रम्मू सेठ परतवाड़ा-अचलपुर दोनो पालिकाओं के रहे अध्यक्ष
हरिशंकर, रफीक, लल्लूप्रसाद है सबसे चर्चित नगराध्यक्ष

परतवाड़ा/दि.11 -: वर्ष 1985 से आज 2025 तक अनेक मान्यवर नेताओ की नगराध्यक्ष के रूप में नगर पालिका अचलपुर में ताजपोशी हुई है लेकिन आज भी चर्चा में सिर्फ तीन या चार दिग्गजों के नाम ही लिये जा सकते है.इसमे सबसे पहले रामकिसन ओंकारमल अग्रवाल उर्फ रम्मू सेठ का नाम लिया जा सकता है.रम्मू सेठ यह अपने आप मे ही एक ब्रांड थे.खालिस मोटर लाइन के धंधे से तीर्थयात्रा और राजनीति में उनकी दखलंदाजी से हर कोई परिचित रहा है.24×7 उनका सिविल लाइन में ओम मंगल कार्यालय में शुरू रहता किचन नागरिको की पहली पसंद रहा करता था. नत्थू महाराज उनके एकमात्र रसोईया रहे जो हर व्यक्ति की दिल से खातिरदारी करते थे.रम्मू सेठ यह स्वतंत्र परतवाड़ा नगर पालिका में मोटर कार चुनाव चिन्ह लेकर अध्यक्ष बने तो 90 से 95 के कार्यकाल में वो एकत्रित अचलपुर नगर पालिका के अध्यक्ष भी बने.अपनी असहज व स्पष्ट वाणी के लिए रम्मू सेठ सर्वत्र परिचित रहे है.आपके मार्गदर्शन में ही सदर बाजार में राम मंदिर का निर्माण हुआ था.
अचलपुर नगर पालिका एकत्रीकरण के बाद पहला अध्यक्ष होने का सर्वोच्च सम्मान हरिशंकर अग्रवाल उर्फ बाबूजी को दिया जा सकता है.रतनलाल छोटेलाल जिनिंग प्रेसिंग फैक्ट्री के मुख्य संचालक औऱ कांग्रेस के लोकल में कद्दावर नेता के रूप में उनकी पहचान रही है.देश का ऐसा कोई भी कांग्रेसी नेता,मंत्री, राष्ट्रपति ऐसा नही है जो हरिशंकर को जानता नही हो.तत्कालीन कांग्रेस के महाराष्ट्र प्रभारी मोतीलाल वोरा से बाबूजी के घनिष्ठ संबंध रहे,बावजूद इसके उन्हें विधायक की टिकट नही मिल सकी.आज परतवाडा नगर पालिका क्षेत्र में जो शासकीय तंत्र निकेतन दिखाई देता है वो हरिशंकर के ही राजनीतिक पहुंच का उदारहण है.उस वक्त नगर पालिका के खुद के बलबूते पर बाबूजी ने नपा संचालित तंत्र निकेतन शुरू कर दिखाया था.अभी-अभी दो-तीन वर्ष पूर्व ही इसे राज्य सरकार ने टेक ओवर कर लिया है.हरिशंकर द्वारा शुरू किए इस पॉलिटेक्निक कॉलेज में सुदूर मेघालय, बिहार,यूपी के छात्र भी शिक्षा हासिल कर चुके है.वर्ष 85 से 90 तक उनका कार्यकाल रहा.वो एकमात्र ऐसे व्यक्ति है जो एकीकृत अचलपुर नगर पालिका के दो मर्तबा अध्यक्ष रहे.रम्मू सेठ के वर्ष 90 में अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद उन्ही पर अविश्वास लाया गया और हरिशंकर दुबारा अध्यक्ष की कुर्सी पर विराजमान हुए थे.हरिशंकर के खास रहे लल्लूप्रसाद दीक्षित ने अपनी कूटनीति का परिचय देते हुए उन्हें पहली मर्तबा पदच्युत करने का कारनामा कर दिखाया था.लल्लूप्रसाद को सभी कल्लू महाराज के नाम से जानते है.कल्लू महाराज उस शख्सियत का नाम है जब नगर पालिका देर शाम 5 बजे से आबाद होती थी.रात में 11 बजे तक नपा के कामकाज निर्विघ्न चलते रहते थे.कल्लू महाराज की एक विशेषता यह रही कि वो कभी किसी कलेक्टर,एसडीओ,मंत्री-संत्री की मीटिंग,आमंत्रण में शामिल नही हुए.ऑक्ट्रॉय का ज़माना था और ओंकारमल जोधराज फर्म की ऑक्ट्रॉय चोरी के वाहन को अग्निशमन वाहन से खींच कर लाने का काम भी महाराज के कहने पर ही किया गया था.कल्लू महाराज की सबसे बड़ी उपलब्धता है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में 110 बेरोजगारों को रोजनदारी पर नपा में कर्मचारी के रूप में रखा था.इस बात पर बवाल मचा.मिनी शॉपिंग कॉम्प्लेक्स भी उन्ही की देन है.कल्लू महाराज द्वारा नियुक्त सभी 110 कर्मचारी बाद में नपा के स्थायी कर्मचारी भी बने, कुछ रिटायर्ड भी हो गए है.
