जिले में सार्वजनिक जलस्त्रोतों की हो रही गुणवत्ता जांच
1934 जलस्त्रोतों के लिए जा रहे सैम्पल

* जलापूर्ति व स्वच्छता विभाग की मुहिम
अमरावती /दि.19 – जिला परिषद के पानी व स्वच्छता मिशन तथा स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में सार्वजनिक जलस्त्रोतों के पानी की गुणवत्ता को जांचने हेतु सर्वेक्षण का काम शुरु किया गया है. जिसके तहत 1 से 31 अक्तूबर की कालावधि के दौरान मानसून पश्चात स्वच्छता सर्वेक्षण किया जा रहा है. इसके अंतर्गत जिले की 1934 ग्राम पंचायतों के सार्वजनिक जलस्त्रोतों का समावेश करते हुए संबंधित जलस्त्रोतों से पानी के सैम्पल लिए जा रहे है.
पानी गुणवत्ता सर्वेक्षण व संनियंत्रण कार्यक्रम अंतर्गत यह महत्वपूर्ण सर्वेक्षण बारिश से पहले और बारिश के बाद साल में दो बार किया जाता है. पीने के पानी की गुणवत्ता व सुरक्षितता को निश्चित करने, स्वास्थ्य संबंधी संभावित खतरों को पहचानकर आवश्यक उपाययोजना करने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्वच्छता सर्वेक्षण किया जाता है. इस सर्वेक्षण की जिम्मेदारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के वैद्यकीय अधिकारियों पर सौपी गई है. यह सर्वेक्षण ग्राम पंचायत में जल सुरक्षक, अधिकारी व स्वास्थ्य सेवक के मार्फत किया जाता है. सर्वेक्षण के मानक तथा स्त्रोतों की जोखिम के अनुसार वर्गीकरण करते हुए ग्राम पंचायतों को लाल, हरे, पीले व चंदेरी कार्ड वितरित किए जाते है. सर्वेक्षण हेतु प्रपत्र ‘अ’, ‘ब’ व ‘क’ के अनुसार जलस्त्रोतों की जानकारी का संकलन किया जा रहा है. जिसके जरिए जलस्त्रोतों के परिसर व जल शुद्धीकरण को लेकर प्रत्यक्ष मुआयना करते हुए जोखिम के अनुसार ग्राम पंचायत की पानी की गुणवत्ता से संबंधित जोखिम निश्चित की जानेवाली है. यह अभियान 31 अक्तूबर तक चलता रहेगा.
* जोखिम के अनुसार अलग-अलग रंग वाले कार्ड
गांवों में अस्वच्छता कुछ अधिक प्रमाण में पाई जाती है. जिसके चलते जलस्त्रोत भी दूषित होते है. ऐसे में जलस्त्रोतों में प्रदूषण के स्तर और सार्वजनिक स्वास्थ्य को लेकर रहनेवाली जोखिम के अनुसार ग्राम पंचायतों को अलग-अलग रंग वाले कार्ड दिए जाएंगे. जिसके तहत जिन ग्राम पंचायतों में पानी का शुद्धीकरण अनियमित होता है और जलस्त्रोत का परिसर पूरी तरह से अस्वच्छ पाया जाता है. साथ ही जहां पर विगत एक साल के दौरान जलजन्य बीमारियों का संक्रमण हुआ है और जिन ग्राम पंचायतों में टीसीएल पाउडर पर्याप्त प्रमाण में उपलब्ध नहीं है, उन्हें तीव्र जोखिम वाली श्रेणी में रखते हुए लाल रंग का कार्ड दिया जाएगा. वहीं जिन गांवों में अस्वच्छता पाई जाएगी उन्हें स्वच्छ सर्वेक्षण में मध्यम जोखिम वाला गांव घोषित करते हुए पीले रंग का कार्ड दिया जाएगा. साथ ही जिन ग्राम पंचायतों में साफसफाई रहने के साथ ही जलस्त्रोतों का पानी पूरी तरह से शुद्ध पाया जाएगा, उन्हें हरे रंग का कार्ड दिया जाएगा.





