सडक किनारे ही सही, अपना धंधा है इसका सुकून
प्रमोद और मालती भटकर मिलकर चलाते हैं चाय कैंटीन
* दो बेटियों का करना है विवाह
अमरावती/दि.17– तहसील के पास और प्रधान डाकघर से सटे प्रमोद भटकर के गुणवंत बाबा टी स्टॉल पर आनेवाले व्यक्ति को उसकी मन पसंद चाय मिलती है. जिससे वह खुश होकर प्रमोद भटकर को शाबासी देकर जाता है. भटकर दंपत्ति मिलकर गत 5 वर्षो से यह टी स्टॉल चला रहे हैं. भटकर ने बताया कि अभी तो वे पैसा- पैसा जोडकर अपनी दो बेटियों काजल तथा राधा का विवाह का नियोजन कर रहे हैं. प्रमोद भटकर ने बताया कि उनकी पत्नी मालती भी घर और दुकान दोनों कामों में बराबर सहयोग करती है.
* लेमन टी है प्रसिध्द
भटकर का चाय का यह खोमचा तहसील दफ्तर के बिलकुल बगल में है. जहां नित्य के अनेक ग्राहक उनके हैं. जिनमें तहसील कार्यालय के अधिकारी, बाबू, डाकघर के अधिकारी, बाबू, स्टेट बैंक, महाराष्ट्र बैंक के अधिकारी के साथ एक्जॉन हॉस्पिटल के कर्मचारी एवं उपरोक्त कार्यालयों में आनेवाले लोग शामिल है. प्रमोद भटकर के हाथ से बनी लेमन टी प्रसिध्द हो गई है. लेमन टी के शौकीन सभी तरफ से भटकर की गुणवंत बाबा स्टॉल पर चाय पीने आते हैं.
* देते शाबासी, वाहवाही
प्रमोद भटकर ने बताया कि कडी स्पर्धा का दौर है. प्रत्येक चौक और एरिया में टी स्टॉल लगे हैं. ऐसे में उन्हें भी क्वालिटी पर ध्यान देना होता है. वह उम्दा चाय पत्ती और मसालों का उपयोग कर क्वालिटी चाय बनाते हैं. जिसे पीकर प्रसन्न हुए ग्राहक शाबासी देते हैं. कभी कभार कोई उदारमना व्यक्ति ईनाम भी दे जाता है. भटकर कहते हैं कि उनका ईनाम तो यही है कि कस्टमर को चाय पीकर संतोष, सुकून मिले. लोग अपने- अपने काम और जिम्मेदारियों से व्यस्त रहते हैं. उन्हें चाय की चुस्कियों से सुकून मिले तो बडा भला लगता है.
* एम. ए. कर रहा पुत्र आदित्य
प्रमोद और मालती भटकर की तीन संताने हैं. दो पुत्रियां काजल और राधा, एक पुत्र आदित्य. आदित्य बी.कॉम के बाद एम.ए. कर रहा है. प्रमोद ने बताया कि उन्होंने 22 वर्षो तक नौकरी की. पश्चात गत 5 वर्षो से वे अपना ठेला लगा रहे हैं. चाय से शुरू किया था आज लेमन टी और बिस्किट वगैरह बेचते हैं. प्रमोद के अनुसार सुबह 6 बजे से ठेले की तैयारी करनी पडती है. किंतु इस बात का बडा संतोष है कि अपनी मर्जी के मालिक है. जब चाहे उस दिन ठेला बंद रख परिवार के साथ वक्त बिताने, कहीं घूमने जाने की छूट अपने धंधे में रहती है.