* स्लैस के सर्वेक्षण में उजागर हुई वस्तुस्थिति
अमरावती/दि.29– विद्यार्थियों का मराठी और गणित विषय का शैक्षणिक स्तर कितना है. उन्हें क्या दुविधा आती है और उस दुविधा को दूर करने के लिए क्या करते आ सकता है इसके लिए राज्यस्तरीय अध्ययन संपादणुक सर्वेक्षण (स्लैस) राज्य शैक्षणिक संशोधन व प्रशिक्षण परिषद के जरिए किया गया था. इस सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक जिले के ग्रामीण इलाकों के विद्यार्थी शहरी इलाकों के विद्यार्थियों से अभ्यास में होनहार रहने की बात सामने आई है. इस सर्वेक्षण में जिले के 2 हजार 793 शाला के कक्षा तीसरी, पांचवीं और आठवीं के 6 हजार 338 विद्यार्थी शामिल हुए थे.
सर्वेक्षण में शामिल जिले के तीसरी कक्षा के विद्यार्थियों की मराठी भाषा के संपादणुक 70.86 प्रतिशत तथा गणित में 61.47 प्रतिशत है. इसमें ग्रामीण इलाकों के विद्यार्थियों की संपादणुक 71.66 प्रतिशत तथा शहरी इलाकों की 65.96 प्रतिशत है. जबकि गणित की संपादणुक 61.47 प्रतिशत है. ग्रामीण इलाकों के विद्यार्थियों का प्रतिशत 61.62 तथा शहरी इलाकों का 54.18 प्रतिशत है. साथ ही पांचवी के मराठी विषय में विद्यार्थियों की संपादणुक 60.20 प्रतिशत है. ग्रामीण इलाकों के विद्यार्थियों का प्रतिशत 61.57 तथा शहरी इलाकों के विद्यार्थियों का प्रतिशत 55.82 है. गणित की संपादणुक 60.70 प्रतिशत है. इसमें ग्रामीण इलाकों के विद्यार्थियों का प्रतिशत 61.92 तथा शहरी इलाकों के विद्यार्थियों का प्रतिशत 52.68 है. साथ ही आठवी के मराठी विद्यार्थियों का संपादणुक 66.82 प्रतिशत है. ग्रामीण इलाकों के विद्यार्थियों का प्रतिशत 67.22 तथा शहरी इलाकों के विद्यार्थियों का प्रतिशत 65.15 प्रतिशत है. उसी समय गणित की संपादणुक 44.61 प्रतिशत है. इसमें ग्रामीण इलाकों के 45.08 तथा शहरी इलाकों के विद्यार्थियों का प्रतिशत केवल 35.56 है. इससे दोनों विषय में तीसरी, पांचवीं और आठवीं में पढनेवाले ग्रामीण इलाकों की शाला के विद्यार्थी अभ्यास में अव्वल दिखाई देते हैं. इस सर्वेक्षण में शासकीय, स्थानीय स्वराज्य संस्था, निजी अनुदानित शाला में से 2 हजार 793 शाला की 6 हजार 338 विद्यार्थियों का समावेश किया गया था. जिसमें अंग्रेजी माध्यम के तथा निजी बिना अनुदानित शाला के विद्यार्थियों का समावेश नहीं है. शहर की तुलना में ग्रामीण इलाकों में भौतिक व अन्य सुविधा का अभाव बताया जाता है. फिर भी ग्रामीण इलाकों के विद्यार्थी अव्वल रहने की बात सर्वेक्षण में सामने आई है.
* ऐसा हुआ सर्वेक्षण
सर्वेक्षण के दौरान कक्षा तीसरी और पांचवीं के मराठी विषय के 20 प्रश्न तथा गणित विषय के 25 प्रश्न ऐसे कुल 45 प्रश्न थे. इसके लिए 24 पन्नों की प्रश्नपत्रिका थी. प्रत्येक विद्यार्थी 90 मिनट का समय दिया गया था. साथ ही आठवीं के विद्यार्थियों के लिए मराठी के 25 तथा गणित के 35 ऐसे कुल 60 प्रश्न थे. 24 पन्नों की प्रश्नपत्रिका थी. इसके लिए 2 घंटे का समय दिया गया था.
* विद्यार्थी सुधारने के लिए की सिफारिश
– मराठी के लिखित पत्र आंकलन समेत वाचन पर जोर दें.
– मनोरंजक खेल, वाचन, साहित्य डिजिटल साहित्य का पूरक इस्तेमाल करें.
– आंकलन में पीछे पडने वाले विद्यार्थियों को अतिरिक्त मार्गदर्शन की आवश्यकता.
– जिला शिक्षण व प्रशिक्षण संस्था की सहायता से कृषि कार्यक्रम तैयार करें.
– जो शाला इस सर्वेक्षण में शामिल नहीं है वे जिला संपादणुक की आंकडेवारी आधारभूत मानकर संपादणुक बढाने के लिए कक्षा और शाला स्तर पर शैक्षणिक उपक्रम का प्रभावी रुप से नियोजन करें.
* संपादणुक सर्वेक्षण में भी छात्रों की तुलना में छात्राएं आगे
कक्षा विषय छात्र छात्राएं (प्रतिशत)
तीसरी मराठी 72 69
गणित 61 59
पांचवीं मराठी 63 57
गणित 62 57
आठवीं मराठी 69 66
गणित 44 43