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रार नहीं ठानूंगा, हार नहीं मानूंगा
अमरावती– अमूमन अच्छा-खासा और हट्टा-कट्टा शरीर रहने के बावजूद कई लोग आलस और कामचोर प्रवृत्ति के चलते भीख मांगकर गुजारा करते है. वहीं प्रस्तुत छायाचित्र में दिखाई दे रहा बुजुर्ग व्यक्ति वृध्दावस्था के साथ-साथ जर्जर शरीर रहने के बावजूद भीख मांगने या लोगों के सामने हाथ फैलाने की बजाय सडक पर खडे रहकर काम-धंधा करते हुए मेहनत के साथ अपनी रोजी-रोटी कमा रहा है. स्थानीय शेगांव नाका चौराहे के ट्राफीक सिग्नल पर रूकनेवाले वाहन चालकों को पेन बेचने का प्रयास कर रहा यह बुजुर्ग शायद इन्हीं पंक्तियों को प्रत्यक्ष में साकार कर रहा है कि, काल के कपाल पर लिखता और मिटाता हूं, रार नहीं ठानूंगा, हार नहीं मानूंगा, गीत नया गाता हूं. (फोटो- अक्षय नागापुरे)