अमरावती/दि.21 – लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस विधानसभा चुनाव में मतदाताओं में अधिक उत्साह देखा गया. शहर के अधिकांश मतदान केंद्रों पर सुबह से ही लंबी कतारें देखने मिली. हालांकि लोकसभा चुनाव में चिलचिलाती धूप में भी एक बडा फैक्टर थी. लेकिन विधानसभा चुनाव ऐसे मोसम में हो रहा है. जब शहरी क्षेत्रों में ठंड का असर होने के बावजूद मतदाताओं का उत्साह चरम पर रहा. महिलाएं भी साइलेंट वोटर का हिस्सा है, जो चुनाव परिणामों पर खुलकर व्यक्त नहीं होती. केवल 5 या 10 प्रतिशत महिलाएं ही सार्वजनिक तौर पर अपनी राय व्यक्त करती है. इन चुनावों में महायुति सरकार द्वारा लागू लाडली बहन योजना तथा महाविकास आघाडी द्वारा घोषित महालक्ष्मी योेजना के चलते महिलाओं का मतदान अहम माना जा रहा है. जो टर्निंग फैक्टर साबित हो सकती है.
* सभी सर्वेक्षण औंधे मुंह गिरे
चुनाव परिणामों के कयास केवल चुनिंदा राय व्यक्त करने वालों के बुते लगाए जाते है. वास्तविक रूप में जो लोग खुलकर व्यक्त नहीं होते ऐसे साइलेंट वोटर ही निर्णायक साबित होते है. यह अनुभव हाल ही के लोकसभा चुनाव परिणामों में देखने मिला. जिसमें सभी सर्वेक्षण औंधे मुंह गिर गए थे. यह सर्वेक्षण केवल सैम्पल सर्वे के आधार पर निष्कर्ष के रूप में माने जाते है. लेकिन एक बडा तबका ऐसा होता है जो व्यक्त हुए बगैर अपने मताधिकार का प्रयोग कर कर्तव्य का पालन करते है.
* सर्वेक्षण केवल चर्चाओं का बाजार
विभिन्न एजेंसियों द्वारा कराए जाने वाले सर्वेक्षण केवल चर्चाओं के बाजार और बहती हवाओं पर ही निर्भर रहता है. यह केवल अनुमान होता है. इसका कोई तकनीकी आधार नहीं होता. अव्यक्त लोग इसमें शामिल नहीं होते. इसलिए सर्वेक्षण और अंतिम परिणामों में काफी अंतर रहता है, जिसका खामियाजा शेयर बाजार समेत अन्य कई क्षेत्रों को भुगतना पडता है. इसलिए अंतिम परिणामों के लिए संयम की अपील की जाती है.