अन्य

क्या कल से दिखाई देंगे यह सेवाभावी चेहरे!

चुनावी प्रलोभनों की खूब बही गंगा

* कुछ यहीं रहेंगे, कई हो जाएंगे नदारद
अमरावती/दि.20 – विधानसभा चुनाव का मतदान बुधवार शाम संपन्न हो रहा है. ऐसे में यह कहा जा रहा है कि, केवल चुनाव तक सेवाभाव से मतलब रखनेवाले कई चेहरे गायब हो जाएंगे. वहीं कुछ तो अगले चुनाव तक आपको नजर नहीं आएंगे. गनिमत है कि, अमरावती में स्थानीय निकाय के चुनाव नई सरकार की स्थापना के बाद कुछ माह में हो सकते हैैं. इसलिए कुछ चेहरे यहीं रहेंगे और आपको अपने आसपास दिखाई पड सकते हैं. किंतु आपसे वे बात और चर्चा चुनाव के समय ही करेंगे.
* बंद हुआ कानफाडू शोर
चुनाव का लाऊड स्पीकर का कर्णभेदी शोर सोमवार शाम से थम गया. उसके बाद मेलमुलाकातों का दौर शुरु हुआ था. बुधवार सबेरे तक वोटर की पूछपरख थी. दोपहर बाद वोटर राजा से सामान्य मतदाता और फिर अति सामान्य शहरी वह बन गए. इस अंदाजवाले कई नेता और उनके गुर्गे रहे. जानकारों ने दावा किया कि, अब यह लीडरान और उनके पिछलग्गू गायब हो जाएंगे. अगले चुनाव तक कम से कम आपको उनके चेहरे नहीं दिखाई देंगे. तथापि अमरावती में अगला चुनाव कुछ माह में होने की संभावना भी जानकार बता रहे हैं.
* कैसे-कैसे वादे, सुबह-शाम एकही रट
विधानसभा चुनाव पहले की बजाए इस बार अलग बताया गया. चुनाव में ढेर सारे निर्दलीय मैदान में कूद पडे थे. जिससे वादों की झडी भी लंबी, बडी हो गई थी. ऐसे-ऐसे वादे किए गए कि बस 23 नवंबर के बाद अमरावती नहीं आप अमेरिका में पहुंच जाएंगे, चकाचक सडकें और नालियां साफसुथरी एवं बेहतरीन स्वास्थ सेवाएं आपको घर बैठे नि:शुल्क मिलनेवाली है. सुबह-शाम एक ही रट सभी दल और उनके उम्मीदवार लगा रहे थे. अब उन वादों और शोर से सभी को निजात मिली है. इतने से ही अमरावती के बाशिंदे संतुष्ट नजर आ रहे हैं.
* निकाय चुनाव जल्द होने की संभावना
लोकसभा चुनाव का अमरावती का मतदान अप्रैल में हो गया था. 6 माह में विधानसभा चुनाव आ गए. जिससे वादों और प्रलोभनों का दौर खूब चला. अब मतदान संपन्न हो जाने से लीडरों के साथ-साथ उनके गुर्गे भी कुछ दिनों तक शांत रह सकते हैं. फिर भी कहा जा रहा है कि, महापालिका, जिला परिषद, पालिका और अन्य निकाय के चुनाव शीघ्र हो सकते हैं. केवल तब तक ही ऐसे नेताओं और उनके समर्थकों से लोगों को राहत मिलनेवाली है. निकाय के चुनाव अर्थात गली का इलेक्शन और भी भारी रहने की प्रतिक्रिया कई लोग देते हैं. जिसमें अनुभव यही है कि, कई अवसरों पर धर्मसंकट की स्थिति बन जाती है.

Related Articles

Back to top button