* अमरावती से सैकडों को ले गए थे साथ
* अनिल उमेकर चढ गये थे ढांचे पर
* कल्याण सिंह के साथ काटी जेल
अमरावती/दि. 5- अक्तूबर 1990 की कारसेवा का पूरे देश में राम मंदिर के वातावरण के कारण जोश बढ गया था. देशभर से हजारों, लाखों कारसेवक वहां पहुंचे.अमरावती से बजरंग दल के विलास हलवे और उनके सैकडों साथी गए थे. उन्होंने दोनों कारसेवा में भाग लिया. हलवे ने तीन दशक पुराने घटनाक्रम की एक-एक बात बताकर चकित कर दिया. उन्होंने बताया कि किस तरह अयोध्या गए, पुलिस को चकमा दिया. उनके एक-एक साथी का भी नाम उन्हें बराबर याद है. हलवे ने बताया कि कुछ साथी अब दुनिया में नहीं रहे. ऐसे ही साथियों में एक अनिल उमेकर शामिल है. उमेकर ढांचे पर जा चढे थे. यह बात भी हलवे ने बताई. उन्होंने बताया कि दोनों बार की कार सेवा में जमीन आसमान का अंतर रहा. मुलायम सिंह यादव के सीएम रहते कार सेवकों को अयोध्या पहुंचने से पहले ही पकड लिया गया था. अमरावती के कारसेवक तत्कालीन भाजपा के बडे नेता कल्याणसिंह के साथ कुछ दिनों के लिए नैनी जेल में बंद किए गए थे.
* हलवे को एक-एक का नाम याद
अयोध्या जाने का आदेश प्राप्त होते ही अमरावती से सैकडों कारसेवक रवाना हुए. उनमें विश्वेश पांडे, अनंत पांडे, मोहन हरमकर, सतीश वाजपेयी, रामनाथ शर्मा, विजय उपाध्याय, दीपक दुबे अकेला, राजू व्यवहारे, प्रमोद लवणकर, मोहन महाराज कंठाले, संतोष शर्मा, अभय बपोरीकर, उल्हास बपोरीकर, राजू दायमा आदि अनेक का समावेश रहा.
* ट्रेन खचाखच, खडे-खडे यात्रा
हलवे ने बताया कि अयोध्या जाने के एक ही लक्ष्य होने से अमरावती, नागपुर, अकोला सभी तरफ से कारसेवक मिले उस ट्रेन से जा रहे थे. इस कारण ट्रेनों में भारी भीड थी. राम भक्ति का जोश और अपने वरिष्ठ के आदेश के कारण वे अपने सैकडों साथियों के संग पहले से ही कारसेवकों से भरी ट्रेन में चढे. आधे से अधिक सफर खडे-खडे तय किया. राम भक्ति का उत्साह ऐसा रहा कि भजन गाते और जयकारा लगाते उत्तर प्रदेश की सीमा माणिकपुर में पहुंचे. वहां ट्रेन को सीआरपीएफ ने रोक दिया था.
* कल्याण सिंह संग कबड्डी
हलवे ने बताया कि उन लोगों को नैनी जेल में रखा गया था. वहां कल्याण सिंह भी बंदी बनाकर लाए गये थे. जेल में मौजूद कारसेवकों के साथ कल्याण सिंह घुल मिल गये. वक्त काटने के लिए वे कार सेवकों के साथ कबड्डी भी खेलते. इस दौरान जेल का घटिया खाना रहा. उसकी शिकायत करने पर बताया गया कि सामान्य कैदियों हेतु केवल 5 रूपए 10 पैसे और आतंकी के खाने के लिए 180 रूपए रोज का बजट मान्य हैं. इसलिए कारागार में देशभक्तों को दूध, ब्रेड मुश्किल से मिलती.
* लौटते समय चतुराई बडी काम आयी
हलवे ने बताया कि अयोध्या से लौटते समय उनके द्बारा अपनाई गई थोडी चतुराई काम आयी. दर असल अनेक जगहों पर ट्रेन पर पथराव किया गया था. स्थानीय लोगों ने यह करतूत की . उन्हें पता था इन ट्रेनों से कार सेवक लौट रहे हैं. इसलिए पत्थर बरसाए जा रहे थे. ऐसे में हलवे और उनके साथियों ने चतुराई से उन्हे खदेडा. हमलावरों को पीछे हटना पडा. ऐसा अनेक गांवों के करीब ट्रेन के पहुंचने से हो रहा था .
* पुलिस को चकमा
हलवे ने बताया कि उस समय कारसेवकों को अस्थायी जेल बनाए गए रेलवे के गोदाम में रखा गया. उनमें अमरावती के अलावा तेल्हारा, अकोट, लातूर से भी आए कारसेवक बंदी बनाए गए थे. हलवे ने बताया कि उन्हें इस तरह जेल में बंद रहकर अच्छा नहीं लग रहा था. भगवान ने उनकी मन ही मन की गई प्रार्थना सुन ली. उन्हें जेल की एक टीन थोडी उंची उठी हुई दिखाई दी. तुरंत उसे बलपूर्वक और उपर कर वे और कुछ साथी कारसेवक पुलिस को चकमा देकर भाग गए.