पुलिस हमारी आवाज को दबाने का कर रही प्रयास

आश्रमशाला की मृत छात्रा के परिजनों ने लगाया आरोप

* पुलिस एवं आश्रमशाला संचालकों के बीच मिलिभगत रहने की बात कही
* जिलाधीश व पुलिस अधीक्षक से मुलाकात कर लगाई इंसाफ मिलने की गुहार
अमरावती/दि.2 – विगत 29 जुलाई को चिखलदरा तहसील अंतर्गत नागापुर स्थित वसंतराव नाईक आदिवासी आश्रमशाला में पानी की टंकी के अचानक ढह जाने के चलते मलबे की चपेट में आकर सुमरती सोमा जामुनकर नामक छात्रा की मौत हो गई थी. जिसके बाद उक्त छात्रा के माता-पिता व परिजनो ने अब जिलाधीश व ग्रामीण पुलिस अधीक्षक को लिखित पत्र सौंपते हुए खुद को इंसाफ मिलने की गुहार लगाई है. साथ ही आरोप लगाया कि, आश्रमशाला के संचालकों ने खुद को बचाने के लिए चिखलदरा पुलिस से मिलिभगत कर ली है और चिखलदरा पुलिस इस मामले में पीडित परिवार की आवाज को दबाने का काम कर रही है.
इस बारे में मृतक छात्रा के परिजनो ने आदिवासी आश्रमशाला के संचालक मंडल, मुख्याध्यापक, अधीक्षक व अन्य स्टाफ के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किए जाने की मांग उठाने के साथ ही कहा कि, पुलिस अधिकारियों ने बच्ची के शव के साथ बदसलूकी करने का काम किया. साथ ही परिवार के अधिकारों उल्लंघन भी किया. जामुनकर परिवार का यह भी कहना रहा कि, उक्त आश्रमशाला की इमारत व पानी की टंकी विगत लंबे समय से जर्जर अवस्था में थी. जिसकी कोई मरम्मत नहीं कराई गई थी. यह काम संस्था के संचालक मंडल का था. जिसकी ओर संस्था के संचालकों ने पूरी तरह से लापरवाही बरती. ऐसे में यह हादसा पूरी तरह से संस्था की लापरवाही व अनदेखी का परिणाम कहा जा सकता है. साथ ही उस हादसे के बाद भी आश्रमशाला संचालकों ने पुलिस के साथ मिलिभगत करते हुए अपनी असंवेदनशिलता का परिचय दिया. क्योंकि जब उक्त बच्ची के शव को पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार के लिए धारणी ले जाया जा रहा था, तो चिखलदरा पुलिस स्टेशन के थानेदार प्रशांत मसराम व अन्य पुलिस कर्मियों ने शवयात्रा को घटांग फाटे पर रोकने के साथ ही परिजनों को डराया-धमकाया व पार्थिव के साथ अवमानजनक व्यवहार किया. इसके बावजूद जब सभी परिजन धारणी की ओर आगे बढे, तो उन्हें कुकरु-खामला फाटे पर दुबारा रोका गया और इस बार उपविभागीय पुलिस अधिकारी शुभमकुमार ने अपने अधिनस्थों के मार्फत परिजनों पर दबाव डालते हुए शव को धारणी की बजाए गंगारखेड या बामदेही गांव ले जाने के लिए कहा. इस समय स्वप्निल उर्फ गोलू भक्ते नामक व्यक्ति ने जिस वाहन में शव रखा हुआ था, उस वाहन को लाथ मारते हुए गालिगलौज कर परिजनों को धमकाया. ऐसे में इन सभी लोगों के खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज करते हुए निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए. क्योंकि यह केवल एक बच्ची की मौत की त्रासदी नहीं है, बल्कि यह आदिवासी समाज के सम्मान और अधिकारों का खुला उल्लंघन है.

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