पुलिस उम्मीदवारों को उच्च न्यायालय से राहत

पुसद /दि.18 – केंद्रीय सशस्त्र पुलिस दल, एसएसएफ, आसाम रायफल्स व नारकोटीक्स कंट्रोल ब्युरो में कांस्टेबल पद की भर्ती प्रक्रिया में उम्मीदवारों को दी जानेवाली मनमानी वैद्यकिय अपात्रता पर मुंबई उच्च न्यायालय ने कडी भूमिका ली है. प्रधान खंडपीठ मुंबई के न्यायमूर्ति रविंद्र घुगे व न्यायमूर्ति अश्विन भोबे की खंडपीठ ने हिंगोली जिले के तीन युवा उम्मीदवारों को राहत देनेवाला महत्वपूर्ण फैसला सुनाया.
मंगेश चंद्रकांत पतंगे (23) और विष्णू माधवराव ढोणे (22) नामक उम्मीदवारों को केवल जन्म से ही तील के निशान रहने के कारण पर से वैद्यकिय परीक्षण व पुर्नवैद्यकिय परीक्षण में अपात्र ठहराया गया था. लेकिन दोनों उम्मीदवारों ने संगणक आधारित परीक्षा में क्रमश: 122.60 व 117.12 अंक प्राप्त कर कटऑफ से अधिक अंक प्राप्त किए थे. साथ ही शारीरिक जांच भी सफल रूप से पूर्ण की थी. नाशिक के डॉ. वी.पी. मेडिकल कॉलेज की तज्ञ रिपोर्ट के मुताबिक संबंधित त्वचारोग मामूली हैं. अपात्रता को कारणीभूत नहीं ठहराई जा सकती. यह रिपोर्ट ग्राह्य मानते हुए न्यायालय ने दोनों उम्मीदवारों को वैद्यकिय दृष्टि से पात्र ठहराते हुए अन्य शर्त पूर्ण रहने पर चयन प्रक्रिया में शामिल करने के निर्देश दिए. साथ ही वैभव पांजरकर (25) नामक उम्मीदवार को त्वचा पर पीगमेंटेड स्कार कारण से अपात्र ठहरानेवाली वैद्यकिय रिपोर्ट मार्गदर्शक तत्व के विरोध में रहने की बात दर्ज कर न्यायालय ने रद्द कर दी. उसे फिर से वैद्यकिय परिक्षण करने के निर्देश दिए गए. विशेष यानी उसने भी संगणक आधारित परीक्षा में 112. 76 अंक प्राप्त किए थे. जो कटऑफ से अधिक है. भरती प्रक्रिया में वैद्यकिय जांच करते समय निर्धारित मार्गदर्शक तत्व का कडाई से पालन आवश्यक रहने की बात न्यायालय ने स्पष्ट की. विशेषत: पिछडे इलाकों के उम्मीदवारों पर होनेवाले अन्यायकारक अपात्रता बाबत न्यायालय ने अप्रत्यक्ष रूप से निराशा व्यक्त की. इस प्रकरण की याचिका का मसूदा और संशोधन एड. अमोल काले ने किया. जबकि सुनवाई के दौरान एड. अमोल काले व एड. अक्षय मस्के ने प्रभावी युक्तिवाद किया. उनके युक्तवाद के कारण प्रकरण की तत्काल सुनवाई होकर उम्मीदवारों को न्याय मिला.

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