वर्ष 2001 में पहली मर्तबा नगराध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता से किया गया इसमे मो.रफीक शे. गुलाब ने अपने नजदीकी प्रतिद्वंद्वी भाजपा के गजानन कोल्हे को 90 वोट से पराजित किया था.इस चुनाव में भाजपा के बागी उम्मीदवार के रूप में झुम्बरलाल पांडे और लल्लूप्रसाद दीक्षित भी खड़े रहे और दोनों को मुहं की खानी पड़ी थी. इस प्रकार पहली मर्तबा कोई मुस्लमान अचलपुर का सदर -ए-शहर बनने में कामयाब रहा था. रफीक सेठ के अध्यक्ष बनने के बाद बहुसंख्यक हिंदुओ में यह चर्चा आम थी कि अब जुड़वाशहर का सत्यानाश होना तय है, लेकिन हुआ इसके ठीक विपरीत.भाई रफीक ने सारे समीकरण और लोगो की टटपुंजी सोच को ध्वस्त करने का काम किया. हाजी रफीक के कार्यकाल में शहर में कोई दंगा-फसाद नही हुआ, उन्होंने किसी भी पालिका के कर्मचारी का अहित नही किया था.सबसे बड़ी बात यह कि परतवाड़ा के बेलगाम हो चुके पक्के अतिक्रमण को नेस्तनाबूद करने का काम भी उन्ही के कार्यकाल में हुआ था.अतिक्रमण हटाने के इस अभियान में उस समय के नगर अभियंता विजय शर्मा के मालकी की राजस्थान लॉज,सुनील गारमेंट, दामोधर खानावाल, जयसिंघानी की इलेक्ट्रिक दुकान,कन्हैया पान सेंटर आदि बहुत सारा पक्का अतिक्रमण हटाया गया था.वीर मराठाओ की भूमि महाराष्ट्र में रफीक एकमात्र नगराध्यक्ष कहे जा सकते है कि जिनकी पहल पर परतवाड़ा के जयस्तंभ चौक पर छत्रपति शिवाजी महाराज की अश्वरूढ़ प्रतिमा का अनावरण केंद्रीय गृह मंत्री सुशीलकुमार शिंदे के हाथों से किया गया था.आज यह शिवतीर्थ हजारों लोगों की आस्था का केंद्र बिंदु है.भाई रफीक ने आज एक चर्चा में मुझे उनके दिल की बात कही.शायराना अंदाज में रफीक ने कहा-
बुलंदियों पर पहुंचना कोई कमाल नही,
बुलंदियों पर ठहरना कमाल होता है।।
वर्ष 2001 से 2006 तक रफीक अध्यक्ष रहे.इस बीच रवि,गजानन व अन्य ने रफीक की छठवीं संतान का मुद्दा उठाकर उन्हें कुर्सी से उतारने की भरपूर कोशिश की, किंतु नाकामयाबी मिली.बिहार ने लालूप्रसाद अपनी नौं संतान और परतवाड़ा में रफीक अपनी छह संतान के लिए भी लोगो मे परिचित बने.
ये वो चर्चित नगराध्यक्ष है जिन्होंने अपने कार्यकाल को लेकर एक इतिहास रचा है.वर्ष 96 में संगीता वैदय पहली महिला नगराध्यक्षा बनी. 97 में विजया रवि चौधरी को मौका मिला था. वर्ष 98 में साहूकार विलास काशीकर ने पालिका की बागडोर संभाली थी.एक साल तक लीलाबाई गुल्हाने को भी अध्यक्ष बनने का अवसर मिला फिर संगीता वैदय पुनः स्थापित हुई.वर्ष 2001 में रफीक की ताजपोशी हुई.अनिल पिंपले उन्ही के कार्यकाल में प्रभारी अध्यक्ष रहे.वर्ष 2006 में सचिन देशमुख, 2009 में लक्ष्मी वर्मा, 2010 में सोनाली प्रवीण पाटिल को अध्यक्ष बनने का अवसर मिला. वर्ष 2011 में बंबई का बाबू अरुण वानखड़े यह अवतरित हुए.उन्होंने राजनीतिक चौके-छक्के लगाए और नगराध्यक्ष बने.सोनाली पाटिल का कार्यकाल संतोषनगर तुलजा भवानी मंदिर के निर्माण हेतु तो अरुण वानखड़े शिव गणेश मंदिर के नूतनीकरण हेतु जाने जाते है.वर्ष 2014 में अहीर नंदवंशी समाज के सुख्यात पहेलवान रंगु भैय्या उर्फ रंगलाल नंदवंशी अध्यक्ष बने और उन्होंने अपना ढाई वर्ष का कार्यकाल बखूबी पूर्ण भी किया. 28 दिसंबर 16 को सुनीता फिस्के यह अध्यक्ष की कुर्सी पर विराजमान हुई.उन्होंने कांग्रेस की सरवत अंजुम और भाजपा की श्रीमती ढेपे को पराजित कर सत्ता काबिज की थी.27 दिसंबर 2021 तक वो अध्यक्ष बनी रही.तब से लेकर आज तक पालिका में प्रशासक राज ही चलता रहा है.प्रशासक राज में मनमानी कैसे चलती है इसका उदारहण दिया जा सकता.पालिका के निर्माण विभाग ने अभी दो दिन पूर्व दूल्हा गेट से चावलमंडी का अतिक्रमण हटाया है लेकिन अनेक मर्तबा शिकायत करने के बाद भी सीओ धिरजकुमार की टीम यह संतोषनगर का पक्का अतिक्रमण नही हटा रही है.अब वर्ष 2025 के नगराध्यक्ष का ताज पहनने के लिए पायली के पंद्रह, अधुली के अठारह तैयार नजर आ रहे है.
जो नगर पालिका के अध्यक्ष के रूप में अपना नाम कर गए, उनकी जानकारी लोगो को मिले, उन्हें लोग याद रखे इसलिए इतिहास के झरोखों से इसे लिखने का प्रयास किया गया.किसी शायर ने क्या खूब कहा है.अर्ज किया है-
हम बड़े कीमती लम्हात है कुछ कद्र करो,
हम जो गुजरे तो मयस्सर नही होनेवाले।।





