फुटाला तालाब पर म्युझिकल फाउंटेन के निर्माण का रास्ता खुला

सर्वोच्च न्यायालय ने तालाब को मानवनिर्मित सरोवर माना

* स्वच्छ असो. पर्यावरण प्रेमी संस्था की याचिका हुई खारिज
* केंद्रीय मंत्री गडकरी का महत्वाकांक्षी प्रकल्प जल्द होगा साकार
नागपुर /दि.8 – सर्वोच्च न्यायालय ने नागपुर स्थित फुटाला तालाब कोई पानथल स्थल यानि वेटलैंड नहीं रहने की बात स्पष्ट करते हुए इस तालाब पर म्युझिकल फाउंटेन प्रकल्प का काम की अनुमति दी. इसके चलते फुटाला तालाब पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का महत्वाकांक्षी प्रकल्प रहनेवाले म्युझिकल फाउंटेन के निर्माण का रास्ता अब खुल गया है. सीजेआई भूषण गवई सहित न्या. के. विनोद चंद्रन व न्या. एन. वी. अंजारिया की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है.
फुटाला तालाब पर म्युझिकल फाउंटेन प्रकल्प बनाए जाने के खिलाफ स्वच्छ असोसिएशन नामक पर्यावरण प्रेमी संस्था द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. जिसे सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा कि, राज्य पानथल स्थल प्राधिकरण ने फुटाला तालाब को पानथल यानि प्राकृतिक जलस्त्रोत वाले स्थान का दर्जा नहीं दिया है, बल्कि यह तालाब मानव निर्मित जलाशय है. जहां पर म्युझिकल फाउंटेन प्रकल्प हेतु सभी आवश्यक अनुमतियां ली गई है. अदालत ने जनवरी 2024 में सभी प्राथमिक मुद्दों को ध्यान में रखते हुए इस प्रकल्प को लेकर यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया था. परंतु अंतिम सुनवाई के बाद याचिका में उठाए गए मुद्दों को अदालत ने गुणवत्तहीन बताया.

* इन निर्देशों का पालन बंधनकारक
पानथल स्थल (संवर्धन व व्यवस्थापन) नियम 4 (2) (6) के अनुसार फुटाला तालाब में कोई स्थायी निर्माणकार्य न किया जाए और किसी भी तरह का निर्माण करते समय इस नियम का कडाई से पालन किया जाए. तालाब को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया जाए, बल्कि तालाब को साफसुथरा रखते हुए इसकी नियमित देखभाल की जाए, ऐसे निर्देश हाईकोर्ट द्वारा पहले ही दिए जा चुके है और फुटाला तालाब के संरक्षण हेतु प्रशासन द्वारा इन निर्देशों का पालन करना अनिवार्य व बंधनकारक है.

* हाईकोर्ट का निर्णय कायम
स्वच्छ असोसिएशन ने इससे पहले इस विषय को लेकर मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की थी. जिसका 30 नवंबर 2023 को निपटारा करते हुए हाईकोर्ट ने फुटाला तालाब के संरक्षण हेतु विविध निर्देश देने के साथ ही म्युझिकल फाउंटेन प्रकल्प को भी कायम रखा था. इस फैसले को स्वच्छ असोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. जहां पर दोनों पक्षों का युक्तिवाद सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को कायम रखते हुए स्वच्छ असोसिएशन की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया.

Back to top button