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अमरावती में पहली बार डॉ. नीरज राघानी द्वारा टीएवीआर कार्डियक प्रक्रिया, 72 वर्षीय मरीज़ पर

जेनिथ अस्पताल में दुर्लभ सर्जरी सफल

अमरावती/दि. 6– जेनिथ अस्पताल में पहली बार एक दुर्लभ ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) सर्जरी की गई। यह एक बहुत ही दुर्लभ और जटिल प्रक्रिया है गत 3 दिसंबर को 72 वर्षीय महिला पर की गई. टीएवीआर प्रक्रिया विदर्भ के सुप्रसिद्ध इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. नीरज राघानी और उनकी टीम द्वारा की गई. यह जेनिथ अस्पताल के साथ-साथ अमरावती के सभी डॉक्टर्स के लिए गर्व और उत्कृष्ट उपलब्धि का विषय है.

इस मरीज को गंभीर वाल्व रुकावट थी जिसे एओर्टिक स्टेनोसिस कहा जाता है, इसके लिए वह वाल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी के लिए नागपुर गई थी जो एक ओपन हार्ट सर्जरी है. पाया गया कि मरीज की हृदय वाहिकाओं में रुकावटें थीं. वह दूसरी राय के लिए अमरावती में हमारे पास आई थी, जब हमने रोगी का मूल्यांकन किया, तो वह मोटापे से ग्रस्त थी और उसे उच्च रक्तचाप और मधुमेह का इतिहास था और ओपन हार्ट सर्जरी के लिए बहुत अधिक जोखिम था. डॉ. नीरज राघानी ने टीएवीआर तकनीक से मरीज का इलाज करने का निर्णय लिया. इसलिए रोगी के मूल्यांकन के बाद हमने उन्हें नॉन -सर्जिकल वाल्व प्रतिस्थापन का विकल्प दिया है जिसे ट्रांसक्यूटेनियस एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट कहा जाता है जिसे टीएवीआर भी कहा जाता है, रोगी और रिश्तेदारों द्वारा समझने के बाद प्रक्रिया को स्वीकार किया गया और प्रक्रिया एक छोटी सुई द्वारा रोगी की ग्रोइन (पेट और जांघ के बीच का भाग) से की गई . मरीज की छाती और मरीज के वाल्व पर कोई चीरा लगाए बिना इस प्रक्रिया को पूरा करने में लगभग एक घंटे का समय लगा, जो बहुत बुरी तरह से जाम हो गया था, जो की टीएवीआर तकनीक द्वारा पूरी तरह खुल गया और अगले दिन ही मरीज बिना किसी लक्षण के चलने लगा.
जेनिथ हॉस्पिटल की अत्याधुनिक कैथ लैब में 4 घंटे तक चली प्रक्रिया में मरीज का सफल इलाज किया गया.

* जेनिथ अस्पताल में सफलता
डॉ. नीरज राघानी ने कहा. एओर्टिक स्टेनोसिस एक ऐसी स्थिति है जहां महाधमनी वाल्व, जो हृदय और शरीर के बाकी हिस्सों को जोड़ता है वह स्टेनोज़ हो जाता है यानी प्रतिबंधित हो जाता है. ऐसा वाल्व हृदय से शरीर के बाकी हिस्सों में रक्त के प्रवाह को बाधित करता है. डॉ. नीरज राघानी ने बताया कि इस तरह की गंभीर एओर्टिक स्टेनोसिस हृदय की मांसपेशियों में महत्वपूर्ण तनाव डालती है, जिसे अब रक्त पंप करना पड़ता है, जिससे परिश्रम करने पर सांस फूलना, सीने में दर्द, चक्कर आना और बेहोशी जैसे कई लक्षण होते हैं. यह प्रक्रिया डॉ. नीरज राघानी, डॉ. मनोज अग्रवाला, डॉ. अभिषेक भडांगे (कार्डियक एनेस्थेसियोलॉजिस्ट) के नेतृत्व में और श्रवण कुमार रेड्डी और जेनिथ कैथलैब टीम के सूरज तेलंग, कृपा मेश्राम, मेघा गिरि, गोपी नाथ, राहुल रोकड़े, दीपक लोंढे के विशेष सहयोग से की गई.

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