गुणवत्ता को प्राथमिकता दें, मराठी विश्वविद्यालय को पूरा सहयोग मिलेगा

उच्च शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटील का कथन, अभिजात भाषा परिषद का शुभारंभ

अमरावती /दि.7 – मराठी भाषा को लगभग ढाई हजार वर्षों का इतिहास प्राप्त है, इसलिए मराठी में अनुसंधान आवश्यक है. मराठी भाषा के विकास के लिए रिद्धपूर में मराठी भाषा विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है. इसलिए विश्वविद्यालय को गुणवत्ता की दिशा में कार्य करना चाहिए. इस कार्य में विश्वविद्यालय को राज्य सरकार की ओर से पूर्ण सहयोग मिलेगा, यह आश्वासन उच्च शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटील ने दिया.
अभिजात मराठी भाषा सप्ताह के उपलक्ष्य में संत गाडगेबाबा अमरावती विश्वविद्यालय में अभिजात भाषा का दर्जा प्राप्त देश की 11 भाषाओं के प्रतिनिधियों की परिषद का शुभारंभ हुआ. इस अवसर पर संत गाडगेबाबा विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. मिलिंद बारहाते, मराठी भाषा विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. अविनाश आवलगावकर, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सचिव डॉ. मनीष जोशी, मराठी भाषा विभाग के सचिव किरण कुलकर्णी, तथा सहसचिव अभय खांबोरकर उपस्थित थे.
इस समय मंत्री पाटील ने कहा कि आज के समय में अनुसंधान को बहुत महत्व प्राप्त हो गया है. अनुसंधान के माध्यम से पेटेंट और उससे रॉयल्टी प्राप्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं. भारत ने वैश्विक स्टार्टअप क्षेत्र में अग्रणी स्थान प्राप्त किया है. भारत को विश्वशक्ति बनाने के लिए शिक्षा और अनुसंधान को प्राथमिकता दी जा रही है. तकनीकी विषयों का अध्ययन मातृभाषा मराठी में कराया जा रहा है. पिछले सत्र में 67% पॉलिटेक्निक छात्रों ने मराठी में परीक्षा दी. मातृभाषा में शिक्षा मिलने से विषय समझने में आसानी होती है. इसका परिणाम यह हुआ कि एक वर्ष में पॉलिटेक्निक में प्रवेश संख्या दोगुनी हो गई. सरकार मराठी विश्वविद्यालय के विषय को गंभीरता से ले रही है. आवश्यक पदों को भरने की अनुमति दी गई है. भवन निर्माण की भी सभी मंजूरी दी गई है. अब विश्वविद्यालय को उच्चतम गुणवत्ता वाली शिक्षण व्यवस्था स्थापित करनी चाहिए. विशेषज्ञ शिक्षकों की नियुक्ति, सुसज्जित पुस्तकालय की स्थापना होनी चाहिए. स्वतंत्रता के बाद दस्तावेजीकरण की प्रवृत्ति कम हुई है, इसलिए स्पष्ट और तथ्यपरक रिकॉर्ड रखने की दिशा में पहल की जानी चाहिए. इस परिषद में उस विषय पर विचार होना चाहिए. यह परिषद मराठी भाषा के भविष्य के लिए मील का पत्थर साबित होगी, ऐसा मंत्री पाटील ने कहा.
इस अवसर पर डॉ. आवलगावकर ने परिषद के आयोजन का उद्देश्य बताया और मराठी विश्वविद्यालय की प्रगति पर प्रकाश डाला. श्री. कुलकर्णी ने कहा कि भाषा के क्षेत्र में बड़ा काम करने के लिए यह परिषद उपयोगी सिद्ध होगी. श्री. जोशी ने कहा कि परिषद में हुई चर्चा के अनुसार यूजीसी कार्य करेगा.
शुरुआत में मान्यवरों की उपस्थिति में ग्रंथ दिंडी (पुस्तक रैली) निकाली गई. क्षिप्रा मानकर ने मंच संचालन किया.

पहली बार 11 भाषाओं में ‘भाषिनी’ का उपयोग
इस अभिजात भाषा परिषद में देशभर की 11 अभिजात भाषाओं के प्रतिनिधि उपस्थित हैं. सभी को अपनी-अपनी भाषा में समझने के लिए ‘भाषिनी’ तकनीक का उपयोग किया गया है. वक्ता जब अपनी मातृभाषा में भाषण देते हैं, तो उसका तत्काल अनुवाद स्क्रीन पर 11 भाषाओं में प्रदर्शित होता है. यह पहली बार है जब इस तरह का बहुभाषी अनुवाद एक साथ किया गया है. ‘भाषिनी’ एक भारतीय भाषा अनुवाद तकनीक है. इससे श्रोताओं को अपनी भाषा में विषय समझने में सहायता मिली है.

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