* सिनेट सदस्यों ने विवि प्रशासन को जमकर लिया आडे हाथ
* रसायनशास्त्र विभाग प्रमुख डॉ. राजेंद्र प्रसाद को पदमुक्त करने का फैसला
अमरावती/दि.1– संत गाडगे बाबा अमरावती विद्यापीठ की गत रोज हुई सिनेट सभा जमकर गरमाई रही. जिसमें दीक्षांत समारोह हॉल, परीक्षक वसतीगृह में जीम व बुलढाणा के मॉडल कॉलेज जैसे मुद्दे जमकर गुंजने के साथ ही महिला प्राध्यापिकाओं द्वारा की गई शिकायतों के चलते रसायनशास्त्र विभाग प्रमुख डॉ. राजेंद्र प्रसाद को पदमुक्त किए जाने से संबंधित मुद्दे जमकर गुंजे. वहीं यवतमाल स्थित दाते महाविद्यालय में डॉ. विवेक देशमुख को प्राचार्य पद से निलंबित किए जाने के संदर्भ में विद्यापीठ द्वारा किए गए कृत्य को सिनेट सदस्यों ने गलत बताया.
कुलगुरु डॉ. प्रमोद येवले की अध्यक्षता में गत रोज सिनेट सभा आयोजित की गई. इस समय पीठासीन पर प्र-कुलगुरु डॉ. प्रसाद वाडेगांवकर कुलसचिव डॉ. तुषार देशमुख भी उपस्थित थे. इस दौरान अधिसभा सदस्य संतोष कुटे ने जीम का साहित्य धुल खाते पडे रहने का प्रश्न उपस्थित किया और जानना चाहा कि, परीक्षक वसतीगृह में जीम शुरु करने का क्या हुआ. इस विषय को लेकर हुई चर्चा में कैलाश चव्हाण, डॉ. प्रवीण रघुवंशी व डॉ. सुभाष गावंडे ने हिस्सा लिया. इसके साथ ही दीक्षांत हॉल व मल्टीपर्पज सभागृह के निर्माण हेतु निधि मंजूर रहने के बावजूद अब तक निर्माणकार्य शुरु नहीं करवाए जाने को लेकर डॉ. प्रवीण रघुवंशी ने प्रशासन को जमकर आडे हाथ लिया.
इसके साथ ही भुजंगराव ठाकरे के प्राचार्य नियुक्ति से संबंधित मामला सर्वोच्च न्यायालय में रहने के बावजूद इसे एक्शन टेकन में लिए जाने को लेकर डॉ. प्रवीण रघुवंशी, डॉ. आर. डी. सिकची, डॉ. सुभाष गवई व डॉ. रविंद्र मुंदे्र ने कुलगुरु पर सवालों की झडी लगा ली. जिसके बाद अपनी गलती ध्यान में आते ही उसे दुरुस्त करने की बात कहते हुए कुलगुरु डॉ. येवले ने बताया कि, इस बारे में 30 अक्तूबर को ही संबंधित संस्थाचालक को पत्र भेजा जा चुका है.
* वीसी के कामकाज को डॉ. रघुवंशी ने जमकर लिया आडे हाथ
डॉ. आर. डी. सिकची ने महाराष्ट्र विद्यापीठ अधिनियम की धारा 5 (53) के प्रावधान को पढकर दिखाया तथा दाते कॉलेज का व्यवस्थापन किसी अन्य महाविद्यालय के व्यवस्थापन को हस्तांतरीत करने की मांग की. परंतु यह मामला न्यायप्रविष्ट रहने के चलते कुलगुरु डॉ. येवले ने निर्णय देने से साफ इंकार कर दिया. हालांकि इसके बावजूद इस विषय को लेकर करीब 1 घंटे तक चर्चा चली. जिसके चलते डॉ. प्रवीण रघुवंशी ने कुलगुरु डॉ. प्रवीण येवले के कामकाज को लेकर सवालियां निशान उठाए.
* प्रा. विवेक देशमुख का निलंबन गैरकानूनी
डॉ. विवेक देशमुख को प्राचार्य पद से निलंबित किए जाने के संदर्भ में की गई कार्रवाई भी सिनेट सभा में जमकर गुंजी और डॉ. देशुमख को विद्यापीठ द्वारा गलत तरीके से निलंबित किए जाने की बात भी स्पष्ट हुई. इसे लेकर हुई चर्चा में डॉ. आर. डी. सिकची, डॉ. रविंद्र मुंद्रे, डॉ. सुभाष गवई, डॉ. संतोष कुटे व डॉ. प्रवीण रघुवंशी ने हिस्सा लिया. इन सभी सिनेट सदस्यों का कहना रहा कि, डॉ. विवेक देशमुख जैसे वरिष्ठ प्राध्यापक के किसी भी दस्तावेज की जांच पडताल किए बिना विद्यापीठ में उन पर अन्याय किया है. चूंकि यह मामला न्यायप्रविष्ठ है. ऐसे में चर्चा को रुकाने की बजाय कार्रवाई को तुरंत पीछे लिया जाए. इसके अलावा सिनेट सदस्यों ने यह आरोप भी लगाया कि धर्मदाय आयुक्त ने दाते महाविद्यालय के प्राचार्य पद के संदर्भ में चल रहे विवाद पर दी गई समिति के नामों के अतिरिक्त के नाम देने कहा था. परंतु विद्यापीठ प्रशासन ने सीधे डॉ. देशमुख के निलंबन की कार्रवाई कर डाली.
