से हत्या कर क्रूर स्वरुप का कृत्य किया है. इस कारण वे फांसी की सजा के लिए ही पात्र है. राज्य सरकार इस निर्णय के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर करेगी.
– एड. संजय डोईफोडे, अतिरिक्त सरकारी वकील.