चांदी दो लाख पार, हुपरी के कारीगर परेशान
भाव रोकने सरकारी हस्तक्षेप की मांग

* एक जेवर बनाने, लगते हैं 28 कारीगरों का
हुपरी (कोल्हापुर)/ दि.17 – चांदी की नगरी के रूप में प्रसिध्द हुपरी के चांदी उद्योग पर ऐन दिवाली में मंदी छाई है. इसकी वजह से चांदी की रेट प्रति किलो पौने दो लाख के पार हो जाने और अभी भी दाम सतत बढने से यहां के उद्यमी, कारीगर और पूरक व्यवसायों पर आर्थिक संकट देखा जा रहा है. कोल्हापुर से सटे हुपरी में चांदी की पायल से लेकर बिछिया , करंडे , अंगूठिया, चोटी, करधन, हाथफूल और ब्रासलेट तैयार किए जाते हैं. वह सभी कारीगर इस समय खाली बैठे रहने का दावा किया जा रहा है.
दो लाख कारीगर
हुपरी और परिसर के रेंदाल, यलगुड, पट्टन कोलोडी, कुन्नूर, बारवाढ, मांगूर आदि करीब 1 दर्जन गांवों में चांदी के गहने बनानेवाले करीब 2 लाख करीगर है. कारीगर को उसकी निपुणता के अनुसार 500 रूपए तक दैनिक मजदूरी मिलती है. कई कारीगर अन्य राज्यों से भी आकर यहां बसें है. उनमें बंगाल और कर्नाटक के लोग अधिक मात्रा में रहने की जानकारी है.
क्या कहते हैं उद्यमी
यहां के उद्यमी महेन्द्र सपाटे से बात की तो उन्होंने कहा कि चांदी हस्तकला उद्योग को बचाने के लिए शासन को आभूषण विक्री हेतु नियमावली तैयार करनी चाहिए. बढती कीमतों को भी नियंत्रित करने शासन को कदम उठाने की अपेक्षा महेंद्र सपाटे ने व्यक्त की. उन्होंने बताया कि चांदी का दागिना बनाने अलग- अलग प्रक्रिया होती है. 28 कारीगरों के हाथ लगने पर एक जेवर तैयार होता है. उधर कारीगरों का कहना है कि रेट बढने से वे लोग घरों में बैठे हैं.





