अन्यअमरावतीमहाराष्ट्र

आज पहला अशरा हुआ समाप्त

कल से होगी दुसरे यानी मगफीरत के अशरे की शुरूआत

मस्जिदो-घरों मेें जारी है, इबादतों, तिलावतों का दौर
अमरावती/दि.21– रमजान का महीना हर मुसलमान के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, जिसमें 30 या 29 दिनों तक रोजे रखे जाते हैं. इस्लाम के मुताबिक, पूरे रमजान को तीन हिस्सों में बांटा गया है, जो पहला अशरा, दूसरा अशरा तथा तीसरा अशरा कहलाता है. अशरा अरबी का दस नंबर होता है. शहर में पिछले मंगलवार 11 मार्च को चांद के दर्शन होने के बाद 12 मार्च को पहला रोजा रख गया था. जिसके हिसाब से आज गुरुवार 21 मार्च को रमजान के दसवां रोजा पुरा होकर पहला यानी रहमतों का अशरा समाप्त हो गया. कल शुक्रवार 22 मार्च को रमजान का दुसरे अशरे यानी अपने गुनाहों से माफी(मगफिरत) के अशरे की शुरूआत होगी.

रमजान के पहले दस दिन (1-10) में पहला अशरा, दूसरे 10 दिन (11-20) में दूसरा अशरा और तीसरे दिन (21-30) में तीसरा अशरा बंटा होता है. शहर काजी मौलाना अब्दुल मन्नान ने बताया कि इस तरह रमजान के महीने में 3 अशरे होते हैं. पहला अशरा रहमत का होता है, दूसरा अशरा मगफिरत यानी गुनाहों की माफी का होता है और तीसरा अशरा जहन्नुम की आग से खुद को बचाने के लिए होता है. रमजान के शुरुआती 10 दिनों में रोजा-नमाज करने वालों पर अल्लाह की रहमत होती है. रमजान के बीच यानी दूसरे अशरे में मुसलमान अपने गुनाहों से पवित्र हो सकते हैं. वहीं, रमजान के आखिरी यानी तीसरे अशरे में जहन्नुम की आग से खुद को बचा सकते हैं.

माह- ए- रमजान में होते हैं 3 अशरे

रमजान का पहला अशरा
पहले 10 दिन रहमत के होते हैं. रोजा नमाज करने वालों पर अल्लाह की रहमत होती है. रमजान के पहले अशरे में मुसलमानों को ज्यादा से ज्यादा दान कर के गरीबों की मदद करनी चाहिए. हर एक इंसान से प्यार और नम्रता का व्यवहार करना चाहिए.

रमजान का दूसरा अशरा
रमजान के 11वें रोजे से 20वें रोजे तक दूसरा अशरा चलता है. यह अशरा माफी का होता है. इस अशरे में लोग इबादत कर के अपने गुनाहों से माफी पा सकते हैं. इस्लामिक मान्यता के मुताबिक, अगर कोई इंसान रमजान के दूसरे अशरे में अपने गुनाहों (पापों) से माफी मांगता है, तो दूसरे दिनों के मुकाबले इस समय अल्लाह अपने बंदों को जल्दी माफ करता है.

रमजान का तीसरा अशरा
21वें रोजे से शुरू होकर चांद के हिसाब से 29वें या 30वें रोजे तक चलता है. ये अशरा सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. तीसरे अशरे का उद्देश्य जहन्नुम की आग से खुद को सुरक्षित रखना है. इस दौरान हर मुसलमान को जहन्नम से बचने के लिए अल्लाह से दुआ करनी चाहिए.

ऐतेकाफ में बैठते है मुस्लिम बंधु-बहने
रमजान के आखिरी अशरे में कई मुस्लिम मर्द और औरतें एहतफाक में बैठते हैं. बता दें कि एहतकाफ में मुस्लिम पुरुष मस्जिद के कोने में 10 दिनों तक एकांत में रहकर रोजा,नमाज, तिलावत करते है. इसी तरह महिलाएं भी अपने घरों पर एकांत की जगह पर रहकर रोजा-नमाज और कुरआन की तिलावत करती है. इसी तरह ईद का चांद दिखाई देने पर एहतकाफ में बैठने वाले बाहर निकल कर अपने परिचितों को ईद के चांद की मुबारकबाद देते है.

नन्हें हाथों में अफ्तार की प्लेट
बता दें कि इन दिनों शहर में रमजान का त्यौहार मुस्लिम समाज बंधुओं व्दारा मनाजा जा रहा है. जिसके चलते रोजा रखने वाले अपने पडोसियों के लिए अफ्तारी( नाश्ता) एक दुसरे को बांटा जाता है. इस कार्य में घर के बच्चे बढ चढ कर हिस्सा ले रहे है. वे असर की नमाज के बाद सर पर टोपी, पारंपरिक लिबास और अपने नन्हें हाथों में नाश्ते की प्लेट लेकर मोहल्ले में एक दुसरे घर में अफ्तारी वितरण करते नजर आ रहे है.

Related Articles

Back to top button