श्श्श्श्श…… पब्लिक और जनप्रतिनिधि सो रहे हैं
अमरावती के आधे-अधूरे विकास पर छलका पूर्व मंत्री डॉ. देशमुख का दर्द

* भूमिगत गट योजना, चित्रा चौक फ्लाईओवर व रेलवे पुल काम प्रलंबित रहने पर जताया रोष
* अधूरी पडी परियोजनाओं के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधि की उदासिनता को बताया जिम्मेदार
* जनप्रतिनिधियों पर अपने फायदेवाली बातों और कब्जेवाली राजनीति में व्यस्त रहने का लगाया आरोप
* हर प्रलंबित विकास कार्य में हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद ही मामला आगे बढने की ओर दिलाया ध्यान
* कभी देश के बेहतरिन शहरों में 13 वें स्थान पर रहनेवाले अमरावती शहर की मौजूदा स्थिति पर जताई चिंता
* जनप्रतिनिधि चुनने सहित शहर के प्रति लोगों में जवाबदेही बढाए जाने की सख्त जरुरत की प्रतिपादित
अमरावती/दि.26 – जहां एक ओर हमारे पडोस में ही स्थित नागपुर शहर में बडी तेजी के साथ एक से बढकर एक विकास कार्य हो रहे है और विगत कुछ वर्षों के दौरान हजारों करोड रुपयों की विकास निधि के चलते नागपुर शहर बडी तेजी के साथ एक मेट्रो पॉलिटन शहर के तौर पर उभरकर सामने आया है. वहीं दूसरी ओर इससे ठीक उलट अमरावती शहर में विकास का मामला काफी उलटा चल रहा है. क्योंकि किसी समय देश के गुणवत्तापूर्ण जीवनमान रहनेवाले बेहतरिन शहरों की सूची में 13 वें स्थान पर रहनेवाला अमरावती शहर आज की बदहाल स्थिति में है, यह किसी को अलग से बताने की जरुरत नहीं है. विगत 27 वर्षों से अमरावती शहर में भूमिगत गटर योजना का काम पूरा नहीं हो पाया है, पिछले 7-8 वर्षों से चित्रा चौक-नागपुरी गेट फ्लाईओवर का काम अधर में लटका हुआ है. साथ ही अब शहर के लिहाज से लाइफलाइन रहनेवाले शहर के मध्यस्थल में स्थित रेलवे उडानपुल को तमाम तरह के छोटे-बडे वाहनों सहित पैदल राहगिरों के लिए भी बंद कर दिया गया है. जिसका आगे चलकर भविष्य क्या होनेवाला है, यह भी किसी को पता नहीं है. जिसके चलते आम शहरवासियों को काफी समस्याओं और दिक्कतों का सामना करना पड रहा है, इसके साथ ही शहर में हर ओर कचरे व गंदगी का अंबार लगा हुआ है और साफसफाई के कामों पर किसी का कोई ध्यान नहीं है. इसके अलावा शहर के रास्तों की बदहाली, अनियमित जलापूर्ति, कई इलाकों में स्ट्रीट लाइट की सुविधा नहीं रहने और नए सिरे से आकार ले रही हिरायशी बस्तियों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव रहने जैसी समस्याएं भी सबके सामने है. लेकिन हैरत है कि, न तो इसे लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों व प्रशासन द्वारा कुछ कहा जा रहा है और न ही इन समस्याओं को रोजाना झेल रहे शहर के आम नागरिकों की ओर से भी कोई आवाज उठाई जा रही है, जिसका सीधा मतलब है कि, अमरावती की आम पब्लिक सहित प्रशासन और लगभग सभी पॉलिटिकल पार्टीयां बडे आराम के साथ सो रहे है. जिनका मानों इन तमाम समस्याओं के साथ कोई लेना-देना ही नहीं है. जिसके चलते इन समस्याओं को हल करने का जिम्मा रखनेवाले स्थानीय जनप्रतिनिधि चैन की बंसी बजाते हुए केवल अपने व्यक्तिगत फायदे वाले काम और राजनीति करने में व्यस्त है, इस आशय के शब्दों में कांग्रेस नेता व जिले के पूर्व पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने अमरावती शहर की बदहाली और इसके लिए जिम्मेदार स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता को लेकर अपना दर्द साझा करने के साथ-साथ अपना रोष भी जताया.
बीती शाम अपने आवास पर दैनिक ‘अमरावती मंडल’ के साथ विशेष तौर पर बातचीत करते हुए कभी अमरावती में विकास की आंधी और विकास पुरुष के तौर पर विख्यात रह चुके पूर्व पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने कहा कि, किसी भी क्षेत्र के विकास हेतु प्रबल राजनीतिक इच्छा का होना बेहद जरुरी होता है और यह सतत गतिमान रहनेवाली प्रक्रिया रहनी चाहिए. साथ ही साथ जनप्रतिनिधियों को मौजूदा दौर की जरुरतों सहित अगले 20-25 साल की संभावित जरुरतों को भी ध्यान में रखते हुए अपने शहर व निर्वाचन क्षेत्र में भौतिक व मूलभूत सुविधाओं का ध्यान रखते हुए काम करना पडता है. ऐसे में यदि कोई क्षेत्र विकास से दूर होता दिखाई दे, तो इसे संबंधित क्षेत्र के जनप्रतिनिधि की राजनीतिक अनिच्छा व उदासिनता का परिणाम कहा जा सकता है.
