रामसजीवन दुबे के काव्य संग्रह ‘अनुगूंज’ का 20 को विमोचन
वरिष्ठ कवियित्री रजनी राठी की अध्यक्षता के तहत मूंगसाजी माउली सभागार में आयोजन

अमरावती/ दि. 17 – शहर के वरिष्ठ हिन्दी साहित्यकार रामसजीवन दुबे ‘साजन’ के काव्य संग्रह ‘अनुगूंज’ का विमोचन आगामी रविवार 20 जुलाई को दोपहर 2 बजे वर्हाडी की प्रसिध्द कवियित्री रजनी राठी की अध्यक्षता के तहत श्रीमती धनवंतीदेवी घुंडियाल के हस्ते होने जा रहा है. पुराना बायपास रोड पर चैतन्य कॉलोनी परिसर स्थित मूंगसाजी माउली सभागार में आयोजित कार्यक्रम में सप्तरंगी हिन्दी साहित्य संस्था के अध्यक्ष नरेन्द्र देवरणकर ‘निर्दोष’, सरयूपारिण ब्राह्मण सभा अमरावती के अध्यक्ष डॉ. सतीश तिवारी, वरिष्ठ कवि पवन नयन जायसवाल और कवियित्री एवं सप्तरंगी की सचिव बरखा शर्मा ‘क्रांति’ बतौर प्रमुख अतिथि मंच पर विराजमान रहेंगे.
उक्ताशय की जानकारी देते हुए ‘अनुगूंज’ के रचनाकार रामसजीवन दुबे ‘साजन’ ने सभी हिन्दी साहित्य प्रेमियों से चैतन्य कॉलोनी, पुराना बायपास रोड पर स्थित माउली सभागार में होने जा रहे काव्य संग्रह विमोचन समारोह में उपस्थिति का आवाहन किया है.
* वर्षो से लेखनरत दुबे जी
विशेष उल्लेखनीय है कि, विगत करीब 50 वर्षों से ‘साजन’ उपनाम के साथ काव्य रचना कर रहे रामसजीवन दुबे 20 जुलाई को ही जीवन के 75 वर्ष पूर्ण करने जा रहे हैं. अत: उनकी पुस्तक के विमोचन को लेकर नगर के हिन्दी साहित्यकारों में उत्सुकता और उत्साह है. ‘अनुगूंज’ में उनकी संकलित व चयनित रचनाएं है. उत्तर प्रदेश के जिला प्रतापगढ संसारपुर में जन्मे रामसजीवन दुबे साहित्य सिंचन संघ के पूर्व अध्यक्ष रहने के साथ ‘खालसा संदेश’ के पूर्व मानस संपादक एवं विविधा के पूर्व सदस्य रहे हैं. आपकी रचनाएं दैनिक भास्कर, दैनिक अमरावती मंडल, साप्ताहिक वृत्तसागर में गाहे- बगाहे प्रकाशित होती रही है. रामसजीवन दुबे स्थानीय राज महाविद्यालय (अब केएल कॉलेज) के छात्र रहे हैं. आपने अमरावती के साहित्य विधा के दिग्गज प्रा. पुरूषोत्तम राठी, प्रा. शिवचंद्र नागर, प्रा. विकल गौतम, पदमचंद जैन, प्रा. उदयन शर्मा, आत्माराम टोंबरे, गांधीवादी शोधकर्ता प्रा. रमाकांत चंद्राकर आदि के साथ विविध काव्यगोष्ठियों में सहभाग किया है. उसी प्रकार हिन्दी सेवी पुरूषोत्तम राठी के आप छात्र रहे हैं. आप बडे सहज सरल व्यक्तित्व के धनी है और 75 वर्ष की आयु में भी हिन्दी साहित्य विमर्श को लेकर उत्सुक और सक्रिय रहते हैं. अमरावती में हिन्दी की कवियों की काव्य गोष्ठी के टूटे हुए क्रम को पुन: सुचारू करने में आपके प्रयास उल्लेखनीय रहे हैं.





