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किसका गणित बिगडेगा?

दस वर्षो में 6 निर्दलीयों की बाजी

* इस बार 8 सीटों पर 81 अपक्ष है मैदान में
अमरावती/दि.18– विधानसभा के रण में गत दशक में जिले में 6 निर्दलीय उम्मीदवार विजयी रहे. आयोग के पास पंजीकृत किंतु गैर मान्यता वाले प्रादेशिक दलों के यह उम्मीदवार थे. इस बार भी 81 निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में है. 2014 और 2019 के चुनाव में विजयी निर्दलीय उम्मीदवार इस बार भी चुनाव मैदान में है. जिससे तरह तरह की चर्चा भी राजनीतिक हल्कों में हो रही है. एक बडी चर्चा यह है कि निर्दलीय प्रत्याशी किसका समीकरण बिगाडेगे अथवा सुधारेंगे ?

दो दशकों में जिले में प्रहार, युवा स्वाभिमान और स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के उम्मीदवार विजयी हुए. पिछले दो चुनाव में इन प्रादेशिक पार्टियों के 6 उम्मीदवार सफल रहे थे. इन सभी उम्मीदवारों को भारत चुनाव आयोग की मान्यता नहीं होने से सभी कानूनन निर्दलीय माने जाते है. भले ही उनके दल प्रदेश स्तर पर पंजीकृत है.
विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय दलों की टिकट नहीं मिलने से नाराज नेताओं ने विद्रोह का ध्वज लहराया है. इस बार तो ऐसे अनेक उदाहरण है.
दशक में 245
2014 में 135 और 2019 में 110 ऐसे कुल 245 उम्मीदवार मैदान में थे. इनमें से 46 प्रतिशत अपक्ष थे. इस बार भी 81 निर्दलीय किस्मत आजमा रहे हैं.

79 उम्मीदवार विविध दलों के
इस बार कुल 160 प्रत्याशी है. उनमें 79 विविध राजकीय दलों के और 81 निर्दलीय है. माना जा रहा है कि कुछ निर्दलीय प्रत्याशियों ने तगडी चुनौती पेश की है.

दो चुनाव में 6 निर्दलियों के हाथ बाजी
वर्ष   निर्वाचन क्षेत्र       उम्मीदवार
2014   बडनेरा             रवि राणा
2014  अचलपुर          बच्चू कडू
2019   बडनेरा            रवि राणा
2019   मेलघाट      राजकुमार पटेल
2019   अचलपुर         बच्चू कडू
2019      मोर्शी          देवेन्द्र भुयार

2019 में कई के डिपॉजिट जब्त
पिछले 2019 के विधानसभा चुनाव में 110 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे थे. जिसमें से केवल 20 प्रत्याशी अपनी जमानत राशी बचा सके. 90 प्रत्याशियों व्दारा चुनाव आयोग के पास जमा कराई गई रकम जब्त हो गई. 2014 में भी कई उम्मीदवारों पर यह नौबत आयी थी.

प्रादेशिक पार्टियों का बोलबाला
जिले में प्रहार और युवा स्वाभिमान इन प्रादेशिक पार्टियों की पैठ बढ गई है. जिसमें बडनेरा में युवा स्वाभिमान के रवि राणा और अचलपुर में प्रहार के बच्चू कडू ने हैट्रिक कर ली है.

दलीय उम्मीदवारों का बढा सिरदर्द
इस बार तिवसा, धामनगांव छोडकर अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में बागी उम्मीदवार मैदान में होने से दलो के उम्मीदवारों की चिंता बढी है. विद्रोह के कारण मत विभाजन का बडा खतरा हो गया है. जिससे उम्मीदवार दिक्कत महसूस कर रहे हैं.

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