* विमानतल के लिए भी दो दशक तक करना पडा था इंतजार
बकौल पूर्व मंत्री डॉ. सुनील देशमुख इससे पहले जहां एक ओर अमरावती की जनता को एक अदद विमानतल के लिए करीब 20 से 25 वर्षों का लंबा इंतजार करना पडा और वर्ष 2014 से 2019 के दौरान उनके द्वारा किए गए प्रयासों के बदौलत हवाई अड्डे के विस्तार व विकास का काम प्रगतिपथ पर आगे बढ पाया. जिसके लिए उन्होंने इससे पहले वर्ष 1999 से 2009 तक कुछ प्रारंभिक काम भी करवाए थे. परंतु इसके बावजूद हवाई अड्डे को शुरु होने के लिए हम सभी को वर्ष 2025 का इंतजार करना पडा. लगभग यही स्थिति अमरावती शहर में भूमिगत गटर योजना की भी है. जिसका काम शुरु हुए अब करीब 27-28 साल का समय बीत चुका है. लेकिन इसके बावजूद भूमिगत गटर योजना अब तक अपने अंजाम तक नहीं पहुंच पाई. जबकि शहर के कई इलाको में भूमिगत पाइप लाइन डाली जा चुकी है. साथ ही साथ शहर के पश्चिम छोर पर मल-जल निस्सरण केंद्र भी बनकर तैयार है. लेकिन इसके बावजूद इस योजना का काम अब भी अधर में लटका हुआ है. इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि, रेडीमेड रहनेवाले कामों को भी पूरा करवाने के लिए मौजूदा जनप्रतिनिधियों द्वारा किस हद तक अनदेखी व उदासिनता बरती जा रही है व ऐसे में इस तरह के जनप्रतिनिधियों से कोई नया काम मंजूर करवाकर लाने और उसे पूरा करवाने की कोई उम्मीद ही नहीं की जा सकती.
* शहर की शान रहनेवाले उद्यानों की बदहाली के लिए कौन जिम्मेदार
इसके साथ ही पूर्व मंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने कहा कि, किसी समय अमरावती शहर की शान व पहचान रहने के साथ-साथ अमरावतीवासियों के लिए परिवार सहित क्वॉलिटी टाइम बिताने का स्थान रहनेवाले वडाली तालाब व बगीचे तथा छत्री तालाब व बगीचे आज करीब 10 साल से पूरी तरह बंद पडे है तथा देखरेख की अभाव में दोनों तालाबों का दलदल में रुपांतरण हो चुका है. साथ ही साथ दोनों तालाबों के आसपास बनाए गए बगीचे पर्याप्त देखरेख के अभाव में बेतरकीब हो चुके है. लेकिन दोनों रमणीय स्थलों का सौंदर्यीकरण करते हुए उन्हें दुबारा शुरु करवाने की ओर किसी का कोई ध्यान ही नहीं है. यही स्थिति शहर में स्थित बांबू गार्डन व ऑक्सीजन पार्क सहित अन्य उद्यानों की भी है. इसके अलावा शहर के कई रिहायशी इलाकों को आपस में जोडनेवाले रास्तों पर बडे-बडे गड्ढे बन गए है और शहर की अधिकांश सडके बदहाली व दुरावस्था का शिकार है. जिसकी वजह से लोगों को लगभग रोजाना ही अपने घरों से निकलकर बाहर कहीं पर भी आते-जाते समय असुविधाओं, दिक्कतों व समस्याओं का सामना करना पड रहा है. लेकिन इसे लेकर भी न तो जनप्रतिनिधि कुछ बोल रहे है और न ही अमरावती वासियों द्वारा भी जनप्रतिनिधियों से कोई सवाल-जवाब किया जा रहा है. जिसके चलते जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकारी भी लगभग निरंकुश हो चले है. जिनका शहर की समस्याओं से मानों कोई लेना-देना ही नहीं है. जिसकी वजह से हालात दिन-ब-दिन बिगडते जा रहे है.
* क्या हम हर काम के लिए कोर्ट के चक्कर लगाएं?
इस बातचीत के दौरान पूर्व मंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने काफी तल्ख भरे अंदाज में कहा कि उन्हें अब तक हर विकास काम के लिए हाईकोर्ट की शरण लेनी पडी है और हाईकोर्ट के निर्देश के बाद ही विकास कामों की फाइले आगे बढी है. ऐसे में सबसे बडा सवाल है कि, आवश्यक निधि और प्रशासकीय मंजूरी मिलने के बावजूद जब तक कोर्ट की ओर से फटकार नहीं मिलती, तब तक.. नहीं जागता है और जनप्रतिनिधि क्यों उदासीन होकर सोए पडे रहते हैं. आखिर उनकी भी कुछ जिम्मेदारी है.





