दुनिया को पहली बार कबड्डी और खो- खो दिखाया था हमारे हनुमान अखाडे ने
केबीसी में प्रश्न से सभी को हुई जिज्ञासा

* भारतीय पारंपरिक खेलों का 100 वर्षो से प्रसार
* हिटलर ने दिया था विशेष पदक
अमरावती / दि. 29- सोनी चैनल के प्रसिध्द शो केबीसी अर्थात कौन बनेगा करोडपति में गत रात प्रसारित एपिसोड में अमरावती के विख्यात हनुमान व्यायाम प्रसारक मंंडल द्बारा 1936 के बर्लिन ओलंपिक खेलों में दी गई प्रस्तुति के प्रश्न पश्चात हजारों लोगों को जिज्ञासा हुई है. अमरावती मंडल ने हनुमान अखाडे से उस वक्त के छायाचित्र और प्रस्तुति की जानकारी ली. बताया गया कि एडॉल्फ हिटलर ने हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल का विशेष पदक देकर उस समय सम्मान किया था. ब्रिटिशकाल की यह घटना भारतीय खेल जगत में आज भी सुनहरे पृष्ठ के रूप में अंकित है. जब देशज खेल कबड्डी और खो- खो का सुंदर एवं विश्व पटल पर पहली प्रस्तुति हव्याप्रम के 250 खिलाडियों ने देकर दुनिया को चकित कर दिया था.
डॉ. चेंडके को कॉल
गुरूवार रात केबीसी एपिसोड के प्रसारण दौरान हनुमान अखाडा संबंधी प्रश्न आते ही कई लोगों ने मंडल के उपाध्यक्ष डॉ. श्रीकांत चेंडके और सचिव प्रा. डॉ. माधुरी चेंडके को प्रथम बधाई दी और उपरांत बर्लिन ओलंपिक दौरान की घटना जानने की इच्छा व्यक्त की.
* क्या हुआ था उस समय
1936 के बर्लिन ओलंपिक खेलों के दौरान भारत ब्रिेटिश शासन के अधीन था. तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने भारतीय टीम भेजी थी. हव्याप्रम के संस्थापक अंबादास पंत वैद्य ने डॉ. लक्ष्मणराव कोकर्डेकर के नेतृत्व में 250 खिलाडियों का दल तैयार किया. उन्हें बर्लिन भेजा. इस दल ने भारतीय पारम्परिक खेलों का उत्कृष्ट प्रदर्शन कर दो मेडल जीते थे. मंडल के सभी पदाधिकारी और सदस्यों ने अमरावती के लोगों के साथ मिलकर आज केबीसी में हव्याप्रम संबंधी प्रश्न पूछे जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की. गर्व से छाती चौडी हो जाने की भावना व्यक्त की.
जर्मन शासक हिटलर हुए इम्प्रेस
जर्मनी के शासक हिटलर के नेतृत्व में बर्लिन ओलंपिक खेलों का आयोजन किया था. ओलंपिक समिति के पदाधिकारी और व्यायाम विशेषज्ञ कार्ल डीम ने हनुमान अखाडे को ओलंपिक खेलों में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था. इसी पत्र के आधार पर महत प्रयासों से खिलाडियों का दल भेजा गया. जर्मन शासक एडॉल्फ हिटलर भारतीय पारंपरिक खेलों को देखकर प्रभावित हुए. खिलाडियों की चपलता की उन्होंने प्रशंसा की. हिटलर ने हनुमान अखाडे को विशेष पदक प्रदान किया. यह क्षण वास्तव में देश और समाज तथा अमरावतीवासियाेंं के लिए गौरव का क्षण था.





