थर्ड पार्टी ऑडिट रिपोर्ट में राजकमल रेलवे पुल की गंभीर खामियां उजागर
तोडकर नया बनाने का सुझाव

* जर्जर अवस्था की अभियांत्रिकी, विस्तृत रिपोर्ट पेश
* पुल की हालत बेहद खराब
* यात्रियों के लिए उपयोग हुआ असुरक्षित
* विजुअल इंस्पेक्शन और नॉन डिस्टक्टिव टेस्ट से हुआ स्पष्ट
* अभियांत्रिकी फर्म मैजिक कन्स्ट्रक्शन की रिपोर्ट अमरावती मंडल के हाथ
अमरावती/ दि. 26- शहर के बीचों बीच 6 दशक पहले बनाए गये रेलवे ओवरब्रिज की वर्तमान जर्जर अवस्था को देखते हुए रविवार रात से उसे अचानक किसी भी प्रकार के यातायात हेतु पूरी तरह बंद कर दिए जाने से सारे शहर में हो हल्ला खूब हुआ. यातायात व्यवस्था के बारह बज गये. जिसने जो मुंह में आया, कहना शुरू कर दिया. सोशल मीडिया ऐसे संदेशों और सुझावों से लबालब हो गया था. ऐसे में अमरावती मंडल को आरओबी के थर्ड पार्टी स्ट्रक्चरल ऑडिट की दो दर्जन पन्नोवाली रिपोर्ट प्राप्त हुई है. यह रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि विजुअल इंस्पेक्शन और नॉन डिस्टक्टिव टेस्ट (एनडीटी) के अनुसार पुल की हालत बेहद खराब है. इसका उपयोग यात्रियों के लिए असुरक्षित हो गया है. इस टेस्ट में रेलवे ओवरब्रिज के लगभग सभी गर्डर और छोटी से छोटी चीज का बारीकी से अवलोकन किया गया. उपरांत रिपोर्ट दी गई है. जिसके अनुसार रेलवे पुल को तगडी मरम्मत की जरूरत है. या फिर बेहतर होगा. इसे तोडकर नया आरओबी बनाना ही बेहतर विकल्प रहेगा. रिपोर्ट में अपनाई गई सामान्य से लेकर विशेषज्ञ तकनीक और किन कसौटियों पर पुल की क्षमता आदि को देखा गया, इस बारे में भी स्पष्ट रूप से जानकारी दी गई है. जिससे साफ हो गया कि नया रेलवे ओवरब्रिज बनाना ही श्रेयस्कर रहेगा. अब अमरावतीवासियों की कदाचित यही अपेक्षा रहेगी कि पुल निर्माण करना है तो शीघ्रता से प्रारंभ और उसे पूर्ण किया जाएं.
* एक- एक चीज का बारीकी से अवलोकन
थर्ड पार्टी स्ट्रक्चरल ऑडिट में राजकमल रेलवे ब्रिज की एक- एक चीज का बारीकी से अवलोकन किया गया. जिसमें सुपर स्ट्रक्चर, स्टील गर्डर्स, बेयरिंग्स, विस्तारित जोड, ड्रैनेज, एप्रोच और सब स्ट्रक्चर का विस्तृत, गहराई से अवलोकन किया गया. उपरांत एनडीटी टेस्ट की गई. उसमें भी हैमर टेस्ट और अल्ट्रासोनिक वेलोसिटी और हाफसेल पोटेंशियल तथा पूरक कोरोजन टेस्ट शामिल हैं. सभी का अवलोकन पश्चात अध्ययन कर यह रिपोर्ट तैयार की गई है.
* क्या रहा रिपोर्ट का निष्कर्ष
रेलवे ओवरब्रिज की संरचनात्मक स्थिति पर की गई विस्तृत जांच में चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. विजुअल इंस्पेक्शन और एनडीटी से साफ हो गया कि रेलवे ओवरब्रिज की दशा जर्जर है. वह यातायात के लिए दिनोंदिन असुरक्षित हो चला है. उस पर बेहद हलके वाहन या टूवीलर्स भी मात्र 10-15 किमी की रफ्तार से चलाए जा सकते हैं.
* डेक स्लैब और आरसीसी घटक
पूरे स्लैब में कांक्रीट की परत झड चुकी है. जिससे सरीयों अर्थात लोहे की रॉड को जंग काफी लग गया है. कई स्थानों पर दरारें चौडी हो गई है. हनी कॉम्बिंग और डीलैमीनेशन पायी गई है.
