डीजे की ‘दन-दन’ से पीओपी सिलिंग गिरा

पथ्रोट का मामला, गणेश विसर्जन के दौरान हुआ ध्वनी मर्यादा का उल्लंघन

पथ्रोट /दि.11 – किसी भी तरह के जुलूस अथवा शोभायात्रा में डीजे के प्रयोग को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने के साथ ही प्रशासन द्वारा लाउड स्पीकर के प्रयोग हेतु ध्वनी अधिकतम मर्यादा भी तय कर दी गई है. परंतु इसके बावजूद अक्सर ही शोभायात्राओं व जुलूसो में डीजे का खुलेआम प्रयोग करने के साथ ही ध्वनी की अधिकतम मर्यादा का भी धडल्ले से उल्लंघन किया जाता है. ऐसा ही कुछ विगत दिनों पथ्रोट में आयोजित गणेश विसर्जन की शोभायात्रा के दौरान हुआ और इस समय ध्वनी की अधिकतम मर्यादा से कहीं अधिक ‘हाई पिच’ पर डीजे को ‘दन-दन’ बजाए जाने के चलते पैदा हुए कंपन की वजह से गांव में स्थित एक घर का पीओपी सिलिंग टूटकर नीचे गिर पडा. सौभाग्य से इस घटना में किसी भी तरह की कोई जनहानि नहीं हुई.
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक विगत 9 सितंबर को दोपहर 4 बजे पथ्रोट पुलिस थाना क्षेत्र अंतर्गत गणेश विसर्जन की रैली निकाली गई. इस समय 82 डेसीबल की अधिकतम मर्यादा को पार करते हुए करीब 109 डेसीबल तक डीजे को बजाया गया. इससे निकलने वाली आवाज ने वातावरण में बडे पैमाने पर कंपन पैदा किया. इस समय भले ही संबंधित गणेशोत्सव मंडल के पदाधिकारी व कार्यकर्ता डीजे की आवाज पर बेभान होकर नाच रहे थे. लेकिन पूरे परिसर में रहनेवाले लोगों को डीजे के इस शोर की वजह से अच्छी-खासी तकलिफे हो रही थी और लोगबाग अपने कानों को बंद करने पर मजबूर दिखाई दिए. इसी दौरान डीजे की आवाज से पैदा हुए कंपन के चलते प्रमोद हागे नामक व्यक्ति के घर की बैठक में लगा पीओपी का सिलिंग भरभराकर ढह गया और प्रमोद हागे का अच्छा-खासा आर्थिक नुकसान भी हुआ. खास बात यह है कि, इस घटना को लेकर अब तक पथ्रोट पुलिस थाने में कोई भी शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है.

* गत वर्ष तेज आवाज के चलते हुई थी एक की मौत
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, गत वर्ष गणेश विसर्जन शोभायात्रा के दौरान ध्वनी प्रदूषण के चलते एक बुजूर्ग व्यक्ति की मौत हुई थी. साथ ही कुछ युवकों के कान के परदे फटकर वे बधीर यानि बहरे भी हो गए. परंतु गत वर्ष के इस अनुभव को भुलाते हुए इस बार ध्वनी के स्तर को गत वर्ष से भी अधिक रखा गया. जिससे पूरे पथ्रोट शहर के लोगों को अच्छी-खासी तकलिफे हुई. लेकिन इसके बावजूद पुलिस ने डीजे मालिक सहित किसी भी अन्य व्यक्ति के खिलाफ कोई अपराध दर्ज नहीं किया है.

* ध्वनी प्रदूषण का स्वास्थ पर होता है विपरित परिणाम
ज्ञात रहे कि, 70 डेसीबल से अधिक आवाज स्वास्थ के लिए काफी हद तक हानिकारक होती है. जिससे रक्तदाब व हृदयरोग जैसी समस्याएं पैदा होने के साथ ही कान के परदे फटकर बहरा होने का भी खतरा रहता है. इसके साथ ही तेज आवाज के चलते हृदय व रक्त वाहिनियों से संबंधित समस्याएं पैदा हो सकती है और हृदय की धडकने अनियमित होकर हृदयाघात भी हो सकता है. ऐसे में पर्यावरण विशेषज्ञों द्वारा हमेशा ही यह आवाहन किया जाता है कि, गणेशोत्सव मंडलों के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं द्वारा गणेश स्थापना एवं गणेश विसर्जन शोभायात्रा के दौरान पारंपरिक वाद्य बजाते हुए उत्सव की खुशिया मनाई जानी चाहिए.

* क्या कहता है नियम?
गणेशोत्सव में ध्वनी की अधिकतम सीमा को लेकर कुछ नियम है. इसके अनुसार दिन के समय रिहायशी क्षेत्र में 55 डेसीबल व व्यवसायिक क्षेत्र में 65 डेसीबल तथा रात के समय रिहायशी क्षेत्र सहित व्यवसायिक क्षेत्र में 55 डेसीबल तक आवाज रह सकती है. पुलिस एवं प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा इन नियमों को लागू करवाया जाता है. साथ ही इन नियमों का उल्लंघन होने पर संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है. हालांकि अधिकांश गणेशोत्सव मंडलों द्वारा गणेशोत्सव दौरान ध्वनी की अधिकतम मर्यादा का धडल्ले के साथ उल्लंघन किया जाता है. लेकिन इसे लेकर कभी किसी सार्वजनिक मंडल के खिलाफ पुलिस एवं प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा कार्रवाई होती दिखाई नहीं देती.

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