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उसलगवाण के आदिवासी बंधुओं को मतदान की मिली प्रेरणा

मतदान केंद्र को दिया आदिवासी आशियाने का लूक

* तहसीलदार के संकल्पना की सर्वत्र सराहना
धामणगांव रेलवे/दि.1– जिले में मतदान का प्रतिशत बढने के लिए प्रशासन द्वारा व्यापक पैमाने पर जनजागृति की गई. जिले में केवल दो गांव रहने वाले आदिवासी जनजाति के नागरिकों को लोकोत्सव का महत्व समझाने व समाजप्रवाह का मार्ग दिखाने वाला मतदान केंद्र साकार किया गया था. तहसीलदार गोविंद वाकडे की इस संकल्पना को सर्वत्र सराहा जा रहा है. लोकसभा चुनाव में पहले से ही मतदान जनजागृति का काम शासन स्तर पर जोरोशोरों पर किया गया. निर्वाचन क्षेत्र के मतदान केंद्रों पर ज्याद महिला मतदाता संख्या रहने वाले स्थान पर महिला मतदान केंद्र रखा गया था. धामणगांव निर्वाचन क्षेत्र में नोडल ऑफिसर के रूप में तहसीलदार गोविंद वाकडे की नियुक्ति होने से उनकी भी टीम ने मतदान का प्रतिशत बढाने के लिए विविध पद्धति से जनजागृति की.

तहसील में अनेक स्थानों पर सेल्फी पॉईंट रखकर मतदाताओं को प्रोत्साहित किया गया. उल्लेखनिय है कि, आदिम जनजाति बंधुओं के बोरगांव धांदे और उसलगवाण इन दो गांव तहसील में रहने से तहसीलदार वाकडे ने इस ओर ध्यान केंद्रीत किया. आदिम जनजाति के लोगों को भी लोकतंत्र के प्रवाह में लाने के उद्देश्य से उसलगवाण के मतदान केंद्र पर तांडा बस्ती का व मतदान केंद्र को प्रत्यक्ष आदिवासी निवास का स्वरूप दिया गया था. मतदान केंद्र पर घास की दीवारें, हरी घास की छत तैयार की गई थी. ऐसे घरेलू माहौल में आदिवासी बंधुओं ने उत्साह व निर्भिकता से मतदान किया. तहसीलदार वाकडे के इस प्रशंसनीय कार्य की आदिवासी बंधुओं और राजस्व विभाग द्वारा सराहना की जा रही है.

मतदान का अधिकार समझना जरूरी
लोकतंत्र को टिकाने के लिए मतदाता निर्णायक होता है. उन्होंने किया किया मतदान लोकतंत्र को मजबूत बनाता है. देश के हर नागरिक को मतदान का अधिकार समझना जरूरी है. इसके लिए आदिम जमाती के समाज बंधुओं के लिए इस मतदान केंद्र का निर्माण किया था. सरकार के इस कार्य में मैंने अपना कर्तव्य निभाया. मैंने कुछ विशेष नहीं किया.
-गोविंद वाकडे, तहसीलदार

 

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