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सुरेंद्र घरडे व रमा घरडे धम्म अभ्यासन के लिए थायलंड रवाना

अमरावती / दि. 9-मेत्ता बहुउद्देशीय संस्था के संचालक मंडल थायलंड सुवर्णभूमि बैंकॉक, पटाया, अयुथय्या, धम्मकाया में बुध्द के धम्म का थाई लोग कैसे आचरण करते है तथा थाई व भारत के बौध्द अनुयायियों के आचरण में क्या समानता और क्या असमानता है व बुध्द धम्म विषय में थाई लोगों के मन में श्रध्दा क्यों दिनों दिन बढ रही है. उसी प्रकार थाई लोगों के जीवन में बौध्द धम्म अविभाज्य घटक होने का मुख्य कारण क्या है? इसका नजदीक से अवलोकन करने के उद्देश्य से तथा वैशाख पौर्णिमा यहां किस प्रकार से उत्साह से मनाते है. कारण इस पवित्र दिन बुध्द भगवान का जन्म हुआ. उसी प्रकार ज्ञान प्राप्ति व उनका महापरिनिर्वान इसी दिन हुआ. इस ‘वैशाख पूर्णिमा’ का उत्सव समारोह देखने के लिए सुरेन्द्र घुरडे व रमा घुरडे यह थायलंड में ‘धम्मकाया फाउंडेशन’ मेें बुध्द धम्म का अभ्यास करने के लिए जा रहे है. थायलंड यात्रा के लिए मित्र परिवार ने बहुत- बहुत शुभकामनाएं दी. यह यात्रा तुम्हारे लिए आनंददायी और अविस्मरणीय हो. यात्रा दौरान तुम सुरक्षित और आनंदीत रहो. यह इच्छा व्यक्त की. इस धम्म ट्रीप में वसुंधरा साखरे, कमलाबाई भानुदास ढवले, संजय भानुदास ढवले, अश्विनी मधुकर साखरे, रूष्दा संजय ढवले, मधुकर बेनदोजी साखरे, शशिकला साखरे, प्रताप पांडूरंग सोमकुवर, वैशाली प्रताप सोमकुवर, प्रा. रत्नमाला धारबा धुले, धीरज युवराज बागडे, आयु. लक्ष्मी युवराज बागडे यह सभी धम्म ट्रीप के लिए जा रहे है. उन्हें यात्रा के लिए शुभकामना देने के लिए डॉ.कमलाकर गोवर्धन, माया गेडाम, आर.एस. तायडे, कुमुदिनी मेश्राम, धर्मशील गेडाम, विलास थोरात, अजय रामटेके, आयुष घरडे, जयश्री बागडे, सुरम्य घरडे, डॉ. बाबासाहेब अभ्यासिका के सदस्य व विद्यार्थियों ने यात्रा के लिए शुभकामना दी है.

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