बताईएं अब तक कितने किसानों ने जिनिंग में कपास बेचा!

हाईकोर्ट ने भारतीय कपास महामंडल से पूछा

नागपुर/दि.19 – भारतीय कपास महामंडल द्वारा विदर्भ में 346 कपास निसाई और सिकाई कारखानों को कपास खरीदने के ठेके दिए जाने के तथ्य पर ध्यान देते हुए, मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने गुरुवार को सवाल किया कि क्या किसानों को इसकी जानकारी थी या नहीं. अदालत ने निगम को मंगलवार तक सभी 346 निसाई कारखानों के नाम और प्रत्येक किसान द्वारा अब तक प्रत्येक कारखाने को बेची गई कपास की मात्रा (क्विंटल में) की जानकारी प्रस्तुत करने का भी आदेश दिया.
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति अनिल किलोर और रजनीश व्यास के समक्ष हुई, जिसके दौरान निगम ने हलफनामा दाखिल कर कपास खरीद केंद्रों के बारे में जानकारी दी. कपास खरीद केंद्र शुरू करने के लिए कम से कम तीन हजार हेक्टेयर भूमि पर कपास की खेती होनी आवश्यक है. अदालत को बताया गया कि चार मानदंड पूरे होने चाहिए. बागान, एपीएमसी मार्केट यार्ड, कम से कम एक जिनिंग और प्रेसिंग फैक्ट्री, और उचित मूल्य पर कपास के भंडारण की सुविधा. इसी आधार पर, विश्वप्रा में कुल 435 कपास जिनिंग केंद्र शुरू किए गए हैं, जिनमें से 89 निगम के स्वामित्व में हैं और 346 जिनिंग और प्रेसिंग फैक्ट्रियों के स्वामित्व में हैं.
इसी बीच, अदालत के मित्र एड. पुरुषोत्तम पाटिल ने आरोप लगाया कि निगम कपास खरीद केंद्रों के मामले में मनमाने ढंग से काम कर रहा है और इस संबंध में कई मुद्दों को अदालत के संज्ञान में लाया. अदालत ने जिनिंग कारखानों में कपास खरीद केंद्रों का मुद्दा भी संतोषजनक नहीं पाया. परिणामस्वरूप, उपरोक्त आदेश दिया गया. महाराष्ट्र के ग्राहक पंचायत के जिला सचिव श्रीराम सतपुते ने कपास उत्पादक किसानों के हित में एक जनहित याचिका दायर की है.

* शपथ पत्र की अन्य महत्वपूर्ण बातें
– अब तक कॉटन किसान ऐप पर तीन लाख 20 हजार से अधिक किसानों ने पंजीकरण कराया है और 12 दिसंबर तक उनसे 35 लाख 8 हजार 571.92 क्विंटल कपास की खरीद की जा चुकी है.
– वस्त्र उद्योग के लिए 8 प्रतिशत नमी वाली कपास सर्वोत्तम होती है. हालांकि, किसानों के हित में 8 से 12 प्रतिशत नमी वाली कपास खरीदी जाती है. निगम के लिए 12 प्रतिशत से अधिक नमी वाली कपास खरीदना संभव नहीं है.
– इस वर्ष कपास खरीदी की मर्यादा बढाकर प्रति हेक्टेअर 23.68 की गई हैं. किसानों को उससे अधिक कपास लाने सक्षम अधिकारी का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य हैं.

Back to top button