पुसद अर्बन बैेंक के अध्यक्ष शरद मैंद के खिलाफ दूसरा मामला दर्ज

ठेकेदार मुन्ना वर्मा की आत्महत्या का प्रकरण

नागपुर/दि.25 – ठेकेदार वेंकटेश्वर उर्फ मुन्ना वर्मा के आत्महत्या प्रकरण में पुसद अर्बन को-ऑप. बैंक के अध्यक्ष शरद मैंद के विरोध में दर्ज हुए पहले प्रकरण में जमानत मिलने के बाद अब मैंद के विरोध में 6.68 करोड रुपए की जालसाजी का नया मामला दर्ज हुआ है. इस कारण खलबली मच गई है.
क्राईमब्रांच ने 17 सितंबर को मैंद और आरोपी मंजीत वाडे को गिरफ्तार किया था. तकनीकी कारणो से न्यायालय ने मैंद को पुलिस रिमांड की बजाए न्यायिक हिरासत में भेज दिया बाद में उसकी जमानत मंजूर कर ली. वर्मा की आत्महत्या की जांच के दौरान मैंद द्बारा डमी लोगों को करोडो रुपए का कर्ज वितरित किए जाने की बात पुलिस को पता चली. इस बाबत पुलिस ने ठेकेदार चंद्रसेन यादव से पूछताछ की. इस पूछताछ में पुसद बैंक और भारती मैंद पतसंस्था द्बारा की गई जालसाजी सामने आयी. यादव ने 2023 में भारती मैंद पतसंस्था में कर्ज के लिए आवेदन किया था. शरद मैंद ने यादव को गवाह के रूप में आधार कार्ड और पैन कार्ड वाले 12 लोगों को लाने कहा. यादव 9 लोगों को उनका आधार कार्ड व पैन कार्ड के साथ शरद मैंद के पास ले गए. मैंद ने कोरे कागज पर हस्ताक्षर लेकर उन्हें वापस भेज दिया. यादव और उनके साथ रहे गवाहों को कर्ज की कोई भी जानकारी नहीं दी गई. वर्मा की आत्महत्या की जांच में ऐसा दिखाई दिया कि 14 डमी लोगों के नाम पर कुल 6.68 करोड रुपए का कर्ज जारी किया गया था. पश्चात यादव ने जालसाजी की शिकायत दर्ज की. यादव की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया और मैंद को गिरफ्तार किया गया.

* कोरे कागज पर हस्ताक्षर लेकर कर्ज मंजूर
मार्च 2025 में जब यादव को पैसों की आवश्यकता थी तब वह फिर से शरद मैंद के पास गया. मैंद ने उन्हें पैन और आधार कार्ड रहे 6 गवाह लाने कहा. कोरे कागज पर उनके हस्ताक्षर लेकर यादव का 1.95 करोड रुपए का कर्ज मंजूर किया गया और 1 करोड 8 लाख रुपए दिए गए. मैंद ने मुन्ना वर्मा को फर्जी लोगों के नाम से कर्ज देकर उसका शोषण किया रहने की जानकारी यादव को थी. यादव ने बैंक अधिकारी से पूछताछ की. अधिकारी ने उजागर किया कि यादव द्बारा लाए गए 12 लोग गवाह नहीं बल्कि कर्जदार थे.

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