-
तीसरे व्यक्ति की सुबह से खोज जारी
-
रेस्क्यू टीम ने सुबह ६ बजे से शुरु किया सर्च ऑपरेशन
वलगांव/प्रतिनिधि/ दि.४ – वलगांव से तीन किलोमीटर दूर आमला गांव के पास पेढी नदी से जुडने वाले नाले में आयी बाढ में रविवार की रात ११.३० बजे ४ युवक बह गए थे. जिसमें से एक बच निकलने में सफल रहा. तीन में से कल सोमवार की सुबह नाले के रपटे से कुछ दूरी पर एक युवक की लाश बरामद हुई. उसके बाद रेस्क्यू टीम ने बाढ के पानी में ७ किलोमीटर सफर तय कर पेढी नदी से दूसरे युवक की लाश बाहर निकाली. मगर ३६ घंटे बीत जाने के बाद भी तीसरा व्यक्ति नहीं मिला. सुबह ६ बजे से ही आपताकालीन विभाग की रेस्क्यू टीम उसकी खोज में निकल पडी है. विनायक विश्वासराव कोरे यह नाले की बाढ में बहने के बाद सकुशल बचकर बाहर निकलने वाले युवक का नाम है. अंकुश सुरेशराव सगणे (२५) यह कल सोमवार की सुबह मृत अवस्था में मिले युवक का नाम है. पद्माकर गोवर्धन वानखडे (४५) यह कल शाम के वक्त घटनास्थल से ७ किलोमीटर दूर संत गाडगे बाबा वृध्दाश्रम के पास पेढी नदी में मृत अवस्था में मिलने वाले व्यक्ति का नाम है. सतीश अन्नाजी भुजाडे (४०) यह बाढ में बह जाने के बाद अब तक नहीं मिल पाये.
रेस्क्यू टीम युध्दस्तर पर खोज कर रही है. कल देर शाम तक खोज करने के बाद भी सतीश का कोई पता नहीं चला. जिला प्रशासन के आपातकालीन विभाग अंतर्गत काम करने वाली रेस्क्यू टीम आज सुबह ६ बजे से अपने सभी साजोसामान के साथ सतीश भुजाडे की खोज में निकल गई है. खबर लिखे जाने तक सतीश का कोई पता नहीं चल पाया था. बता दे कि पद्माकर, सतीश, अंकुश और विनायक यह चारों दोस्त दो मोटरसाइकिल व्दारा रात के समय वलगांव से आमला गांव जा रहे थे. इस दौरान काफी तेज बारिश होने की वजह से वलगांव से तीन किलोमीटर दूर आमला गांव से पहले पेढी नदी के जोड नाले के रपटे के उपर से बाढ का पानी तेजी से बह रहा था. यह रपटा काफी निचला बना हुआ है. चारों दोस्तों को अपने गांव लौटना था तब उन्होंने रपटे से कुछ दूर नाले के पास अपनी मोटरसाइकिल खडी की और पद्माकर, सतीश, अंकुश व विनायक ने एक दूसरे का हाथ पकडकर चेन बनाते हुए नाला पार करने का प्लान बनाया. चारों एक दूसरे का हाथ पकडकर नाला पार करने लगे मगर बाढ का पानी इतने अधिक तेजी से बह रहा था कि अंकुश का हाथ छूट गया. जिससे चारों लडखडाकर पानी में गिरने के साथ ही बाढ के बहाव में बहने लगे, मगर सौभाग्य से विनायक कोरे के बाढ में बहते समय नाले के किनारे की झाडियां हाथ लग गई. जिसके चलते वे झाडियां पकडकर जैसे तैसे बाहर निकल गए. मगर तीनों तेज बहाव में बहते चले गए. दूसरे दिन सुबह रेस्क्यू टीम ने नाले के रपटे से कुछ दूरी पर अंकुश की लाश खोज निकाली, इसके बाद सर्च ऑपरेशन जारी रहा. शाम होते होते घटनास्थल से ७ किलोमीटर दूर पेढी नदी में पद्माकर की लाश मिली. आज सुबह ६ बजे से तीसरे व्यक्ति की तलाश जारी है.
* दोपहर १ बजे अंकुश के पार्थीव पर अंत्यसंस्कार
अंकुश की लाश मिलने के बाद पुलिस ने घटनास्थल का पंचनामा कर लाश पोटमार्टम के लिए रवाना की. पोस्टमार्टम के पश्चात दोपहर १ बजे गांव के हिन्दू स्मशान भूमि में गांववासियों ने नम आंखो से अंतिम बिदाई दी. अंतिम संस्कार के बाद गांववासी फिर दूसरे की तलाश में खोज अभियान में जूट गए.
* पद्माकर ठेकेदारी का काम करते थे
पद्माकर वानखडे ठेकेदारी का काम करते थे. उनके पश्चात मां तारोना, पत्नी अर्चना, और दो बेटी करुणा व प्रिती तथा एक बहन है. बहन को घटना की जानकारी मिलते ही वह रात के समय आमला गांव पहुंची. पद्माकर घर में एकमात्र कमाई करने वाले थे. अब घर का भरनपोषण कैसे होगा, यह चिंता का विषय बन गया है.
* सतीश की किराना दुकान है
सतीश के पश्चात पत्नी चंचला, मां सुशिला तथा मनाली, ईश्वरी, श्रावणी यह तीन बेटी और पांच वर्ष का प्रथमेश एक बेटा है. सतीश की गांव में किराना दुकान होने के कारण गांव के सभी युवक उनकी दुकान पर आते थे. उधारी में किराना या किसी की भी सहायता के लिए कभी मना नहीं करते थे. उनके जाने के बाद परिवार की स्थिति काफी दयनीय हो गई. बॉ्नस
* अंकुश अविवाहित था
नाले की बाढ में बहकर गए तीनों के परिवार की दुनिया उजड गई है. अंकुश सगणे अविवाहित था. माता-पिता व बडा भाई पंकज ऐसा परिवार है. पंकज मुंबई में रहता था, इसके कारण मां लता व पिता सुरेश को संभालने की जिम्मेदारी अंकुश पर ही थी. प्लंबर का काम करते हुए वह खेती भी संभालता था. बैक पेज, फोटो कैप्शन, अक्षय फोल्डर ४९८१ अमरावती-स्थानीय कांता नगर परिसर में इन दिनों वृक्षारोपण का काम किया जा रहा है. ऐसे में इस परिसर में लगाये जानेवाले छोटे-छोटे पौधों को सुरक्षा देने हेतु यहां रहनेवाले एक व्यक्ति द्वारा बाबागाडी के जरिये बडी मेहनत से ट्री गार्ड ले जाये गये. (फोटो-अक्षय नागापुरे)