* स्टील गर्डर्स
पुल के स्टील गर्डर्स का भी बारीकी से अवलोकन किया गया. प्लैट गर्डर्स पर गहरी जंग और पिटींग और सेक्शन लॉस देखा गया. यह भी पाया गया कि कई जगह बोल्ट ढीेले हो गये हैं. पेंटिंग पूरी तरह से खराब हो गई है. जिसका संरचना पर बुरा असर पडना शुरू हो गया है.
* बियरिंग्स
बियरिंग्स खिसक गये हैं. उनकी अवस्था खराब हो गई है. जिससे स्ट्रक्चर पर अतिरिक्त तनाव या खिंचाव आ रहा है.
* अतिरिक्त जोड और ड्रैनेज
पुल के विस्तारित जोड टूटे और खराब अवस्था में आ गये हैं. जिसके कारण पानी सीधे स्ट्रक्चर में जा रहा हैं. इसे पानी संरचना में रिसना कहते हैं. ड्रैनेज पाइप या तो टूट गये है अथवा कचरे आदि से जाम हो गये हैं.
* उप स्ट्रक्चर की दशा
पत्थर की बनी पुल की दीवारों में दरारे और मलबा की क्षति उसकी आयु और खराब रख रखाव के कारण स्पष्ट हुई है. उसी प्रकार एप्रोच की स्थिति भी ऐसी है जो पुल की क्षमता पर प्रभाव डाल रही है. पानी रिसने से पुल बिगडते वक्त के साथ कमजोर हो रहा है.
* सुरक्षा फीचर्स
क्रैश बैरियर्स और पैरापीट भी टूटी और खतरनाक स्थिति में आ गई है. क्योंकि कई हिस्सों में रैलिंग ही गायब है.
* एनडीटी परीक्षण परिणाम
हथोडे से प्रहार कर पुल की मजबूती जांची गई. जिसमें पाया गया कि डैक स्लैब का कांक्रीट की दबाव सहन क्षमता (कम्प्रेसीव स्ट्रेंथ) कम हो गई है. इसे जांच में 10 स्क्वे. मीटर से कम पाया गया. ऐसे ही अल्ट्रा सोनिक पल्स वेलोसिटी टेस्ट में भी कंक्रीट की गुणवत्ता संदिग्ध हो गई है. उसी प्रकार हाफसेल पोटेंशियल टेस्ट में देखा गया कि लोहे की 90 प्रतिशत सरियो में जंग सक्रीय अवस्था में हैं.
* क्या की गई सिफारिश
रिपोर्ट के निष्कर्ष के अनुसार रेलवे ओवरब्रिज की हालत अत्यंत खराब है. यह किसी भी समय बडे हादसे का कारण बन सकता है. तकनीकी टीम ने स्पष्ट किया है कि वर्तमान अवस्था में अंतरिम उपाय करके कुछ समय के लिए पुल का उपयोग किया जा सकता है. किंतु इसे पूर्ण रूप से सुरक्षित मानना गलत होगा. विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि जर्जर ओवरब्रिज को शीघ्र बंद कर नया पुल तैयार किया जाए. तभी यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी.
* यातायात प्रबंधन और जोखिम कम करना
रिपोर्ट के अनुसार पुल पर एक लेन में हलके वाहन 20 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से चलाए जा सकते हैं. उन पर भी पुलिस की निगरानी रहनी चाहिए. उसी प्रकार रियल टाइम निगरानी के लिए सीसीटीवी लगाने और हर सप्ताह पुल के महत्वपूर्ण हिस्सों का अवलोकन किए जाने की भी सिफारिश रिपोर्ट में की गई है.
* नहीं तोडना पुल तो यह करना होगा
रिपोर्ट में पुल पूरी तरह तोडने की बजाय उसे अस्थायी सपोर्ट दिए जाने के बारे में भी सुझाव दिया गया है. जिसके अनुसार लोहे के पोर्टल और ट्रेसल लगाकर गर्डर का पूरा लोड और प्रभाव कम किया जा सके. उसी प्रकार बोल्टेड कवर प्लेट और स्लाइस प्लेट की मरम्मत कराई जा सकती है. इस दौरान यातायात सीमित रखा जा सकता है.
