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डमी स्कूलों के खिलाफ महाराष्ट्र बोर्ड कब उठाएगा कदम

सीबीएसई ने देश भर में 20 स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई कर रद्द की मान्यता, इसमें महाराष्ट्र के दो स्कूल

*कोचिंग क्लास से सांठगांठ कर चलाए जा रहे कई स्कूल
*विद्यार्थियों को स्कूल-कॉलेज न आने की दी जा रही छूट
मुंबई/दि.20– बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर बनाने की चाहत और बढती प्रतिस्पर्धा के चलते कई अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने के बजाए सीधे कोचिंग क्लास में दाखिला दिला रहे है. कोचिंग क्लास ऐसे स्कूलों से मिलीभगत कर लेते है. जिनके पास मान्यता तो है, लेकिन विद्यार्थी नहीं. विद्यार्थियों से कहा जाता है कि उन्हें स्कूल जाने की भी जरुरत नहीं है. सारी पढाई कोचिंग क्लास में होगी.
मुंबई समेत महाराष्ट्र में भी कोचिंग संस्थानों और डमी स्कूलों (इंटिग्रेटेड) के बीच यह मिलीभगत बढ रही है. कविता( बदला हुआ नाम) की इच्छा थी कि उनका बेटा इंजीनियर बने इसलिए एक नामी कोचिंग क्लास में उसका दाखिला कराने पहुंची. कोचिंग क्लास में बातचीत के दौरान उन्हें बताया गया कि बच्चे की रोजाना करीब छह घंटे क्लास होगी. ऐसे में कविता का सवाल था कि बच्चा इतनी देर क्लास में रहेगा तो स्कूल कब जाएगा? क्लास में बताया गया कि बच्चे को किसी स्कूल में जाने की जरुरत नहीं है. उसका नाम एक स्कूल में दाखिल करा दिया जाएगा. दो वर्ष की तैयारी और स्कूल फीस के नाम पर कविता से करीब आठ लाख रुपये वसूले गए.

नियम के मुताबिक 80 प्रतिशत उपस्थिती जरूरी
सीबीएसई बोर्ड ने हाल ही में देश भर में 20 डमी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उनकी मान्यता रद्द कर दी थी. इनमें से दो स्कूल महाराष्ट्र के थे. एक राहुल इंटरनेशन स्कूल थाने, जबकि दूसरा पायनियर पब्लिक स्कूल, पुना में स्थित था. सीबीएसई ने पाया था कि स्कूल कोचिंग क्लास के लिए डमी के तौर पर काम कर रहे थे. वहां विद्यार्थियों के नाम पर रजिस्टर पर है, लेकिन पढने कोई नहीं आता. जबकि महाराष्ट्र बोर्ड की ओर से ऐसे स्कूलों/कॉलेजों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. नियमों के मुताबिक विद्यार्थियों को परीक्षा के लिए तभी पात्र माना जाता है, जब उनकी उपस्थिती 80 फिसदी या उससे ज्यादा हो.

एक्सट्रा करिकुलर एक्टिवीटी से दूर हो जाते है
सर्वांगीण विकास के लिए विद्यार्थियों का स्कूल/कॉलेज जाना बेहद जरूरी होता है. सिर्फ कोचिंग क्लास में पढने वाले बच्चे प्रैक्टिकल के साथ दूसरे एक्सट्रा करिकुलर एक्टिवीटी से दूर हो जाते है.
सीमा शाह, प्रोफेसर

स्कूल/कॉलेज चलाने के लिए खर्च लगता है, ऐसे में पैसों की लालच में कई शिक्षा संस्थान डमी के तौर पर काम करने के लिए तैयार हो जाते है. शिक्षा विभाग को कठोर कदम उठाना चाहिए.
डॉ. दयानंद तिवारी, सेवानिवृत्त प्रोफेसर

 

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