मेलघाट के ग्राम खडीमल में 28 वर्षों से टैंकर से जलापूर्ति
पेयजल के लिए करना पड रहा जानलेवा संघर्ष
* पानी की हर बूंद के लिए जद्दोजहद
* जलापूर्ति करने वाली सभी योजना विफल
अमरावती/दि.7-जल ही जीवन है. लेकिन पानी की हर बूंद-बूंद के लिए मेलघाट के खडीमल ग्रामवासियों को जानलेवा संघर्ष करना पड रहा हैइस गांव में विगत 28 साल से टैंकर से जलापूर्ति शुरु है. गांव की महिलाओं को पेयजल और उपयोग के लिए लगनेवाले पानी के लिए जानलेवा संघर्ष करना पड रहा है. टैंकर से पानी कुएं में छोडा जा रहा है. कुंए में छोडे गए पानी का उपसा करने के लिए महिलाओं को अपनी जान जोखीम में डालकर कुंए के किनारे खडे रहना पडता है. जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर दूरी पर मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के क्षेत्र में बसे चिखलदरा तहसील के खडीमल ग्रामवासियों को पानी की बूंद-बूंद के लिए जद्दोजहद करना पड रहा है.
मेलघाट के नवलगांव, चुनखडी, बिच्छूखेडा, माडीझडप इन गांवों में भी तीव्र जलसंकट है. गांव के लोगों को दूषित पानी पीना पड रहा है. खडीमल गांव के कुंए का पानी 300 फीट नीचे गया है. इस गांव में सालोंसाल टैंकर से जलापूर्ति की जा रही है. कितने टैंकर से जलापूर्ति की जाएगी, इस बारे में भी स्पष्ट जानकारी नहीं दी जाती. खडीमल तथा आसपास के गांव में ट्रैक्टर और टैंकर है. हालांकि, प्रशासन बाहरी ट्रैक्टर और टैंकर की मदद से खडीमल गांव में जलापूर्ति कर रहा है. खडीमल गांव के लोगों को नियमित पानी मिलें, इसके लिए अब तक प्रशाासन ने 2 करोड रुपए खर्च किए होंगे, ऐसा अनुमान है, यह जानकारी सामाजिक कार्यकर्ता एड.बंड्या साने ने दी.
अधिकारी व नेताओं की अनदेखी
खडीमल गांव के लोगों को नियमित पेयजल मिलें, इसके लिए 3 हैंडपंप, तालाब, कुंए खोदे गए थे, लेकिन यह सभी जलापूर्ति करने वाली योजना विफल रही. जलजीवन मिशन सहित अनेक योजनाएं चलाने के बाद भी खडीमल गांव पेयजल के लिए संघर्ष कर रहा है. विगम 28 सालों से सरकार खडीमल गांव को टैंकरमुक्त नहीं कर पाई, यह शोकांतिका है, ऐसा बंड्या साने ने कहा. करीब 1300 आबादी वाले इस गांव की ओर एकभी अधिकारी या नेता का ध्यान नहीं है, ऐसा ग्रामवासियों का कहना है.