* मरम्मत और वॉटर प्रुफ
पुल की मरम्मत के साथ वहां रिस रहे पानी का भी इंतजाम किए जाने के बारे में रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है. गर्डर्स और लोहे की सरियों के कोरोजन अर्थात जंग से बचाव के लिए वॉटर प्रुफ किया जाना आवश्यक है. इसके लिए पतले एचपीसी वेरिंग लगाने की बात कही गई है. जंग से बचाने के लिए पाली यूरेथिन लगाने का सुझाव दिया गया है. उसी प्रकार ड्रैनेज अर्थात पानी की निकासी बराबर की जा सके.
* यह निकला अंतिम निष्कर्ष
स्ट्रक्चरल ऑडिट की रिपोर्ट में अंतिम निष्कर्ष मैजिक कंस्ट्रक्शन के डॉ. एम.वी. मोहोड ने जारी किया है. जिसके अनुसार पुल की संपूर्ण संरचना खराब हो गई है. असुरक्षित हो गई है. उसका कांक्रीट खराब अवस्था में होने के साथ लोहे के गर्डर्स जंग की चपेट में आ रहे हैं. एनडीटी जांच में यह भी स्पष्ट हो गया कि आरओबी गंभीर रूप से खराब अवस्था में पहुंच गया है. हथोडा टेस्ट से भी ब्रिज की मजबूती पर असर होने का पता चला है. यूपीवी रिपोर्ट में भी पुल की अवस्था को संदिग्ध कहा जा सकता है. जिससे अंतर्गत दरारे डैक स्लैब कांक्रीट में आ जाने का स्पष्ट अंदेशा है. हाफसेल टेस्ट में स्पष्ट हुआ है कि 90 प्रतिशत से अधिक लोहा जंग की अवस्था में हैं. इन सभी टेस्ट रिपोर्ट का संयुक्त निष्कर्ष यही है कि आरसीसी और स्टील कंपोनन्ट्स की अवस्था अपनी मजबूती खो चुकी है. निष्कर्ष के मुताबिक आरओबी पर अब और अधिक भरोसा नहीं किया जा सकता. उसकी मजबूती, सेवा की क्षमता असुरक्षित और जनता के उपयोग के लिए फिट नहीं कही जा सकती. अत: ब्रिज को यातायात के लिए तत्काल बंद करने और उसके स्थान पर उपायों को अपनाने की सिफारिश की जाती है अथवा संबंधित यंत्रणा को नया ब्रिज बनाने की शुरूआत कर देनी चाहिए.
* आरओबी की सामान्य जानकारी
पुल का नाम – राजकमल आरओबी
स्थान – अमरावती स्टेशन
पुल का प्रकार – आरसीसी डेल स्लैब और स्टील गर्डर पुल
लंबाई और पिलर्स – एक पिलर की लंबाई 21.27 मीटर और एक पीलर की लंबाई 19.21 मीटर
निर्माण वर्ष – 1963
सडक का प्रकार – एमडीआर बडा जिला रोड
निरीक्षण तारीख – 18 अगस्त 2025
निरीक्षण किया गया- डॉ. एमवी मोहोड और डॉ. एसएम हरले तथा जांच एसडी जीओ टेस्टिंग सोल्युशन्स ऑडिट का उद्देश्य
आरओबी के स्ट्रक्चरल ऑडिट का मुख्य उद्देश्य उसकी मौजूदा अवस्था देखना और उस आधार पर आगे की कार्यवाही करना है. इस ऑडिट आरओबी के बडे हिस्से की पहले ही जांच की जा चुकी है. शेष बचे भाग और पुल के सभी हिस्सों व बातों की जांच करना मकसद रहा. ऑडिट में पुल की खराब होती अवस्था अथवा उसके विविध हिस्सों को पहुंची क्षति जिसमें संपूर्ण डेक स्लैब, अधो सरंचना, बियरिंग, अप्रोच, गर्डर्स, ड्रेनेज, विस्तारित जोड का अवलोकन करना पुल की वर्तमान अवस्था में क्षमता देखना और उस हिसाब से यातायात का भार कम करना. उसी प्रकार किसी भी क्षमतापूर्ण सुरक्षा खामी को देखने पर जन सुरक्षा की दृष्टि से समझौता न हो पाए. इस प्रकार की बातों का अध्ययन करना. रिपोर्ट के निष्कर्ष पर उचित उपायों, मरम्मत, क्षमता बढाना या नये निर्माण की सिफारिश करना अधिकारियों को सूचित करना है.





