गणोजा देवी के मंदिर में कोल्हापुर की श्री महालक्ष्मी का प्रतिरुप

अमरावती /दि.24 – अमरावती शहर से 25 किमी की दूरी पर गणोजा देवी नामक गांव स्थित है. जहां पर पेढी नदी के किनारे श्री महालक्ष्मी का पूर्व मुखी भव्य मंदिर है. मंदिर का कलश एवं शिखर काफी आकर्षक व दर्शनीय है. जिसके पत्थरों पर शानदार नकाशी कार्य किए गए है. नवरात्रौत्सव के दौरान यहां पर अमरावती व विदर्भ सहित देश-विदेश के विभिन्न क्षेत्रों से वास्ता रखनेवाले भाविक श्रद्धालू आते है.
विशेष उल्लेखनीय है कि, देवी के साढे तीन शक्तिपीठों में से एक कोल्हापुर की श्री महालक्ष्मी के प्रतिरुप का दर्शन अमरावती जिले की भातकुली तहसील अंतर्गत गणोजा देवी स्थित श्री महालक्ष्मी के मंदिर में होता है. विगत 500 वर्षों के अधिक समय से गणोजा देवी स्थित श्री महालक्ष्मी के दर्शन हेतु नवरात्रौत्सव में हजारों भाविक श्रद्धालू यहां पहुंचते है. गणोजा देवी गांव में स्थित श्री महालक्ष्मी इस क्षेत्र से वास्ता रखनेवाले कई लोगों की कुलदेवता भी है. मान्यता है कि, करीब 500 वर्ष पहले गणोजा देवी गांव में गणू भट नामक कोल्हापुर की महालक्ष्मी के परम भक्त रहा करते थे. जो प्रति वर्ष नवरात्र के समय गणोजा से कोल्हापुर श्री महालक्ष्मी के दर्शन हेतु जाया करते थे. परंतु जब गणू भट वृद्धावस्था को प्राप्त हुए, तो उन्होंने महालक्ष्मी के समक्ष हाथ जोडकर कहा कि, वे अब दर्शन के लिए कोल्हापुर नहीं आ सकेंगे, तो महालक्ष्मी ने उनसे कहा कि, वे खुद ही गणू भट के गांव आएंगी. लेकिन गणू भट को गांव में पहुंचने तक पीछे पलटकर नहीं देखना होगा. जिसके बाद गणू भट कोल्हापुर से गणोजा के लिए रवाना हुए और देवी महालक्ष्मी उनके पीछे-पीछे आने लगी. परंतु गणोजा गांव से होकर बहनेवाली पेढी नदी के पास पहुंचते ही गणू भट ने अचानक पीछे पलटकर देख लिया, उनके पीछे आ रही श्री महालक्ष्मी नदी के किनारे ही अंर्तध्यान हो गई. कालांतर में उसी स्थान पर देवी महालक्ष्मी का मंदिर स्थापित किया गया.
उक्ताशय की जानकारी देते हुए श्री महालक्ष्मी मंदिर संस्थान के सचिव बालासाहेब देशमुख ने बताया कि, गणू भट के साथ घटित इस घटना के कुछ वर्ष बाद जब पेढी नदी के किनारे उत्खनन किया गया, तो वहां से काले पाषाण की एक तेजस्वी मूर्ति प्राप्त हुई. कोल्हापुर की महालक्ष्मी का प्रतिरुप रहनेवाली इस मूर्ति की गांववासियों ने मार्गशीर्ष पुर्णिमा को प्राणप्रतिष्ठा करने के साथ ही आगे चलकर उसी स्थान पर एक मंदिर बनाया. जहां पर प्रति वर्ष नवरात्रौत्सव में तीर्थस्थापन, अखंड वीणा वादन, षोडशोपचार, अभिषेक व कीर्तन जैसे कार्यक्रम आयोजित होते है.





