श्री चक्रधर स्वामी ईश्वरीय अवतार है
प्रा. वसंत आबाजी डहाके का प्रतिपादन

* विद्यापीठ में ‘श्री चक्रधर स्वामी व लिलाचरित्र’ पर व्याख्यान
अमरावती/दि.27 – लोगों से संवाद साधकर समाज में जनजागृती करने वाले श्री चंक्रधर स्वामी ईश्वरीय अवतार है. ऐसा प्रतिपादन प्रसिद्ध साहित्यकार व अखिल भारतीय मराठी साहित्य संम्मेलन केे पूर्व अध्यक्ष वसंत आबाजी डहाके ने किया. वे संगाबा विद्यापीठ के महानुभाव अध्यासन केंद्र द्वारा आयोजित श्री चक्रधर स्वामी अवतार दिवस के निमित्त ‘श्री चक्रधर स्वामी व लिलाचरित्र’ विषय पर व्याख्यान देते समय बोल रहे थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्र-कुलगुरू डॉ. महेंद्र ढोरे ने की तथा प्रमुख अतिथी के रूप में प्रसिद्ध कवीयत्री व समीक्षक डॉ. प्रभा गणोरकर ,श्री शिवाजी शिक्षक संस्था के पूर्व सचिव डॉ. अशोक भालेराव, अध्यासन केंद्र प्रमुख डॉ. महेंद्र सोनपेठकर उपस्थित थे.
प्रा. वसंत आबाजी डहाके ने अपने संबोधन में आगे कहा की गुजरात से आने के बाद श्री चक्रधर स्वामी ने श्री गोविंद प्रभू से भेंट की और उन्हें वहीं उनका अनुग्रह हुआ. लिलाचरित्र की पार्श्वभूमि बताते हुए प्रा. डहाकें ने बताया की लिलाचरित्र किस प्रकार से लिखा गया. चक्रधर स्वामी ने संपूर्ण महाराष्ट्र भर भ्रमण करते हुए लोगों से संवाद साधा और उत्तरापंथी गमन अर्थात लोगो से दूर जाना आदि बातो पर अभ्यास पूर्ण प्रकाश डाला. वहीं प्रमुख अतिथी डॉ. प्रभा गणोरकर ने कहा कि महानुभाव तत्वाज्ञान विलक्षण है. और गोविंदप्रभू एक विलक्षण व्यक्तिमत्व थे. लिलाचरित्र के अनेक प्रसंगो का वर्णन करते हुए डॉ.गणोरकर ने अनेक दृष्टांत विषद किए.
उसी प्रकार प्र-कूलगुरू डॉ. महेंद्र ढोरे ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहां की जिनका नाम केवल सुना था. आज उनके विचार प्रत्यक्ष रूप मे सुनने को मिल रहे है. यह मेरा सौभाग्य है. प्रा. वसंत आबाजी डहाके ने उस समय की परिस्थिती अपने व्याख्यान के माध्यम से प्रस्तुत कि जिससे मन तृप्त हुआ. कार्यक्रम की शुरूआत श्री चक्रधर स्वामी की प्रतिमा के पूजन तथा पुष्पमाला अर्पित कर दिपप्रज्वलन से की गई. इस दौरान अध्यासन केंद्र प्रमुख डॉ. महेंद्र सोनपेठकर ने अपने प्रास्ताविक के माध्यम से कार्यक्रम का उद्देश्य स्पष्ट किया. कार्यक्रम का संचालन डॉ. संदीप जुनघरे ने किया. व आभार प्रा. संदीप तडस ने माना कार्यक्रम में विद्यानपीठ व्यस्थापन सदस्य डॉ. भैय्यासाहेब मेटकर सहित शहर व अन्य शहरो के महानुभाव पंथीय महिला, पुरूष तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित थे.





