राज्य में ‘एसआईआर’ निकाय चुनाव के बाद ही!
निर्वाचन आयोग ने फिलहाल पडताल को टालने की मांग रखी

मुंबई /दि.24 – मतदाता सूचियों की विशेष सघन जांच (एसआईआर) के लिए 30 सितंबर तक तैयार रहने का आदेश केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने राज्य के निर्वाचन अधिकारियों को दिया है. वहीं महाराष्ट्र में अगले चार महिने में ‘एसआईआर’ शुरु नहीं किए जाने का निवेदन राज्य निर्वाचन आयोग ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय को पत्र भेजते हुए किया है. जिसमें कहा गया है कि, राज्य में इस समय स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव की प्रक्रिया चल रही है. जिसके पूरा होने तक राज्य में ‘एसआईआर’ को शुरु न किया जाए.
राज्य के निर्वाचन आयुक्त दिनेश वाघमारे ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि, राज्य में पिछले 3 से 5 वर्षों से स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव नहीं हुए है. जिन्हें कराने हेतु अभी हाल ही में निर्वाचन संबंधी प्रक्रिया को शुरु किया गया है. इस चुनाव के लिए बडे पैमाने पर कर्मचारियों की जरुरत पडती है और एसआईआर के लिए भी उन्हीं कर्मचारियों द्वारा काम किया जाता है. क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुनाए गए फैसले के चलते आगामी 30 जनवरी तक महाराष्ट्र में सभी स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव पूर्ण कराना अनिवार्य है. इसके चलते इस चुनाव के बीच मतदाता सूचियों की विशेष पडताल का काम शुरु न किया जाए. इसके लिए मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय को दो पत्र दिए गह है. साथ ही इसके लिए एक बार फिर निवेदन भी किया जाएगा.
बता दें कि, राज्य में 29 महानगर पालिका, 290 नगर परिषद व नगर पंचायत, 32 जिला परिषद व 336 पंचायत समितियों के चुनाव आगामी 4 माह में कराए जाने है और इन सभी स्थानीय स्वायत्त निकायों की निर्वाचन प्रक्रिया को 30 जनवरी तक पूरा करने चुनौती निर्वाचन आयोग के समक्ष है. इन चुनावों के लिए बडे पैमाने पर सरकारी यंत्रणा का प्रयोग किया जाएगा. वहीं दूसरी ओर एसआईआर के लिए भी इन्हीं सरकारी कर्मचारियों व शिक्षकों की जरुरत होती है. ऐसे में चुनाव के समय अधिकारियों व कर्मचारियों की कमी न हो, इस बात के मद्देनजर निकाय चुनाव की प्रक्रिया के बीच ‘एसआईआर’ नहीं कराने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा तमाम आवश्यक प्रयास किए जा रहे है.
* राज्य में 23 वर्ष बाद ‘एसआईआर’
राज्य में इससे पहले अंतिम बार वर्ष 2002 में मतदाता सूचियों की विशेष पडताल की गई थी. जिसके पश्चात अब 23 वर्ष बाद यह पडताल यानि एसआईआर की जानेवाली है. जिसके तहत निर्वाचन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा प्रत्येक मतदाता के घर पर पहुंचकर उनके दस्तावेजों की जांच-पडताल की जाती है. साथ ही अंतिम ‘एसआईआर’ को कटऑफ तारीख के तौर पर ग्राह्य माना जाता है.





