श्रीमद् भागवत वेदों का सार है, यह मुक्ति प्रदान करनेवाला ग्रंथ है
पं. निर्मल कुमार शुक्ल का प्रतिपादन

अमरावती /दि. 23 – श्रीमद्भागवत वेदों का सार है. यह मुक्ति प्रदान करने वाला ग्रंथ है. इसके एक-एक श्लोक में भगवान का आशीर्वाद और तेज भरा हुआ है. जब भगवान श्रीकृष्ण धरती त्याग कर अपने लोक जाने लगे, उस समय उनके समक्ष नारद व्यास आदि अनेकों महात्मा खडे थे. उन्ही में उध्दव जी भी खडे थे. सबके सामने एक आश्चर्यजनक घटना हुई. भगवान के श्रीमुख से एक दिव्य तेज निकला और उध्दव जी के बगल में दबे हुए भगवान ग्रंथ में जाकर समा गया. भगवान जी में चार अक्षर है. ‘भा’ का तात्पर्य है प्रकाश, जो वेदों के गूढ अर्थों का प्रकाश करता है उनका ज्ञान जगत के सामने प्रकट करता है वो है ‘भा’. दूसरा अर्थ है ‘ग’ जिसका अर्थ है गति याने मुक्ति. जो जीवों को मुक्ति देता है संसार बंधन से मुक्त करता है. तीसरा अक्षर है ‘व’ याने वैराग्य. भगवान जी की कथा श्रवण करने से जगत से वैराग्य उत्पन्न होता है संसार का आकर्षण समाप्त होकर भगवान के चरणों में प्रेम जागृत होता है. चौथा अक्षर है ‘त’ जिसका मतलब है जो तपस्या और त्याग की वृत्ति जगाता है. इस प्रकार भागवत से वेदों का ज्ञान गति (मोक्ष) वैराग्य और त्याग की प्राप्ति होती है. उक्त उद्गार प्रयाग राज निवासी मानस महारती पं. निर्मल कुमार जी शुक्ल ने सीताराम बाबा मंदिर बालाजी प्लॉट में महंत श्री मनमोहन दासजी के सानिध्य में चल रही भगवान कथा के प्रथम दिवस श्रेताओं को भाव विभोर करते हुए व्यक्त किये.
आपने कहा कि भागवत भगवान का अक्षराकार श्री विग्रह है. पुराणों में भगवान के अनेक प्रकार की मूर्तियों का वर्णन आता है. जैसे प्रस्ताराकार विग्रह जो पत्थरों से बना है. काष्ठाकार विग्रह, स्वर्धाकार विग्रह, चित्राकार विग्रह, रत्नाकार विग्रह, उसी प्रकार भावगत का अक्षराकार विग्रह है. अक्षरों से बनाया हुआ भागवत का शरीर है यह इस ग्रंथ में सदैव भागवत का निवास होता है. जिस घर में भागवत ग्रंथ रहता है और इसके एक भी श्लोक का पाठ होता है वहां भूतप्रेत बाधा दरिद्रता, अकाल मृत्यु आदि विपत्ति नहीं आती. आगे आपके भरक्ति के दोनों पुत्रों ज्ञान और वैराग्य जो कि असमय में ही वृध्दि हो गये थे, भागवत कथा के प्रभाव से उनके पुन: युवा होने की गाथा सुनायी. गोकर्ण चरित्र की व्याख्या करते हुए आपने कहा कि गोकर्ण का भाई धुंधकारी जो अपने पापों के प्रभाव से प्रेत योनि में चला गया था उसे भागवत कथा सुनाकर गोकर्ण जी ने मुक्त कर दिया. यह कथा गंगा 27 अगस्त तक प्रतिदिन दोपहा 3 से 6 बजे तक प्रवाहित होगी. मंदिर के महंत मनमोहन दास जी एवं सीताराम बाबा भक्त मंडल ने सभी श्रध्दालुओं से हजारों की संख्या में पधारकर मथामृत पान करने का आग्रह किया है.





