नेहरू मैदान की ऐतिहासिक ‘लाल स्कूल’ पर राजनीति या पुनर्जीवन की जरूरत?

समाजसेवी इमरान खान ने दिया महत्वपूर्ण सुझाव

अमरावती/दि.14 – शहर की पहचान बन चुकी ऐतिहासिक लाल स्कूल नेहरू मैदान को लेकर इस समय अमरावती में राजनीतिक घमासान जारी है. हर नेता इस मुद्दे को लेकर अपनी-अपनी राजनीति चमकाने में लगा है, लेकिन असली सवाल यह है कि आखिर यह स्कूल इस हाल तक क्यों पहुँची और इसे दोबारा कैसे जिंदा किया जाए? समाजसेवी इमरान खान, जो स्कूल बचाव समिति के सदस्य हैं, ने इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए कहा कि नेताओं को राजनीति छोड़कर समाज की भलाई और शिक्षा के उत्थान के लिए काम करना चाहिए. जिस तरह पश्चिमी क्षेत्र में जिला परिषद उर्दू एकेडमी हाई स्कूल को कुछ समाजसेवी लोगों ने मिलकर पुनर्जीवित किया, उसी तरह नेहरू मैदान की स्कूल को भी फिर से जीवित किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि पश्चिमी क्षेत्र के समाजसेवियों ने एक शाला समिति बनाकर न सिर्फ बंद होने वाली स्कूल में दोबारा कक्षाएं शुरू कीं, बल्कि बच्चों को लाने-ले जाने की व्यवस्था भी की. परिणामस्वरूप वह स्कूल, जो इतिहास के पन्नों में दबी जा रही थी, आज फिर से बच्चों की आवाजों से गूंज रही है. यह वही स्कूल है जिसका इतिहास 1876 से जुड़ा है – यानी सौ साल से भी पुराना गौरवशाली शैक्षणिक केंद्र.
इमरान खान ने आगे कहा कि यदि संकल्प और नीयत सही हो तो नेहरू मैदान की स्कूल में भी यह संभव है. सिर्फ मैदान बचाव समिति बनाने से काम नहीं चलेगा, बल्कि एक स्कूल बचाओ समिति भी बननी चाहिए. क्योंकि मैदान के साथ-साथ स्कूल भी उतनी ही जरूरी है. अगर स्कूलें बंद हो गईं तो मैदान बचाकर भी हम शिक्षा नहीं बचा पाएंगे. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि स्कूल बचाव समिति के प्रयासों और संजू भाऊ खोड़के साहब के सहयोग से पश्चिमी क्षेत्र में एक आधुनिक लाइब्रेरी का निर्माण हुआ है, जहाँ आज दो पालियों में छात्र अध्ययन करते हैं और यह पहल शिक्षा के क्षेत्र में प्रेरणादायक साबित हो रही है.
इमरान खान ने शहरवासियों और नेताओं से अपील की है कि – राजनीति छोड़िए, समाज की भलाई के बारे में सोचिए. मैदान के साथ-साथ स्कूल को भी बचाइए, ताकि आने वाली पीढ़ियां शिक्षित और सक्षम बन सकें.

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