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रियो ओलपिक में सिल्वर जीतकर इतिहास रचने वाली पीवी सिंधु से इस बार गोल्ड की उम्मीद

नई दिल्ली/दि. 21 – खेलों का महाकुंभ अगले कुछ दिनों में टोक्यो में शुरू होने जा रहा है. इस ओलंपिक गेम्स में भारत की तरफ से तमाम एथलीट हिस्सा ले रहे हैं, जिनमें एक नाम पिछले ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतने वाली स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु का भी है. रियो ओलंपिक 2016 में फाइनल मुकाबले में गोल्ड मेडल से चूकने वाली सिंधु इस बार अपने टारगेट को हासिल करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. उम्मीद है कि पीवी सिंधु इस बार गोल्ड मेडल जीतकर एक बार फिर से इतिहास रचेंगी. चलिए सिंधु के यहां तक के सफर पर एक नजर डाल लेते हैं.

  • पेरेंट्स थे नेशनल वॉलीबॉल प्लेयर

पीवी सिंधु का जन्म हैदराबाद में 5 जुलाई 1995 को हुआ था. उनके माता-पिता दोनों नेशनल लेवल वालीबॉल प्लेयर थे. उनके पिता पीवी रमाना 1986 सिओल एशियाई गेम्स में ब्रॉन्ज़ मेडल जीतने वाली इंडियन वॉलीबॉल टीम का हिस्सा थे. माता पिता के खेलों में होने से पीवी सिंधु का बचपन से ही खेलों के प्रति लगाव रहा. हालांकि उन्होंने पुलेला गोपीचंद से प्रभावित होकर वॉलीबॉल के बजाय बैडमिंटन में करियर बनाने का फैसला किया. महज 8 साल की उम्र से उन्होंने बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था.

  • अब तक कई रिकॉर्ड बनाए

पीवी सिंधु ने 2016 में रियो ओलंपिक गेम्स में सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रच दिया था. इसके बाद 2019 वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर वे बैडमिंटन में वर्ल्ड चैंपियनशिप का खिताब जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं. महज 17 साल की उम्र में पीवी सिंधु बैडमिंटन की विश्व रैंकिंग में टॉप 20 में शुमार हो गई थीं. साल 2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में भी उन्होंने सिल्वर मेडल जीते थे. रियो ओलंपिक के बाद भी अब तक कई गोल्ड जीत चुकी हैं.

  • एक बार फिर गोल्ड पर रहेंगी नजरें

रियो ओलंपिक के बाद अब तक पीवी सिंधु कई गोल्ड सिल्वर और ब्रॉन्ज़ मेडल अपने नाम कर चुकी हैं. एक बार फिर पूरे देश की नजरें पीवी सिंधु पर टिकी हुई हैं. पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पीवी सिंधु के साथ वर्चुअल संवाद कर उनका हौसला बढ़ाया था और उनसे बिना दबाव के ओलंपिक में खेलने के लिए कहा था. पीवी सिंधु इस बार ओलंपिक में गोल्ड मेडल के प्रमुख दावेदारों में शुमार हैं.

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