इसके अलावा सिनेट सभा में कुलगुरु प्रमोद येवले ने कुछ महिला प्राध्यापिकाओं द्वारा दी गई शिकायत के आधार पर डॉ. राजेंद्र प्रसाद को रसायनशास्त्र विभाग प्रमुख के पद से हटाए जाने का निर्णय लिया. बता दें कि, डॉ. प्रसाद के खिलाफ दो महिला प्राध्यापिकाओं ने शिकायत दर्ज कराते हुए कहा था कि, डॉ. प्रसाद उनके साथ बेहद गंधे ढंग से बात करते है और उन्हें मानसिक तकलीफ भी देते है. यह दोनों महिला प्राध्यापिका सिनेट सदस्य भी है. जिनकी शिकायत को देखते हुए कुलगुरु ने प्रा. डॉ. रविंद्र कडू, प्रा. डॉ. प्रवीण रघुवंशी व प्रा. डॉ. मोना चिमोटे की तीन सदस्यीय समिति गठित की थी. इस समिति ने 30 अक्तूबर को अपनी जांच रिपोर्ट कुलगुरु के समक्ष प्रस्तुत की थी और गत रोज हुई सिनेट सभा में भी यह मुद्दा उपस्थित हुआ. सिनेट सभा जारी रहने के दौरान ही शिंदे गुट वाली युवा सेना इसी विषय को लेकर कुलगुरु को निवेदन देने विद्यापीठ पहुंची. ऐसे में कुलगुरु ने सिनेट सभा से बाहार आकर इस निवेदन को स्वीकार किया. साथ ही शिकायत में निवेदन को लेकर हुई चर्चा और जांच समिति की रिपोर्ट को देखते हुए कुलगुरु डॉ. प्रमोद येवले ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद से रसायनशास्त्र विभाग प्रमुख का पदभार निकाल लेने का निर्णय लिया. साथ ही डॉ. राजेंद्र प्रसाद को आगामी 7 दिनों के भीतर जवाब पेश करने का आदेश दिया गया.
* जांच समिति ने मुझसे कोई पूछताछ किए बिना ही अपनी रिपोर्ट तैयार की है और मुझे अपना पक्ष रखने का मौका तक नहीं दिया गया. बल्कि एकतरफा कार्रवाई करने के बाद अब मुझसे स्पष्टीकरण मांगा जा रहा है. जिसका कोई अर्थ नहीं है. मैं इस फैसले के खिलाफ कानूनी रास्ते से लडाई लडूंगा. क्योंकि यह फैसला मुझ पर पूरी तरह से अन्यायकारक है.
– डॉ. राजेंद्र प्रसाद
* कई संगठन पहुंचे कुलगुरु का घेराव करने
– मुख्य प्रवेश द्वार पर हुए जवाब दो आंदोलन
इसके साथ ही गत रोज विद्यापीठ ने सिनेट की सभा जारी रहने के दौरान मराठा सेवा संघ व जिजाउ ब्रिगेड ने विद्यापीठ में महिला प्राध्यापिकाओं के साथ हो रही प्रताडना व भेदभाव को लेकर कुलगुरु डॉ. प्रमोद येवले को ज्ञापन सौंपा. वहीं युवा सेना एनएसयूआई व भीम आर्मी जैसे संगठनों ने थोडी उग्र भूमिका अपनाते हुए विद्यापीठ के मुख्य प्रवेश द्वार पर कुलगुरु डॉ. प्रमोद येवले का घेराव किया. जिसके चलते विद्यापीठ में सिनेट सभा जारी रहने के दौरान वातावरण काफी हद तक तनावपूर्ण हो गया था.
इस समय जिजाउ ब्रिगेड की प्रतिभा रोडे, मंजुषा पाथरे, प्रतिभा ढोक, मनाली तायडे, कीर्तिमाला चौधरी, सुचिता देशमुख, विजया देशमुख, शिला पाटिल, प्राची उमाले, वंदना इंगले, छाया केने, मैथिली पाटिल, मराठा सेवा संघ के अश्विनी चौधरी, युवा सेना के प्रवीण विधाते, अक्षय पवार, शुभम परलीकर, एनएसयुआई के संकेत साहू व समीर जवंजाल, भीम आर्मी के रितेश मोरे आदि उपस्थित थे.